मधेपुरा के लोग भी कर पाएंगे हमसफर से सफर - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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29 मार्च 2018

मधेपुरा के लोग भी कर पाएंगे हमसफर से सफर

मधेपुरा 28/03/2018 
मधेपुरा स्टेशन पर भी हमसफर ट्रेन के ठहराव को हरी झंडी मिल गयी है. सांसद पप्पू यादव ने बताया कि सदस्य यातायात रेलवे बोर्ड ने मधेपुरा स्टेशन पर हमसफर ट्रेन के ठहराव की स्वीकृति दे दी है.
                    अब मधेपुरा स्टेशन से भी लोग देश की राजधानी तक सीधी रेल यात्रा कर सकेंगे. कटिहार-दिल्ली वाया सहरसा हमसफर एक्सप्रेस का रेलवे बोर्ड ने नंबर भी जारी कर दिया है. इस ट्रेन का परिचालन अगले महीने दस अप्रैल से शुरू होना है. ट्रेन का नंबर 15705/06 रखा गया है.
                  रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर (ट्रैफिक एंड कमर्शियल) पी.पी. लाथे ने जारी पत्र में साप्ताहिक ट्रेन के नंबर के साथ इसके परिचालन की प्रस्तावित तिथि दस अप्रैल बताई है.
कोसी नदी पर पुल बनाने के लिए मिली हरी झंडी 
बीरपुर से बीहपुर एनएच 106 में फुलौत से बिहपुर के बीच कोसी नदी पर पुल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है. कोसी नदी पर इस पुल के बनने से मधेपुरा सहित पूरे कोसी क्षेत्र में विकास का नया रास्ता खुल जाएगा.
                     उम्मीद जतायी जा रही है कि एनएच 106 के दूसरे चरण में उदाकिशुनगंज से बीहपुर तक रोड बनाने की प्रक्रिया भी जल्द शुरू की जाएगी. सांसद पप्पू यादव ने बुधवार को सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलने के बाद सड़क व पुल की स्वीकृति मिलने की बात कही. उन्होंने कहा कि एनएच 106 में बिहपुर से फुलौत के बीच कोसी नदी पर पुल बनाने की सहमति केंद्र सरकार से मिल गयी है.

                   उन्होंने बताया कि कोसी नदी पर 1500 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक पुल का निर्माण कराया जाएगा. फुलौत और बिहपुर के बीच कोसी नदी पर पुल बनाने की सहमति मिलने के बाद एनएच 106 का उद्देश्य पूरा होता नजर आ रहा है. माना जा रहा है कि पन्द्रह साल के लंबे इंतजार के बाद कोसी क्षेत्र के लोगों का सपना अब जल्द ही पूरा होगा.
                         2001 में तत्कालीन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री बीसी खण्डूड़ी की मौजूदगी में केंद्रीय विमानन मंत्री रहे शरद यादव ने एनएच106 एवं 107 के निर्माण कार्य का शिलान्यास कर शीघ्र काम शुरू करने की बात कही थी लेकिन राजनीतिक प्रतिद्वंदता के कारण यह महत्वाकांक्षी योजना फाइलों में ही दफन हो कर रह गयी थी. लगभग एक दशक के बाद एनएच 106 बनाने की जिम्मेदारी विश्व बैंक ने ले ली.

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