नए वर्ष में गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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31 दिसंबर 2018

नए वर्ष में गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद

मधेपुरा
महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती वर्ष (2018-19) में बीएनएमयू, मधेपुरा में गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद है. हाल ही में स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग की ओर से गाँधी विचार में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव आया है.
                  दिसंबर के प्रथम सप्ताह में स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग की विभागीय परिषद् की बैठक विभागाध्यक्ष सह संकायाध्यक्ष डॉ. ज्ञानंजय द्विवेदी की अध्यक्षता में हुई. इसमें डाॅ. द्विवेदी के अलावा एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. शिवशंकर कुमार और असिस्टेंट प्रोफेसर सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर उपस्थित थे.
                    सबों ने मिलकर सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि स्नातकोत्तर स्तर पर गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू करने हेतु प्रक्रिया पूरी करने के लिए विश्वविद्यालय को प्रस्ताव भेजा जाए. 
दर्शनशास्त्र विभाग का प्रस्ताव
दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा विश्वविद्यालय में एक प्रस्ताव जमा कराया गया है. इसमें कहा गया है कि पड़ोस के तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में गाँधी विचार एक लोकप्रिय विषय है. वहाँ मधेपुरा और आसपास के क्षेत्र से भी काफी विद्यार्थी नामांकन लेते हैं.
                 इसलिए मधेपुरा में गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू करने से यहाँ के विद्यार्थियों को सुविधा होगी. इसके अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) सह जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ सुधांशु शेखर को गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू करने हेतु नियमावली एवं पाठ्यक्रम के निर्माण हेतु प्रस्तावित समिति के संयोजन की जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव किया गया है.
                 यह कहा गया है कि डाॅ. शेखर दर्शनशास्त्र के अलावा गाँधी विचार से भी स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है और दोनों ही विषयों से नेट (यूजीसी) भी उत्तीर्ण हैं. 
भागलपुर में है पहला विभाग
डाॅ. शेखर ने बताया कि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर दुनिया में स्नातकोत्तर गाँधी विचार विभाग की स्थापना करने वाला पहला विश्वविद्यालय है. यहाँ वर्ष 1980 से अध्ययन-अध्यापन की शुरुआत हुई.
                  इसका श्रेय संस्थापक विभागाध्यक्ष सह पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति डाॅ. रामजी सिंह को जाता है. उन्होंने युवा पीढ़ी को गाँधी-विचार से जोड़ने के उद्देश्य से इसकी शुरुआत की थी. अब तक यहाँ से लगभग दो हजार विद्यार्थियों ने एम. ए. और 50 ने पी-एच. डी. की उपाधि प्राप्त की है. इनमें बारह जेआरएफ, 40 नेट और 76 बेट भी उत्तीर्ण हैं. हाल ही में बिहार लोक सेवा आयोग की अनुशंसाओं के आलोक में यहाँ चार असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति भी हुई है. 
राजभवन के भी सहयोग की उम्मीद
बीएनएमयू में स्नातकोत्तर गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव सराहनीय है. इस प्रस्ताव को राजभवन से भी सकारात्मक सहयोग मिलने की उम्मीद है कुलाधिपति लालजी टंडन ने गत एक अक्टूबर को पटना विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए गाँधी-दर्शन को शिक्षा-व्यवस्था में समाहित करने की जरूरत बताई है.
                       उन्होंने कहा था कि, "विश्वभर में बढ़ते तनाव, हिंसा, क्षेत्रवाद एवं आतंकवाद के बीच 'गाँधीवाद' और 'गाँधी' के शिक्षा-दर्शन पर विचार करना आवश्यक है."
मंत्री का भी सकारात्मक रूख
मालूम हो कि कुलपति प्रोफेसर डाॅ. अवध किशोर राय ने गत 23 दिसंबर को दीक्षांत समारोह में प्रस्तुत अपने प्रगति-प्रतिवेदन में भी अन्य विषयों के अलावा स्नातकोत्तर स्तर पर गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू करने का जिक्र किया था.
                    समारोह में उपस्थित शिक्षा मंत्री कृष्णानंद प्रसाद वर्मा ने भी नए कोर्स शुरू करने के प्रस्तावों की सराहना की और घोषणा की कि इसमें राज्य सरकार से हरसंभव मदद दी जाएगी. मंत्री की घोषणा से विश्वविद्यालय में नए कोर्स शुरू करने की प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है. 
कुलपति के प्रयासों ने लाया रंग
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि कुलपति डाॅ. राय के प्रयासों से विश्वविद्यालय मुख्यालय में महज एक वर्ष में बी. लिस. एवं एम. लिस. की पढ़ाई शुरू हो चुकी है और बी. एड. एवं एम. एड. की पढ़ाई शुरू होने जा रही है. इसके अलावा एस. सी. ए. एवं एम. बी. ए. की पढ़ाई का प्रस्ताव एकेडमिक काउंसिल एवं सिंडीकेट से पारित हो चुका है.
                      इसे राजभवन एवं बिहार सरकार को मान्यता के लिए भेजा जा चुका है. इधर, पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की नियमावली एवं पाठ्यक्रम के निर्माण हेतु एक समिति का गठन किया जा चुका है. इस तरह नए पाठ्यक्रमों को शुरू करने की प्रक्रिया निरंतर जारी है और आगे गाँधी विचार की बारी है. 

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