इस अवसर पर मुख्य अतिथि पी. के. राय मेमोरियल कॉलेज, धनबाद में दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एन. के. अम्बष्ट ने कहा कि भारत में कई बार शिक्षा नीति बनी है. लेकिन मुख्य सवाल नीति नहीं, नियत का है. आज तक कभी भी हमारी सरकार ने साफ नियत के साथ शिक्षा के विकास के लिए प्रयास नहीं किया. कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता पूर्व कुलपति प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था में आई गिरावट के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं. हम सबको मिलकर इसे सुधारने के लिए प्रयास करना होगा. विशिष्ट अतिथि मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. राजीव कुमार मल्लिक ने कहा कि उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी सबसे बड़ी समस्या है. इसके कारण शिक्षा में गिरावट आ रही है. हम विद्यार्थियों को बिना कुछ पढ़ाए-लिखाए डिग्री देने को मजबूर हो गए हैं. सम्मानित अतिथि प्रज्ञा प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा को हमेशा सार्वजनिक होना चाहिए. इसे निजी क्षेत्र के हवाले करना खतरनाक है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने की. संचालन कार्यक्रम के संयोजक असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु शेखर ने किया. धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. देव प्रसाद मिश्र ने किया. कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का अंगवस्त्रम् एवं बुद्ध की प्रतिमा भेंटकर स्वागत किया गया. अंत में विभागीय परिसर में 'एक गाछ गुरु के नाम' अभियान के अंतर्गत आंवला का पौधा लगाया गया. इस अवसर पर पूर्व विभागाध्यक्ष शोभाकांत कुमार, इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. सी. पी. सिंह, समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. राणा सुनील कुमार, आईक्यूजसी निदेशक डॉ. नरेश कुमार, के. पी. कॉलेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. बीएम प्रसाद, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. अमरेन्द्र कुमार, डॉ. सज्जाद अख्तर, डॉ. प्रफुल्ल कुमार, विनय कुमार, दीपक कुमार राणा, अजय कुमार, डॉ. माधव कुमार, सौरभ कुमार चौहान, शक्ति सागर, सुरेंद्र कुमार सुमन, बरुण कुमार आदि उपस्थित थे.
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