डेस्क: भारतीय आध्यात्मिक चिंतन में संपूर्ण चराचर जगत में एकत्व का आदर्श प्रस्तुत किया गया है. हमारी मान्यता है कि एक ही परमात्मा सभी मनुष्यों, मनुष्येतर प्राणियों एवं चराचर जगत में आत्मा के रूप में विद्यमान है. इसलिए हमारी आध्यात्मिकता लोगों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करती है. यह बात बिहार के राज्यपाल राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कही. वे जयप्रकाश नारायण अनुषद भवन में प्रो. विजयश्री की स्मृति में 21वाँ प्रो. (डॉ.) विजयश्री स्मृति व्याख्यानमाला में उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. राष्ट्रबोध विषयक यह व्याख्यानमाला भारत विकास विकलांग न्यास के सेवा एवं संस्कार प्रकोष्ठ, पटना तथा दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति सदियों पुरानी है. हमारे सांस्कृतिक राष्ट्रबोध में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना अंतर्निहित है. हम भारत को इसलिए सशक्त बनाना चाहते हैं, ताकि वह आवश्यकता पड़ने पर संसार के कल्याण हेतु अपना योगदान दे सके. इस अवसर पर मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के प्रो. सुधीर सिंह ने कहा कि भारतबोध मनवबोध है. भारत पूरी दुनिया में धनबल एवं शैन्यबल के कारण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों के लिए जाना जाता है. हम मानवता आधारित सत्ता के माध्यम से ही वर्ष 2047 में विकसित भारत बना सकेंगे. कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यास के महासचिव पद्मश्री विमल जैन ने की और आशीर्वचन रामकृष्ण मिशन आश्रम, मुजफ्फरपुर के सचिव स्वामी भावात्मानंद ने दिया. इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि पटना विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति प्रो. अजय कुमार सिंह तथा सम्मानित अतिथि मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के कुलपति प्रो. एस. पी. शाही ने भी अपने विचार व्यक्त किए।अतिथियों का स्वागत दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. (डॉ) राजेश कुमार सिंह ने किया. संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विजेता ने किया. दर्शन परिषद्, बिहार की कोषाध्यक्ष प्रो. वीणा कुमारी ने प्रो. विजयश्री का संक्षिप्त परिचय दिया. कार्यक्रम में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर तथा बीएनएमयू के शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान ने भी भाग लिया. इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल सह कुलाधिपति श्री आरिफ मोहम्मद खां ने विधिवत दीप प्रज्ज्वलित कर किया. राज्यपाल एवं अन्य अतिथियों का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिह्न भेंटकर सम्मान किया गया. इस अवसर पर भारत विकास विकलांग न्यास के चेयरमैन देशबंधु गुप्ता, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविन्द्र कुमार, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के. सी. सिन्हा, मगध विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. कुसुम कुमारी, बीएचयू् के प्रो. डी. एन. तिवारी, पीयू के प्रो. एन. पी. तिवारी, दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्ष प्रो. पूनम सिंह, उपाध्यक्ष द्वय प्रो. अभय कुमार सिंह एवं प्रो. शैलेश कुमार, महासचिव डॉ. श्यामल किशोर, संयुक्त सचिव द्वय प्रो. किस्मत कुमार सिंह एवं डॉ. सुधांशु शेखर, आरएसएस के क्षेत्र कार्यवाह डॉ मोहन सिंह, अभाविप के पूर्व क्षेत्रीय संगठन मंत्री निखिल रंजन सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी, शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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