मधेपुरा 15/04/2018
प्रतियोगी छात्र सह एसएफआई के विवि प्रभारी सारंग तनय द्वारा निजी स्कूलों में री-एडमिशन के नाम पर मोटी रकम एवं अन्य प्रकाशन की किताब प्रत्येक साल बदले से होने वाली समस्याओं के आलोक में जिला पदाधिकारी को आवेदनकर्ता सौंपा गया.
जिसमें कहा गया कि मधेपुरा जिला पिछड़ा जिला है वर्तमान में नित्य विकास कर रहा है. इस जिले में विभिन्न समुदाय के गरीब परिवार रहते हैं, जहाँ पर बहुत से महादलित एवम् गरीब पिछड़े ग्रामीण इलाके में रहते हैं, जिन्हें अपने बच्चों को सही एवम् गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए निजी स्कूलों में दाखिला करवाते हैं.
जिससे बच्चे का भविष्य उज्ज्वल हो परन्तु जिले के निजी स्कूलों में री-एडमिशन के नाम पर बार-बार मोटी रकम ली जाती है जिसके माध्यम से एक हीं विद्यालय में वर्ग उन्नति में री-एडमिशन के नाम पर गरीब परिवारों का शोषण किया जा रहा है जो कि सरासर गलत है.
निजी स्कूलों में हरेक साल किताब के नाम बदल दिये जाते हैं. NCERT के नाम पर अन्य प्रकाशन की किताब पढ़ाने से अभिभावकों की आर्थिक स्थिति हरेक साल बिगड़ जाती है.
इसलिए प्रत्येक निजी स्कूलों पर री-एडमिशन एवं NCERT की किताब नहीं पढ़ाने पर कानून अनुसार रोक लगाने की दिशा में विभागीय निर्देश जारी करने के लिए अनुरोध किया गया.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
प्रतियोगी छात्र सह एसएफआई के विवि प्रभारी सारंग तनय द्वारा निजी स्कूलों में री-एडमिशन के नाम पर मोटी रकम एवं अन्य प्रकाशन की किताब प्रत्येक साल बदले से होने वाली समस्याओं के आलोक में जिला पदाधिकारी को आवेदनकर्ता सौंपा गया.
जिसमें कहा गया कि मधेपुरा जिला पिछड़ा जिला है वर्तमान में नित्य विकास कर रहा है. इस जिले में विभिन्न समुदाय के गरीब परिवार रहते हैं, जहाँ पर बहुत से महादलित एवम् गरीब पिछड़े ग्रामीण इलाके में रहते हैं, जिन्हें अपने बच्चों को सही एवम् गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए निजी स्कूलों में दाखिला करवाते हैं.
जिससे बच्चे का भविष्य उज्ज्वल हो परन्तु जिले के निजी स्कूलों में री-एडमिशन के नाम पर बार-बार मोटी रकम ली जाती है जिसके माध्यम से एक हीं विद्यालय में वर्ग उन्नति में री-एडमिशन के नाम पर गरीब परिवारों का शोषण किया जा रहा है जो कि सरासर गलत है.
निजी स्कूलों में हरेक साल किताब के नाम बदल दिये जाते हैं. NCERT के नाम पर अन्य प्रकाशन की किताब पढ़ाने से अभिभावकों की आर्थिक स्थिति हरेक साल बिगड़ जाती है.
इसलिए प्रत्येक निजी स्कूलों पर री-एडमिशन एवं NCERT की किताब नहीं पढ़ाने पर कानून अनुसार रोक लगाने की दिशा में विभागीय निर्देश जारी करने के लिए अनुरोध किया गया.
(रिपोर्ट:- ईमेल)