मधेपुरा: छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया(एसएफआई) की बीएनएमयू इकाई ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया एवं श्रद्धांजलि दी. मौके पर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के बीएनएमयू प्रभारी डॉ. सारंग तनय ने कहा कि हर साल 30 जनवरी को हम महात्मा गांधी के जीवन और विरासत का सम्मान करते हैं, जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम के मार्गदर्शक थे. शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने वाला यह दिन स्वतंत्रता की खोज में किए गए गहन बलिदानों पर चिंतन का क्षण है. डॉ. तनय ने कहा कि महात्मा गांधी का प्रभाव भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई से कहीं आगे तक गया. गांधी ने खिलाफत आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और चंपारण सत्याग्रह जैसे आंदोलनों का नेतृत्व करके लाखों लोगों को सत्य और अहिंसा के झंडे तले एक साथ लाया. फिर भी, उनके आदर्श शाश्वत हैं, जो दुनिया भर की पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं. महात्मा गांधी की दृष्टि राजनीति से परे थी, उन्होंने एक ऐसी दुनिया की कल्पना की जहां सत्य, अहिंसा और करुणा घृणा और विभाजन को दूर कर सकें. उन्होंने कहा कि शहीद दिवस के इतिहास की बात करें तो 30 जनवरी 1948 की घटना आज भी देश की यादों में बसी हुई है. 1948 में इसी दिन नई दिल्ली के बिड़ला हाउस परिसर में गांधी की हत्या कर दी गई थी. यह घटना उनकी नियमित बहु-धार्मिक प्रार्थना सभा के बाद हुई थी. डॉ. तनय ने कहा कि भारत के विभाजन पर गांधी के विचारों का विरोध करने वाले हिंदू महासभा के सदस्य नाथूराम गोडसे ने उन पर तीन गोलियां चलाई, जिससे उनकी तुरंत मृत्यु हो गई. गांधी के अंतिम शब्द "हे राम" थे. अपनी हत्या से कुछ दिन पहले गांधी ने कहा था, "क्या मुझमें बहादुरों जैसी अहिंसा है? मेरी मृत्यु ही यह दर्शाए गई. अगर कोई मुझे मार डाले और मैं अपने होठों पर हत्यारे के लिए प्रार्थना करते हुए मरूं और मेरे दिल में ईश्वर की याद और उनकी जीवंत उपस्थिति की चेतना हो, तभी कहा जाएगा कि मुझमें बहादुरों जैसी अहिंसा थी.डॉ. तनय ने कहा कि गांधी अतीत के होते हुए भी भविष्य के महानायक हैं. पूरे विश्व को सत्य, अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने वाले और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रणेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार एवं आदर्श आज भी हमारे लिए प्रांसगिक है. उनके विचारों और आदर्शों को आत्मसात करने की जरूरत है. सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर उसने देश को आजादी दिलाई. वे निष्काम कर्मयोगी और सच्चे अर्थों में युग पुरूष थे. गाँधीजी का पूरा जीवन ही प्रेरणा है. नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने पहली बार गाँधीजी को 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था. गांधी को समझने की जरूरत है. डॉ. तनय ने कहा कि गांधी को मानें नहीं, बल्कि जानें. मौके पर मनोज आर्या, मनीष कुमार, अनीश कुमार, चंदन कुमार, उपलक्ष्य कुमार, विद्या कुमारी,अंशु कुमारी, नेहा कुमारी, चुन्नी कुमारी, प्रियम कुमारी, साक्षी कुमारी, संजना कुमारी, बाबू रानी, आँचल कुमारी, दिव्यांशु कुमार, राजा कुमार आदि मौजूद रहे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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