दरभंगा 14/04/2018
शनिवार को संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जयंती समारोह के अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय कामेश्वर नगर दरभंगा द्वारा 127वी जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
इस अवसर पर कुलपति डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके मार्ग पर अनुशरण करने का आह्वान किया. इससे पूर्व बाबा साहेब के चित्र पर माल्यार्पण अर्पित किया गया. उन्होंने कहा कि बाबा साहब भारत के अग्रणी महापुरुष थे. बाबा साहब अंबेडकर भारतीय सेना के एक अधिकारी के पुत्र थे उनके पिता के अधिकारी वर्ग के पद के बावजूद, अंबेडकर और उनका परिवार भारत की एक दलित जाति से संबंधित था.
भारतीय परंपरा के अनुसार, जाति प्रथा समाज के प्रत्येक सदस्य की भूमिका निर्धारित करती थी. दलित जाति का होने के नाते, अंबेडकर जी को अछूत माना जाता था. 19वीं और 20वीं शताब्दी के दौरान भारतीय जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अछूत था. कई मामलों में, लोगों को केवल गरीबी और ऐसी अन्य स्थितियों के कारण दलित की श्रेणी में डाल दिया जाता था जिनपर किसी का कोई नियंत्रण नहीं होता है. अछूतों को कई रोजगार और शैक्षिक अवसरों से दूर रखा जाता था.
अछूत अलग भी रहते थे. अछूत होने के कारण, अंबेडकर जी को अपनी बाल्यावस्था के दौरान बहुत सारे भेदभाव का सामना करना पड़ा था. दलित होने के बावजूद, अंबेडकर जी ने स्कूल में बहुत कठिन परिश्रम के साथ पढ़ाई की. अपने कठिन परिश्रम की वजह से उन्होंने हाई स्कूल की प्रवेश परीक्षाओं के दौरान बहुत अच्छे अंक प्राप्त किये. अछूतों को हाई स्कूल के स्तर की पढ़ाई करने का बहुत कम अवसर मिलता था, इसलिए अंबेडकर जी के जीवन में यह एक बहुत महत्वपूर्ण क्षण था.
जहाँ अंबेडकर जी रहते थे वहां के अछूतों के समुदाय ने उनकी सफलता का जश्न मनाया और उन्हें उपहारों से सम्मानित किया.अंबेडकर जी की बढ़ती प्रसिद्धि की यह केवल एक शुरुआत थी.
शनिवार को संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जयंती समारोह के अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय कामेश्वर नगर दरभंगा द्वारा 127वी जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
इस अवसर पर कुलपति डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके मार्ग पर अनुशरण करने का आह्वान किया. इससे पूर्व बाबा साहेब के चित्र पर माल्यार्पण अर्पित किया गया. उन्होंने कहा कि बाबा साहब भारत के अग्रणी महापुरुष थे. बाबा साहब अंबेडकर भारतीय सेना के एक अधिकारी के पुत्र थे उनके पिता के अधिकारी वर्ग के पद के बावजूद, अंबेडकर और उनका परिवार भारत की एक दलित जाति से संबंधित था.
भारतीय परंपरा के अनुसार, जाति प्रथा समाज के प्रत्येक सदस्य की भूमिका निर्धारित करती थी. दलित जाति का होने के नाते, अंबेडकर जी को अछूत माना जाता था. 19वीं और 20वीं शताब्दी के दौरान भारतीय जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अछूत था. कई मामलों में, लोगों को केवल गरीबी और ऐसी अन्य स्थितियों के कारण दलित की श्रेणी में डाल दिया जाता था जिनपर किसी का कोई नियंत्रण नहीं होता है. अछूतों को कई रोजगार और शैक्षिक अवसरों से दूर रखा जाता था.
अछूत अलग भी रहते थे. अछूत होने के कारण, अंबेडकर जी को अपनी बाल्यावस्था के दौरान बहुत सारे भेदभाव का सामना करना पड़ा था. दलित होने के बावजूद, अंबेडकर जी ने स्कूल में बहुत कठिन परिश्रम के साथ पढ़ाई की. अपने कठिन परिश्रम की वजह से उन्होंने हाई स्कूल की प्रवेश परीक्षाओं के दौरान बहुत अच्छे अंक प्राप्त किये. अछूतों को हाई स्कूल के स्तर की पढ़ाई करने का बहुत कम अवसर मिलता था, इसलिए अंबेडकर जी के जीवन में यह एक बहुत महत्वपूर्ण क्षण था.
जहाँ अंबेडकर जी रहते थे वहां के अछूतों के समुदाय ने उनकी सफलता का जश्न मनाया और उन्हें उपहारों से सम्मानित किया.अंबेडकर जी की बढ़ती प्रसिद्धि की यह केवल एक शुरुआत थी.
छात्रों द्वारा किया गया गीत एवं नाटकों की प्रस्तुति
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग कामेश्वर नगर दरभंगा में डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती समारोह के अवसर पर जुबली हॉल में संगीत एवं नाट्य विभाग के छात्रों द्वारा विभागाध्यक्ष लावण्या कृति सिंह काव्य के नेतृत्व में कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई. जिसमें पहले संगीत के छात्रों द्वारा कुलगीत की प्रस्तुति दी गई.
जिसमें मोहित पांडेय, सुजीत कु दुबे, केशव कुमार, धीरज,कृष्ण, मुरारी, दिलीप झा, दीपक,कुंदन, अमोद, अमरेश, राजन मिश्रा शामिल थे. उसके बाद अभियान गीत मोहित पांडेय, केशव कुमार, सुजीत दुबे, राजन मिश्रा, सुनीत साना, बबली झा, कंचन झा, अस्वनिधि कुमारी, दीपक, पंकज, किशन कुमार ने प्रस्तुति देकर माहौल को खुशनुमा बना दिया. वही मोहित पांडेय एवं सुजीत दुबे ने पूर्वी गाकर दर्शकों की वाह वाही लूटी.
झूमर गीत पर नाट्यशास्त्र के छात्र साधना श्रीवास्तव एवं चंदना कुमारी ने नृत्य प्रस्तुति कर एक अलग छाप छोड़ी. वही नाट्यशास्त्र प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के छात्रों द्वारा नाटकों की प्रस्तुति दी गई. पहले माइम (मूक अभिनय) की प्रस्तुति देकर दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया.
जिसमें सुमित ठाकुर, सुशांत कुमार सिंह, श्याम किशोर कामत, राजकुमार, सुष्मिता कुमारी, सुमन कुमार वृक्ष ने अपनी अभिनय का लोहा बनाया.वही "नाटक क्यूँ" की प्रस्तुति देकर समाज में हो रही बुराइयां एवं कृतियों पर प्रहार किया गया. नाटक का थीम विभाग के छत्रों ने मिलकर सुझाया एवं इससे निर्देशित भी नाट्यशास्त्र के सभी छात्रों ने मिलकर किया.
नाटक में किशन कुमार, रतन कृष्ण देव, फिरोज आलम, चेतन निर्भय, अक्षय कुमार, अविनाश तिवारी, अमरेश कुमार, मधुसूदन कुमार, साधना श्रीवास्तव, चंदना कुमारी, आलोक रंजन, दीपक कुमार पप्पू, राजेश कुमार, मोहम्मद शहंशाह, सुनीत साना, राजकुमार ने अपने अभिनय के माध्यम से लोगों के बीच एक संदेश देने का काम किया. मौके पर विभाग के शिक्षक हेमेंद्र कुमार लाभ, महेंद्र नारायण चौधरी, वेद प्रकाश सिंह, सुधीर कुमार सहित आदि लोग मौजूद थे.
जिसमें मोहित पांडेय, सुजीत कु दुबे, केशव कुमार, धीरज,कृष्ण, मुरारी, दिलीप झा, दीपक,कुंदन, अमोद, अमरेश, राजन मिश्रा शामिल थे. उसके बाद अभियान गीत मोहित पांडेय, केशव कुमार, सुजीत दुबे, राजन मिश्रा, सुनीत साना, बबली झा, कंचन झा, अस्वनिधि कुमारी, दीपक, पंकज, किशन कुमार ने प्रस्तुति देकर माहौल को खुशनुमा बना दिया. वही मोहित पांडेय एवं सुजीत दुबे ने पूर्वी गाकर दर्शकों की वाह वाही लूटी.
झूमर गीत पर नाट्यशास्त्र के छात्र साधना श्रीवास्तव एवं चंदना कुमारी ने नृत्य प्रस्तुति कर एक अलग छाप छोड़ी. वही नाट्यशास्त्र प्रथम एवं तृतीय सेमेस्टर के छात्रों द्वारा नाटकों की प्रस्तुति दी गई. पहले माइम (मूक अभिनय) की प्रस्तुति देकर दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया.
जिसमें सुमित ठाकुर, सुशांत कुमार सिंह, श्याम किशोर कामत, राजकुमार, सुष्मिता कुमारी, सुमन कुमार वृक्ष ने अपनी अभिनय का लोहा बनाया.वही "नाटक क्यूँ" की प्रस्तुति देकर समाज में हो रही बुराइयां एवं कृतियों पर प्रहार किया गया. नाटक का थीम विभाग के छत्रों ने मिलकर सुझाया एवं इससे निर्देशित भी नाट्यशास्त्र के सभी छात्रों ने मिलकर किया.
नाटक में किशन कुमार, रतन कृष्ण देव, फिरोज आलम, चेतन निर्भय, अक्षय कुमार, अविनाश तिवारी, अमरेश कुमार, मधुसूदन कुमार, साधना श्रीवास्तव, चंदना कुमारी, आलोक रंजन, दीपक कुमार पप्पू, राजेश कुमार, मोहम्मद शहंशाह, सुनीत साना, राजकुमार ने अपने अभिनय के माध्यम से लोगों के बीच एक संदेश देने का काम किया. मौके पर विभाग के शिक्षक हेमेंद्र कुमार लाभ, महेंद्र नारायण चौधरी, वेद प्रकाश सिंह, सुधीर कुमार सहित आदि लोग मौजूद थे.