"आज की नारी" - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

25 अप्रैल 2018

"आज की नारी"

प्रिया सिन्हा
आज की नारी कहती
मुझे किसी के भी स्नेह भरी छाँव की जरूरत नहीं,
अब अकेले ही इस कड़ी धूप में पिघलने दो मुझे,
सब करीबी लोंगों का सानिध्य बहुत पा लिया,
इसलिए थोड़ा दर्द -ओ-ग़म में भी ढ़लने दो मुझे.
                  आज की नारी कहती है
                   मेरे त्याग बलिदान व प्यार को किसी ने भी समझा नहीं;
                   हर किसी ने समझा कभी मुझे कमज़ोर तो ढ़ूढ़ा मुझमें लाख खाम़ियाँ भी कहीं,
                   ऐ खुदा ! भर दे इतनी खूबियों से तू मेरा दामन और,
                   बन कर एक कसक कमी सबके दिलों में खलने दो मुझे.
आज की नारी कहती है
सहारे की तलाश में जो मैं भटकते रही उम्र भर;
और इस वजह से बन गयी इक दिन मैं बोझ सब पर,
कृप्या कर के छोड़ दो मुझे अकेला अब और नहीं बनना मुझे किसी पे भी बोझ,
दो कदम ही सही पर खुद के दम पर तो अब चलने दो मुझे.
                  आज की नारी कहती है
                 कब तक दूसरों के सहारे आगे बढ़ूगी मैं,
                 आख़िर कब तलक हर किसी पे बोझ बनी रहूंगी मैं,
                 ऐ दोस्त ! थोड़ा भरोसा तो कर मेरे दृढ़ हौसले पे तू,
                 और अब खुद ही पल-पल गिरने संभलने दो मुझे.

आज की नारी कहती है
ऐ मुश्किलों ! मत कर हिम्मत मेरे  मंजिलों को रोकने की तू,
क्योंकि मैं आँधी में जलते हुए उस दीये की तरह से हूँ,
जो हर-पल, हर-दिन जिंदगी और मौत से जूझती रहती है,
तो ऐ हवा ! मुझे बुझाने की कोशिश मत कर अब इस तूफां में भी जलने दो मुझे.
(कल्पना:-प्रिया सिन्हा)

Post Bottom Ad

Pages