दरभंगा 28/03/2018
"द स्पौटलाइट थियेटर" एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा स्नातकोत्तर संगीत एवं नाटक विभाग के संयुक्त तत्वावधान मे चल रहे आठ दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव "अष्टदल" के दूसरे दिन बुधवार को हराही पोखर समीप विभिन्न विदेशी लेखकों के कवियों का पाठ किया गया. जिसमे यथा-मैक्सिम गोर्की, कार्ल मार्क्स, बर्तोल ब्रेख्त आदि की कविताओं के हिन्दी अनुवाद का पाठ सागर सिंह और सुष्मिता झा ने संयुक्त रूप से किया.
कविताओं के भाव से स्पष्ट हो रहा था कि कविताएँ चाहे किसी काल परिस्थिति के संदर्भ मे क्यों लिखी गई हो पर काल और स्थान बदल जाने पर भी तत्कालीन परिस्थितियों की छवि उन कविताओं मे देखी जा सकती है.
मैक्सिम गोर्की की कविता जो उस समय बुडापेस्ट के कमजोर लोगों की समस्याओं को ध्यान मे रखकर की गई थी, पर आज के संदर्भ मे हम इसे हाल के किसान आन्दोलन की छवि उस कविता मे देख सकते हैं.
"द स्पौटलाइट थियेटर" एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा स्नातकोत्तर संगीत एवं नाटक विभाग के संयुक्त तत्वावधान मे चल रहे आठ दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव "अष्टदल" के दूसरे दिन बुधवार को हराही पोखर समीप विभिन्न विदेशी लेखकों के कवियों का पाठ किया गया. जिसमे यथा-मैक्सिम गोर्की, कार्ल मार्क्स, बर्तोल ब्रेख्त आदि की कविताओं के हिन्दी अनुवाद का पाठ सागर सिंह और सुष्मिता झा ने संयुक्त रूप से किया.
कविताओं के भाव से स्पष्ट हो रहा था कि कविताएँ चाहे किसी काल परिस्थिति के संदर्भ मे क्यों लिखी गई हो पर काल और स्थान बदल जाने पर भी तत्कालीन परिस्थितियों की छवि उन कविताओं मे देखी जा सकती है.
मैक्सिम गोर्की की कविता जो उस समय बुडापेस्ट के कमजोर लोगों की समस्याओं को ध्यान मे रखकर की गई थी, पर आज के संदर्भ मे हम इसे हाल के किसान आन्दोलन की छवि उस कविता मे देख सकते हैं.
एक नजर
"हम जा पहुंचे सबसे बड़े शहर में,
हममें से एक हजार भूख से पीड़ित थे,
एक परिचय
सागर कुमार सिंह दरभंगा रंगमंच के प्रतिष्ठित नाम हैं. इनका जन्म 28 जुलाई 1988 को कानपुर मे हुआ. कला के प्रति झुकाव रखने वाले सागर ने रंगमंच की शुरुआत कटिहार से की. इनकी कविताएँ सशक्त होती हैं. ये नाटक से स्नातकोत्तर की तथा आकाशवाणी से जुड़े हैं.
सुष्मिता झा रसायन शास्त्र से स्नातकोत्तर के बाद नाटक से स्नातकोत्तर कर रही हैं. ये आकाशवाणी और रंगमंच के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी हैं. कार्यक्रम में पटना से आए हुए राजन सिंह ने अपनी प्रस्तुति दी. कार्यक्रम के सफलता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
जबकि मंच संचालन उज्जवल राज ने किया. मौके पर डॉ. पुष्पम नारायण, डॉ.सत्येन्द्र कुमार झा,मोहन मुरारी, सृष्टि मिश्रा, अखिलेश कुमार झा, अंजली, पल्लवी, ऋषभ, दिवाकर, श्लोक, शिबम, शिवानी, प्रशांत, सुभाष कुमार, अवधेश सहित "स्पौटलाइट थियेटर" के सभी सदस्यों ने सक्रिय भूमिका निभाई. कविता पाठ सुनने के लिए क्लिक करें.
सुष्मिता झा रसायन शास्त्र से स्नातकोत्तर के बाद नाटक से स्नातकोत्तर कर रही हैं. ये आकाशवाणी और रंगमंच के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी हैं. कार्यक्रम में पटना से आए हुए राजन सिंह ने अपनी प्रस्तुति दी. कार्यक्रम के सफलता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
जबकि मंच संचालन उज्जवल राज ने किया. मौके पर डॉ. पुष्पम नारायण, डॉ.सत्येन्द्र कुमार झा,मोहन मुरारी, सृष्टि मिश्रा, अखिलेश कुमार झा, अंजली, पल्लवी, ऋषभ, दिवाकर, श्लोक, शिबम, शिवानी, प्रशांत, सुभाष कुमार, अवधेश सहित "स्पौटलाइट थियेटर" के सभी सदस्यों ने सक्रिय भूमिका निभाई. कविता पाठ सुनने के लिए क्लिक करें.