
बिहार के जाने माने अधिवक्ता, पत्ऱकारिता जगत में अपनी अमित छाप छोडने वाले, लेखन कला में निपुण, साहित्यकार और सामाजिक कार्यों में हमेशा लिप्त रहने वाले डॉ देवाशीष बोस हमेशा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गये. उनकी अंतिम यात्रा में लोगों की बडी हुजूम शामिल हुए. मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्णिया आदि जिलों से उनके चाहने वाले पत्रकार जगत के महान हस्तियों ने आकर उन्हें श्रद्धासुमन चढाया. उनके शव यात्रा में बंधू बांधव, बुद्धिजीवी, गणमान्य सहित शहर के आम नागरिकों ने भी भाग लिया. रविवार से ही उनके आवास पर लोगों का तांता लगा रहा
मधेपुरा खबर की पुरी टीम ने स्व: देवाशीष बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की.
मधेपुरा खबर की संपादक गरिमा उर्विशा ने बोस जी को अपनी प्रेरणा का आधार बताया और कहा कि नयी पीढी को उनसे सीख लेनी चाहिए. पुरे जीवन काल में उनका व्यक्तित्व काफी उम्दा रहा. स्व: बोस की अंतिम यात्रा में पत्रकार संगठन के कई लोग शामिल हुए.
मधेपुरा खबर के सुनित साना, गरिमा उर्विशा, डॉ रंजन कुमार रमण, विनायक कुमार “विक्की”,मिथुन गुप्ता,अमित आनंद, हिन्दुस्तान के अमिताभ कुमार, संजय परमार, दिलखुश, दैनिक जागरण के प्रदीप झा, प्रशांत अलोक, संतोष कुमार, प्रभात खबर के चंदन कुमार, ईटीवी के तुरबसु, रजिबुर्ररहमान, राष्ट्रीय सहारा के मानसचंद्र सेतु, शाश्वत परमार ओम जी, सहित विभिन्न पार्टी के नेता मौजूद थे. उनके शव यात्रा में शामिल लोगों के अलावा उनके अंतिम दर्शन के लिए सड़क किनारे खड़े लोगों के आंखों में आंसू छलक रहे थे. उनके चाहने वाले देवाशीष बोस अमर रहे का नारा लगा रहे थे. जब उनकी एकलौती बेटी मेहुल बोस चेन्नई से मधेपुरा आवास पहुंची उस समय माहौल और गमगीण हो गया. कोई व्यक्तिदऐसा नहीं जिनके आंखों से आंसू न टपका हो. उनकी पुत्री मेहुल ने उन्हें मुखाग्नि दी. सभी उनके नहीं रहने से समाज को हुई भारी क्षति की बात बता रहे थे. डॉ बोस की आत्मा की शान्ति के लिए कई संगठनों ने भी प्रार्थना किया. लोगों का कहना था कि पत्रकार जगत ने अपना सच्चा साथी खो दिया. इस दुखद मौके पर पत्रकार संजय परमार ने कहा कि पत्रकारों के सच्चे हितैशी हमारे बीच नहीं रहे उनकी कमी अपिर्निय है. सहरसा के पत्रकार संजय सोनी ने कहा कि कई बार डॉ बोस के साथ काम करने का अनुभव मिला जो काफी यादगार क्षण रहे. वेब मिडिया
(रिपोर्टः मधेपुरा:- अमित आनंद)