दीक्षांत समारोह वर्तमान कुलपति के अड़ियल सोच हुआ कुव्यवस्था का शिकार - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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21 फ़रवरी 2025

दीक्षांत समारोह वर्तमान कुलपति के अड़ियल सोच हुआ कुव्यवस्था का शिकार

मधेपुरा: बुधवार को भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में छठा दीक्षांत समारोह बेशक संपन्न हो गया लेकिन कुलपति की मनमानी और अड़ियल स्वभाव के कारण अपने पीछे कई सवालों को छोड़ गयाा. वाम युवा संगठन एआईवाईएफ के जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के इतिहास का सर्वाधिक कुव्यवस्था के शिकार वाला दीक्षांत बताते हुए वर्तमान कुलपति की कार्यशैली की कड़ी निंदा की. राठौर ने कहा कि विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों में यह चर्चा जोर शोर से रही कि आखिर यह विश्वविद्यालय प्रशासन की कैसी तैयारी थी जिसमें अपने मेहमानों के स्वागत की मेजमानी कर रहा भूपेंद्र नारायण मंडल प्रशासन इतना सुस्त और लापरवाह रहा कि पानी, नाश्ता तक के लिए जहां छात्र छात्राओं को व्याकुल देखा गया वहीं शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से विश्वविद्यालय की बड़ी किरकिरी हुई. मुख्य द्वार की साफ सफाई, रंगाई पुताई सजावट जहां पूर्व के आयोजनों में लोगों को बरबस आकर्षित करती थी वहीं इस बार मुख्य द्वार पर आयोजन के दिन भी जमे धुल की परत हास्यास्पद रही. 
वाम युवा नेता ने कहा कि दीक्षांत समारोह छात्रों का सबसे बड़ा पर्व है जिसको यादगार और भव्य बनाने के बजाय सबकुछ फीका फीका पानी और भोजन तक के लिए परेशानी के साथ प्रमाण पत्र और अंकपत्र में उजागर हुई त्रुटियों ने दीक्षांत को मजाक बना कर रख दिया. विश्वविद्यालय प्रशासन की कुव्यवस्था पर नाराजगी जताते राठौर ने कहा कि छठे दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने पिछले दीक्षांत की खामियों से सीख लेने के बजाय बड़ी संख्या कई और गलती कर गई. छठे दीक्षांत समारोह में यूं तो वर्तमान राज्यपाल सह कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान के आगमन और अध्यक्षता की खबरें लगातार चर्चा में रही लेकिन उनके स्वागत की सड़कों पर कोई खास तैयारी नजर नहीं आई दूसरी तरफ सीनेट बैठक में आए तत्कालीन राजपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के स्वागत के बैनर और तोरण द्वार कई जगह लगे हुए हैं जो कई सवालों को जन्म ही नहीं दे रही बल्कि यह प्रश्न उठने लगे हैं कि राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से इतनी मोहब्बत और आरिफ मोहम्मद खान से इतनी नफरत क्यों. 


ज्ञातव्य हो कि आरिफ मोहम्मद खान के राज्यपाल बनने के कई दिनों बाद तक भी विश्वविद्यालय ने वेबसाइट पर राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को ही राज्यपाल दिखाया. बाद में मीडिया में बहुत किरकिरी होने पर सुधार किया था. वाम युवा नेता राठौर ने कहा कि विगत कुछ दीक्षांत और सीनेट बैठकों जैसी बड़े आयोजनों में साफ सफाई, रंगाई पुताई को मानों विश्वविद्यालय प्रशासन भुला ही बैठा है. लगातार किरकिरी होने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन की नींद नहीं खुलती. मुख्य द्वार के दोनों तरफ फैले गंदगी के अंबार और अतिक्रमण को हटाने के बजाय इस बार भी टेंट के कपड़े से ढक कर काम चलाया गया. वहीं रंगाई पुताई नहीं के बराबर हुई है. लोग पहले दीक्षांत समारोह में हुई तैयारी, रंगाई, पुताई मुख्य द्वार की रंगाई पुताई, दोनों तरफ के दीवारों की रंगाई ही नहीं बल्कि पूरे विश्वविद्यालय प्रशासन की सजावट को याद करते हुए कहते हैं कि दीक्षांत ऐसा होना चाहिए कि लगे कि संस्थान सच में अपने बच्चों और अतिथियों के स्वागत में समर्पित है. 


राठौर ने कहा कि छठे दीक्षांत समारोह में सर्वाधिक चर्चा आयोजन की तैयारी के साथ सबसे ज्यादा दीक्षांत भाषण की श्रृंगार कही जाने वाली दीक्षा भाषण को लेकर रही यह घोर आश्चर्य का विषय रहा कि छठे दीक्षांत समारोह में दीक्षा भाषण की चर्चा कहीं नहीं हुई जबकि हर आयोजन में यह सर्वोपरी रहा है. इसके लिए हर संस्थान बड़ी विद्वत हस्ती का चयन करती है लेकिन यहां तो चर्चा भी नहीं है. ज्ञातव्य हो कि भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय ने जब पहले दीक्षांत समारोह की तैयारी की थी तब प्रखर विदुषी राजनीतिज्ञ तत्कालीन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को दीक्षा भाषण के लिए बुलाया था. यह बात अलग है कि बाद में कतिपय कारणवश दीक्षांत स्थगित हो गया था. जिस बिंदु पर विश्वविद्यालय को सर्वाधिक गंभीर होना था उसी बिंदु को नेपथ्य में डाल देना चिंताजनक है ऐसा लगता है छात्र छात्राओं को महज आने डिग्री लेने और खाने के लिए बुलाया गया है. वाम युवा नेता राठौर ने कहा कि वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में लगातार हो रही फजीहत चिंताजनक है अविलंब अगर विरोध नहीं हुआ तो विश्वविद्यालय मजाक का केंद्र बन कर रह जाएगा. पत्रकारों, छात्र संगठनों सहित अन्य स्तरों के प्रतिनिधियों को नजरअंदाज करने की साजिश सर्वाधिक दुखद रही.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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