हम अपनी प्राचीन सभ्यता-संस्कृति को भूल गये हैं: कुलपति - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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21 अप्रैल 2018

हम अपनी प्राचीन सभ्यता-संस्कृति को भूल गये हैं: कुलपति


मधेपुरा 21/04/2018
आधुनिक सभ्यता ने मानव जीवन में  कई तरह के संकट उत्पन्न कर दिया है. इसमें सबसे बड़ा संकट है कि हम अपनी प्राचीन सभ्यता-संस्कृति को भूल गये हैं और अपनी जड़ो से कटते जा रहे हैं. यह बात कुलपति डॉ. अवध किशोर राय ने कही. वे शनिवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में भारतीय दार्शनिक दिवस (आदि शंकराचार्य जयंती) के अवसर पर आयोजित एक व्याख्यान  के उद्घाटनकर्ता के रूप में बोल रहे थे. भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा संपोषित इस व्याख्यान का विषय 'आधुनिक सभ्यता का संकट और वेदांती समाधान' था.
                                                 कुलपति ने कहा कि हम आधुनिकता की दौङ में प्राचीन को नहीं भूलें. हम आसमान की ओर देखें, लेकिन हमारे पैर जमीन पर होने चाहिए. उन्होंने कहा कि आधुनिकता 'दिल मांगे मोर' का दौर है. यह हमें सर्वनाश की ओर ले जा रही है. इसके विपरीत प्राचीन वेदांती चिंतन में संयम एवं त्याग का आदर्श प्रस्तुत किया गया है. यह सर्वकल्याण का मार्ग है. कुलपति ने कहा कि वेदांत की दृष्टि में सभी मनुष्य एक हैं. किसी का किसी से कोई विरोध नहीं है.
                                                             सभी मनुष्यों की सेवा ही मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य है. कुलपति ने कहा कि वेदांत 'सर्व खलु इदं ब्रह्म' में विश्वास करता है. यह एकत्व की भावना है. इसमें न केवल सभी मनुष्यों, वरन्  संपूर्ण चराचर जगत को एक माना गया है. यहाँ सभी एक हैं. सबों में एक ही ब्रह्म या ईश्वर का वास है. इसलिए इसमें किसी का किसी से कोई भेद नहीं है. अतः यहाँ किसी भी प्रकार के संकट का सवाल ही पैदा नहीं होता है. वेदांत में  हिंसा, आतंकवाद, अलगावाद, विषमता, पर्यावरण असंतुलन आदि सभी समस्याओं का समाधान है.

              मुख्य वक्ता भागलपुर लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद एवं जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, राजस्थान के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. रामजी सिंह ने कहा कि आधुनिक सभ्यता अपने आपमें एक संकट है और इसने अनगिनत संकटों को जन्म दिया है. इसके कारण न केवल संपूर्ण मानवता, वरन् संपूर्ण सृष्टि ही खतरे में पर गयी है. उन्होंने कहा कि आधुनिक सभ्यता ने उपभोक्तावाद एवं भोगवाद को बढ़ावा दिया है. आज भौतिक समृद्धि बढ़ी है, लेकिन मानव जीवन दुष्कर हो गया है. अमेरिका जैसे विकसित देशों के लोग भी सच्चे सुख-चैन  एवं शांति को तरसते हैं. अतः आज पूरी दुनिया भारतीय सभ्यता-संस्कृति और विशेषकर वेदांत चिंतन की ओर आकर्षित हो रही है.
                         वेदांत में ही दुनिया के सभी दुख-दर्द का सच्चा एवं स्थाई समाधान है. उन्होंने  कहा कि वेदांत चिंतन मात्र मायावाद नहीं है. यह बिल्कुल एक व्यावहारिक जीवन दर्शन है. यह 'वसुधैव कुटुंबकम्' एवं 'सर्वेभवन्तु सुखिनः' के आदेशों पर आधारित है. मुख्य अतिथि मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. ज्ञानन्जय द्विवेदी ने कहा कि आधुनिक सभ्यता के दुष्प्रभावों के कारण हमारी प्राचीन भारतीय सभ्यता-संस्कृति के लिए पहचान का संकट खड़ा हो गया है. आधुनिकता की अंधीदौङ में हम अपने आपको नहीं पहचान पा रहे हैं. अध्यक्षता कर रहे प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. परमानंद यादव ने कहा कि इस व्याख्यान का आयोजन नैक मूल्यांकन में लाभदायक होगा.

                                                      उन्होंने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने पहली बार आदि शंकराचार्य की जयंती को भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया है. इस हेतु ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय का चयन गर्व की बात है. कार्यक्रम के पूर्व महाविद्यालय के महावीर द्वार पर एनसीसी के कैडेटों ने कुलपति को गार्ड आॅफ आॅनर दिया. कुलपति एवं अन्य लोगों द्वारा महाविद्यालय परिसर स्थित ठाकुर प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. तदुपरांत अतिथियों का अंगवस्त्रम् एवं पुस्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया. तदुपरांत कुलपति एवं अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत कार्यक्रम की शुरुआत की. कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव सह  दर्शनशास्त्र के नवनियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु शेखर ने किया.
                                   धन्यवाद ज्ञापन सिंडीकेट सदस्य डॉ. जवाहर पासवान ने की. कार्यक्रम में महाविद्यालय  छात्रसंघ अध्यक्ष अभिमन्यु कुमार और पत्रकार तुरबसु बंटी ने भी अपने विचार व्यक्त किये. इस अवसर पर सिंडीकेट सदस्य डॉ. अजय कुमार, डॉ.कपिलदेव प्रसाद,  डॉ. दिनेश प्रसाद यादव, डॉ. बी. पी. यादव, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डॉ. सुमन कुमार झा, डॉ. रतनदीप, डॉ. शिवनंदन कुमार, डॉ. ए के मल्लिक, डॉ.मनोज कुमार, डॉ. गजेन्द्र कुमार, डॉ. अरूण कुमार,  गुड्डू कुमार, डॉ. विजया कुमारी, डॉ. ललन प्रकाश सहनी, अमित कुमार, डॉ.मिथिलेश कुमार, रंजन यादव, मुन्ना कुमार, दिलीप कुमार दिल, डेविड यादव, उपेन्द्र कुमार सहित बङी संख्या में शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.

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