पत्रकारिता जगत में दिनों दिन गिरावट आ रही है. लोग पत्रकारों को और इस
क्षेत्र से जुड़े अन्य अधिकारियों को गलत नजर से देखते हैं. लोगों के नजर में यह नकारात्मक छवि के रूप में उभर रहा है जबकि सच तो यह है कि पत्रकारिता कहीं से भी
नकारात्मकता को बढ़ावा नहीं देता है. दरअसल यह किसी भी विचारधारा का समर्थन नहीं करता है. इसका काम केवल समाज में हो रही घटनाओं, विचारों को जनता के समक्ष लाना
है. परन्तु अगर समाज में पत्रकारिता की गलत छवि उभरकर आ रही है तो इसका सिर्फ एक
ही कारण है, वह है असामाजिक तत्वों का पत्रकारिता जगत में प्रवेश. सूचना-प्रसारण
मंत्रालय इन्हीं असामाजिक तत्वों को खत्म करने के लिए समाचार पत्र-पत्रिकाओं के
पंजीकरण, साथ ही टीवी चैनलों, न्यूज एजेंसियों और समाचार
पत्र-पत्रिकाओं द्वारा जारी प्रेस कार्ड की मौजूदा नियमावली में संशोधन की तैयारी
कर रही है। देश में दिनोंदिन समाचार पत्र – पत्रिकाओं में तेजी से वृद्धि हो रही
है उस अनुसार पत्रकारों की संख्या भी बढ़ रही है लेकिन इन सबके बीच, कुछ ऐसे चेहरों ने भी पत्रकारिता
जगत में दस्तक दे दी है, जिसके कारण
पत्रकारिता पर सवालिया निशान लगने शुरू हो गए हैं। खबर यह भी है की किसी भी क्षेत्र से प्रतिनिधित्व
करनेवाला दैनिक समाचार पत्र, न्यूज चैनल, न्यूज एजेंसी को प्रतिनिधि नियुक्त करने
के लिए जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन देना होगा, जो जिला सुचना व संपर्क अधिकारी से
सलाह के बाद स्वीकृति प्रदान करेंगे. संशोधित नियमावली के चलते प्रेस कार्ड की
खरीद – फरोख्त और प्रेस लिखे वाहनों पर सरकारी तंत्रों की नजर रहेगी. तथ्य पाए
जाने के उपरान्त अपराधिक मामला कार्ड धारक, कार्ड जारी करनेवाले के हस्ताक्षर और
प्रेस लिखे वाहन के मालिक पर दर्ज होगी.
(रिपोर्ट : मधेपुरा : एस साना)