तनिष्क शोरूम लूटकांड का खुलासा, बेऊर जेल से रची गई थी साजिश - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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1 अगस्त 2024

तनिष्क शोरूम लूटकांड का खुलासा, बेऊर जेल से रची गई थी साजिश

डेस्क: पूर्णिया के तनिष्क शोरूम में हुई 3 करोड़ 70 लाख की डायमंड लूट मामले में पुलिस ने चार लाइनर को गिरफ्तार किया है. सभी ने लूट में शामिल मुख्य साजिशकर्ता और लूटकांड को अंजाम तक पहुंचाने वाले बदमाशों के नाम और एड्रेस भी उगल दिए हैं. एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने बताया कि लूट की साजिश पटना के बेऊर जेल से रची गई थी. तनिष्क शो रूम में लूट का प्लान वारदात से 2 महीने पहले बेऊर जेल में बंद सुबोध सिंह ने अपने दूसरे साथियों और जिले के कुख्यात बिट्टू सिंह के साथ मिलकर तैयार की थी. मामले का खुलासा पुलिस और STF के हत्थे चढ़े बदमाशों ने किया है. पुलिस ने इनके पास से दो देसी कट्टा, घटना में इस्तेमाल बाइक और 4 मोबाइल भी बरामद किए हैं. 
 
पूछताछ में पता चला है कि वारदात में शामिल बदमाश खाने या फिर ठहरने के लिए किसी भी ऐसी लोकेशन पर नहीं रुकते थे, जहां सीसीटीवी लगा हो. पुलिस की गिरफ्त में आए लाइनर अररिया और मुजफ्फरपुर के हैं. लाइनर्स से हुई अब तक की पूछताछ में एक लाइनर का लोकल कनेक्शन भी सामने आया है. इसी लोकल लाइनर की मदद से बदमाशों ने तनिष्क शोरूम की रेकी की थी. वो सप्ताह भर से कस्टमर बनकर शोरूम के अंदर और बाहर, शोरूम खुलने के बाद और शाम में जुटने वाले लोगों की भीड़ का माहौल भांप चुके थे. तनिष्क में चल रहे फेस्टिवल ऑफ डायमंड के तहत शोरूम में लगाए गए डायमंड नैकलेस के ऐग्जीबिशन को उन्होंने वारदात को अंजाम देने के लिए परफैक्ट वक्त माना है.

लोकल लाइनर की हेल्प से वो यह भी पता लगा चुके थे कि शोरूम खुलने के ठीक बाद वो अगर लूट की वारदात को अंजाम देते हैं, तो ना ही शोरूम के बाहर और ना ही आसपास के थाना क्षेत्रों में पुलिस का पहरा होगा. ऐसे में जब तक पुलिस की नाकाबंदी होगी, तब तक वो जिले की सीमा से निकलकर सेफ जोन में पहुंच चुके होंगे. प्लान के मुताबिक ही सब कुछ हुआ और बेहद आसानी से पुलिस थाने और चौकी को पार कर गए. लूट के दौरान पहने गए कपड़े के जले हुए अवशेष, जूते और खून से सने चप्पल के बाद पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल की गई दो बाइक और एक मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया है. लाइनर से मिले अहम इनपुट के बाद पुलिस और STF बदमाशों के काफी नजदीक पहुंच गई है. लूटकांड को अंजाम तक पहुंचाने वाले इस प्रोफेशनल गिरोह के अधिकांश बदमाश बंगाल के हैं. हालांकि, इनमें से कुछ बिहार के हैं. 

एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने बताया कि इन बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए 10 टीम काम कर रही है. इनमें पूर्णिया पुलिस की 5 और STF की 5 टीम शामिल है. टीम बिहार के मुजफ्फरपुर, पश्चिम बंगाल के मालदा, झारखंड के साहिबगंज में फायर रेड कर रही है. लूटकांड की वारदात को अंजाम देने के बाद अपराधी पहले मालदा और फिर वहां से प्लान में बदलाव करते हुए नेपाल भाग निकले. अपराधी इस बात को जानते थे कि अगर वो नेपाल भागते हैं तो पुलिस की परेशानी बढ़ जाएगी. इसके साथ ही नेपाल में लूट का माल खपाना इंडिया के किसी भी दूसरे स्टेटस के मुकाबले काफी आसान होगा. पुलिस और STF के अधिकारी लूट की वारदात में शामिल बदमाशों को दबोचने के लिए झारखंड और बंगाल राज्यों की पुलिस के अलावा नेपाल पुलिस की भी मदद ले रही है, लेकिन अब भी वारदात में शामिल सातों बदमाश पुलिस की पकड़ से दूर चल रहे हैं. 

वहीं, पुलिस टीम और STF अब बदमाशों के एड्रेस पर दबिश की तैयारी में है. देश के 5 राज्यों में सोना लूट को अंजाम देने वाली गैंग का मास्टरमाइंड सुबोध सिंह 7 साल से पटना के बेऊर जेल में बंद है. जेल में उसे सब बबुआ जी कहते हैं. सुबोध क्रिकेट का शौकीन है. जेल में होने वाले क्रिकेट में जीत या हार के बाद इनाम बांटना सुबोध की आदत है. सुबोध को जानने वाले बताते हैं कि वो बैटिंग बहुत अच्छी करता है. सुबोध सिंह क्रिकेट की खबरों से भी अपडेट रहता है. क्रिकेट मैच देखने के दौरान डिस्टरबेंस उसे पसंद नहीं. देश दुनिया में हो रहे क्रिकेट मैच, IPL, T-20 की सारी जानकारी से वह अपडेट रहता है. भारतीय टीम में वीरेंद्र सहवाग और सौरव गांगुली और आज के दौर में विराट कोहली और रोहित शर्मा उसके फेवरेट खिलाड़ी हैं. 

पटना के बेऊर जेल में हर साल एक मैत्री क्रिकेट मैच का आयोजन होता है. इस मैच में 2 टीम खेलती हैं. एक टीम में 12 कैदी रहते हैं और दूसरे टीम में 12 पुलिस वाले. कभी-कभी जेलर भी इस मैच में हिस्सा लेते हैं. सुबोध तबीयत खराब होने के पहले तक खुद भी इसमें हिस्सा लेता रहा है. मैच खत्म होने के बाद सुबोध दिल खोल कर इनाम बांटता है. इनाम में महंगे जूते सोने के चेन या सोने की ब्रेसलेट शामिल होती है. प्रदर्शन के हिसाब से सभी खिलाड़ियों को ये इनाम बांटता है. 6 महीने पहले अपने अवधि की सजा काटकर निकले कैदी ने बताया कि जेल के बाहर और अंदर के सुरक्षाकर्मी और जेल में सजा काट रहे कैदी भी सुबोध को नाम से नहीं संबोधित करते है. सुबोध को खुश करने, सम्मान देने या नाम रखने से परहेज करने के लिए सभी बबुआ जी कह कर संबोधन करते हैं. 
(रिपोर्ट:- सुनीत साना), (सोर्स:- DB) 
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