अपनी गीतों से हमेशा जिंदा रहेंगी लोक गायिका शारदा सिंहा - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

6 नवंबर 2024

अपनी गीतों से हमेशा जिंदा रहेंगी लोक गायिका शारदा सिंहा

मधेपुरा: कोसी के सुपौल की उपज और संगीत की दुनिया में राष्ट्रीय फलक की हस्ताक्षर लोक गायिका शारदा सिंहा के निधन से संगीत जगत को बड़ी क्षति हुई है. उनके निधन पर वाम युवा संगठन एआईवाईएफ जिला अध्यक्ष, युवा सृजन पत्रिका के संपादक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने अपने शोक संदेश में इसे संगीत जगत की अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि मुख्यतः छठ गीतों के लिए चर्चित लोक गायिका शारदा सिंहा जी का छठ के मौके पर निधन दुर्लभ संयोग है जो स्वर कोकिला लता मंगेशकर का वसंत पंचमी पर निधन में देखने को मिला थाा. हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, मगही पट्टी के घरों में छठ, शादी, पूजा, समारोहों को उनके गीतों से ही पूर्णता मिलती थी और आगे भी मिलती रहेगी. उनकी सुरीली आवाज के कारण बिहार कोकिला के रूप में उनकी खास पहचान रही. लोक गीतों को अपनी सुरीली आवाज में पिरो कर जो अपनत्व उन्होंने दिया वो सदैव संगीत जगत के लिए आदरणीय रहेगा.

राठौर ने कहा कि सुपौल संग कोसी को हमेशा इस बात का गर्व रहेगा कि उसकी गोद से निकली एक प्रतिभा संगीत जगत में राष्ट्रीय फलक की हस्ताक्षर ही नहीं बनी बल्कि छठ पूजा के पर्याय के रूप में स्थापित हुई भारत या भारत से बाहर दूसरे देशों में भी उनके गीत छठ के मुख्य आकर्षण बनें. रामजी से पूछे जनकपुर के नारी, केलवा के पात पर उगेलन सुरुज देव, कहे तोसे सजना तोहर सजनिया, आन दिन उगई छ हो दीनानाथ आदि गीत लोगों के जुबान पर रहते हैं. 72 वर्षीय शारदा सिंहा बेशक स शरीर नहीं लेकिन उनके गीत सदैव आयोजनों को पूर्णतः और सार्थकता प्रदान करेगी।अपने शोक संदेश में राठौर ने लता मंगेशकर के बाद इसे संगीत जगत की सबसे बड़ी क्षति बताया. राठौर ने सरकार से भारत रत्न देने की मांग करते हुए कहा कि संगीत जगत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें यह सम्मान दिया जाना चाहिए. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

Post Bottom Ad

Pages