पटना
पटना में फरवरी का पहला सप्ताह गर्म रहेगा. राजनीति के मंच पर जहां कांग्रेस अध्यक्ष बड़ी रैली के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, वहीं पटना लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज शुक्रवार से होगा.
इसमें एक बार फिर बड़े नामचीन लेखक, चिंतक, मानवतावादी, राजनेता और मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियां विभिन्न विषयों पर अपनी बेबाक राय व्यक्त करने को पटना में जुटेंगी. लिटरेचर फेस्टिवल के इस मंच पर राजनीति के बाण भी छूटेंगे और हास्य का रंग भी बिखरेगा, सिनेमा की जगमगाहट होगी तो गंभीरतम विषयों का सोता भी फूटेगा. पटना के ज्ञान भवन में 1- 3 फरवरी तक चलने वाले साहित्य के इस उत्सव “पटना लिटरेचर फेस्टिवल 2019 का उद्घाटन 1 फरवरी को 11:30 बजे बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के द्वारा उप मुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी और कला और संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि की उपस्थिति में किया जायेगा.
पीएलएफ का आयोजन ज्ञान भवन में कला , संस्कृति एवं युवा विभाग और नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के द्वारा हो रहा है जिसमें देश - विदेश के प्रख्यात लेखक शिरकत करेंगे. पीएलएफ में 34 सत्र आयोजित होंगे जिसमें 8 भाषाओं में संवाद होगा और लेखकों की संख्या कुल 85 है. इसके साथ ही 2 सांस्कृतिक कार्यक्रम 1 और 2 फरबरी को होंगे जिसमें क्रमशः निज़ामी ब्रदर्स की कव्वाली और हिमांशु बाजपेयी की दास्तानगोई शामिल है. प्राचीन सभ्यता से लेकर युद्ध तक, जिसने इतिहास के प्रवाह को बदलकर, रहस्य और मिथक को नया आयाम दिया, उन विषयों पर फेस्टिवल के वर्ष 2019 के संस्करण में विविध दिलचस्प सत्रों का आयोजन होगा.
3 दिवसीय फेस्टिवल के दौरान फ्लैश फिक्शन कॉन्टेस्ट के विनर की जानकारी दी जाएगी. इस साहित्य उत्सव की शुरुआत 2018 में महरूम हुए साहित्यिक लोगों को याद करके होगी. आयोजन में प्रसिद्ध लेखक नरेंद्र कोहली, उषाकिरण खान, मैत्रयी पुष्पा, पवन के वर्मा, अश्वनी कुमार, आलोक धन्वा, गगन गिल, हृषिकेश सुलभ, केकी दारूवाला, यतींद्र मिश्र, वंदना राग, अनामिका, महुआ माझी आदि भाग लेंगे. पटना लिटरेचर फेस्टिवल देश भर के साहित्य, कला, संस्कृति, मीडिया और अधिक से अधिक साहित्यकारों और विचारकों को एक साथ लाने का एक प्रयास है.
समारोह में प्रासंगिक मुद्दों पर वार्ता और पैनल चर्चा, वृत्तचित्र फिल्मों की स्क्रीनिंग, सांस्कृतिक प्रदर्शन और बिहार की कला और शिल्प परंपरा का प्रदर्शन आदि शामिल होंगे. बिहार में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं पर विशेष जोर देते हुए,इस साहित्य के उत्सव में हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं के लेखक और वक्ता शामिल रहेंगे. पटना लिटरेचर फेस्टिवल का शुभारंभ 2013 में नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा कला, संस्कृति और युवा विभाग, सरकार के सहयोग से किया गया था.
इसका उद्देश्य बिहार राज्य की युवा पीढ़ी को भाषा और साहित्य के क्षेत्र में पढ़ने, लिखने और भाषा और संस्कृति के क्षेत्र में प्रेरित करना और स्थानीय, भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय लेखकों और बिहार के युवाओं के बीच बातचीत के लिए एक अनौपचारिक स्थान बनाना है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
पटना में फरवरी का पहला सप्ताह गर्म रहेगा. राजनीति के मंच पर जहां कांग्रेस अध्यक्ष बड़ी रैली के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, वहीं पटना लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज शुक्रवार से होगा.
इसमें एक बार फिर बड़े नामचीन लेखक, चिंतक, मानवतावादी, राजनेता और मनोरंजन जगत की मशहूर हस्तियां विभिन्न विषयों पर अपनी बेबाक राय व्यक्त करने को पटना में जुटेंगी. लिटरेचर फेस्टिवल के इस मंच पर राजनीति के बाण भी छूटेंगे और हास्य का रंग भी बिखरेगा, सिनेमा की जगमगाहट होगी तो गंभीरतम विषयों का सोता भी फूटेगा. पटना के ज्ञान भवन में 1- 3 फरवरी तक चलने वाले साहित्य के इस उत्सव “पटना लिटरेचर फेस्टिवल 2019 का उद्घाटन 1 फरवरी को 11:30 बजे बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के द्वारा उप मुख्यमंत्री श्री सुशील मोदी और कला और संस्कृति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि की उपस्थिति में किया जायेगा.
पीएलएफ का आयोजन ज्ञान भवन में कला , संस्कृति एवं युवा विभाग और नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स के द्वारा हो रहा है जिसमें देश - विदेश के प्रख्यात लेखक शिरकत करेंगे. पीएलएफ में 34 सत्र आयोजित होंगे जिसमें 8 भाषाओं में संवाद होगा और लेखकों की संख्या कुल 85 है. इसके साथ ही 2 सांस्कृतिक कार्यक्रम 1 और 2 फरबरी को होंगे जिसमें क्रमशः निज़ामी ब्रदर्स की कव्वाली और हिमांशु बाजपेयी की दास्तानगोई शामिल है. प्राचीन सभ्यता से लेकर युद्ध तक, जिसने इतिहास के प्रवाह को बदलकर, रहस्य और मिथक को नया आयाम दिया, उन विषयों पर फेस्टिवल के वर्ष 2019 के संस्करण में विविध दिलचस्प सत्रों का आयोजन होगा.
3 दिवसीय फेस्टिवल के दौरान फ्लैश फिक्शन कॉन्टेस्ट के विनर की जानकारी दी जाएगी. इस साहित्य उत्सव की शुरुआत 2018 में महरूम हुए साहित्यिक लोगों को याद करके होगी. आयोजन में प्रसिद्ध लेखक नरेंद्र कोहली, उषाकिरण खान, मैत्रयी पुष्पा, पवन के वर्मा, अश्वनी कुमार, आलोक धन्वा, गगन गिल, हृषिकेश सुलभ, केकी दारूवाला, यतींद्र मिश्र, वंदना राग, अनामिका, महुआ माझी आदि भाग लेंगे. पटना लिटरेचर फेस्टिवल देश भर के साहित्य, कला, संस्कृति, मीडिया और अधिक से अधिक साहित्यकारों और विचारकों को एक साथ लाने का एक प्रयास है.
समारोह में प्रासंगिक मुद्दों पर वार्ता और पैनल चर्चा, वृत्तचित्र फिल्मों की स्क्रीनिंग, सांस्कृतिक प्रदर्शन और बिहार की कला और शिल्प परंपरा का प्रदर्शन आदि शामिल होंगे. बिहार में बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं पर विशेष जोर देते हुए,इस साहित्य के उत्सव में हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं के लेखक और वक्ता शामिल रहेंगे. पटना लिटरेचर फेस्टिवल का शुभारंभ 2013 में नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा कला, संस्कृति और युवा विभाग, सरकार के सहयोग से किया गया था.
इसका उद्देश्य बिहार राज्य की युवा पीढ़ी को भाषा और साहित्य के क्षेत्र में पढ़ने, लिखने और भाषा और संस्कृति के क्षेत्र में प्रेरित करना और स्थानीय, भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय लेखकों और बिहार के युवाओं के बीच बातचीत के लिए एक अनौपचारिक स्थान बनाना है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)