मधेपुरा
अपने कारनामों से हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सहरसा के सदर थानाध्यक्ष निलंबित कर दिए गए हैं. बताते चलें कि सदर थानाध्यक्ष राजमणि हमेशा ही किसी न किसी कांड में गलत तरीके से किसी बेकसूर को जेल भेज देना या किसी से पैसे लेकर केस से उसका नाम हटा देना आदि खबरों से चर्चा में रहे हैं.
मधेपुरा खबर के संज्ञान में पिछले दिनों सहरसा प्रखंड के सुलिंदाबाद पंचायत में भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों में मारपीट हुई थी. एक पक्ष के लोगों ने सहरसा स्थित लॉर्ड बुद्धा मेडिकल कॉलेज के छात्रों को बुलवाकर कुछ देर के लिए गांव को रणभूमि में तब्दील कर दिया था. वहीं सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस से जब दूसरे पक्ष के लोगों ने गुहार लगाई तो उन्हें गुमराह कर इलाज के नाम पर जीप में बैठाकर थाने ले गए और जेल में बंद कर दिया.
वहीं पिछले दिनों न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने के लिए प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार ने सदर थानाध्यक्ष राजमणि का वेतन रोकने का आदेश जारी किया गया था. यह कार्रवाई न्यायालय में निलंबित एक मामले में अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए सदर थाना को कई बार भेजे गए गिरफ्तारी वारंट का तामिला नहीं करने के कारण की गई थी.
साथ हीं न्यायालय के आदेश की अवहेलना के लिए सदर थानाध्यक्ष को 31 जुलाई 2019 को कारणपृच्छा भी जारी किया गया था, जिसका जबाब भी उन्होंने अबतक नहीं दिया था. जबकि न्यायालय ने सुलिंदाबाद निवासी दस अभियुक्तों के विरुद्ध कई बार गिरफ्तारी वारंट जारी किया. फिर भी थानाध्यक्ष द्वारा उसका तामिला नहीं किया गया और थानाध्यक्ष की ऐसी बहादुरी के कई ऐसे कारनामे और भी हैं.
हाल हीं में एक ऑडियो वायरल हुआ जिससे थानाध्यक्ष को अपनी नौकरी से निलंबित होना पड़ा. सहरसा में एक केस से नाम हटाने को लेकर सदर थानाध्यक्ष द्वारा मांगी गई व्यवस्था से संबधित ऑडियो वायरल होने से विभिन्न अखबारों में खबर प्रकाशित होते हीं पुलिस महकमा हरकत में आ गया. कोसी रेंज के डीआईजी सुरेश प्रसाद चौधरी ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सदर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर राजमणि को हटाते हुए विभागीय जांच का निर्देश दिया है.
डीआईजी ने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. एसपी राकेश कुमार ने बताया कि सदर थानाध्यक्ष को निलंबित करते हुए लाइन हाजिर कर दिया गया है. वायरल ऑडियो में सदर थानाध्यक्ष और एक युवक के बीच आर्म्स एक्ट से नाम हटाने को लेकर काफी देर तक बातचीत होती है.
स्थानीय भाषा मैथिली में हो रही बातचीत के दौरान कई मामले में वांछित रह चुका युवक सदर थानाध्यक्ष को यह बताते हुए सुना जा रहा है कि कौन से मामले में किस तरह का दफा लगने से केस कमजोर हो जाता है. सदर थानाध्यक्ष युवक से कह रहा है कि धारा 307 का केस हमारे पास रहेगा और 27 आर्म्स एक्ट का केस डीएसपी के पास चला जाएगा. कई तरह की बातों के बाद सदर थानाध्यक्ष कहते हैं कि "कुछ व्यवस्था करतैय" .
थानाध्यक्ष यह भी कहते हैं कि "तोहर पैरवी डीएसपी मुख्यालय साहब भी किये थे". उल्लेखनीय है कि बातचीत में जिस डीएसपी मुख्यालय की चर्चा की जा रही उनका सहरसा से तबादला हो चुका है. मधेपुरा खबर ने इस बात की सच्चाई का पता लगाने के लिए अपने फेसबुक पेज पर एक ऑनलाइन वोटिंग करवाया था, जिससे यह पता चल सके कि थानाध्यक्ष के साथ गलत हुआ या सही.
लेकिन वोटिंग के दौरान सबसे ज्यादा वोटिंग विरोध में हीं पड़ी. इससे यह साफ जाहिर होता है कि थानाध्यक्ष के द्वारा लोग सताए हुए थे. यहां पर यह कहावत सही हो गई कि "भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं". सहरसा एसपी राकेश कुमार ने बताया कि ऑडियो वायरल होने की जानकारी मिलने के बाद सदर थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है. विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है.
अपने कारनामों से हमेशा सुर्खियों में रहने वाले सहरसा के सदर थानाध्यक्ष निलंबित कर दिए गए हैं. बताते चलें कि सदर थानाध्यक्ष राजमणि हमेशा ही किसी न किसी कांड में गलत तरीके से किसी बेकसूर को जेल भेज देना या किसी से पैसे लेकर केस से उसका नाम हटा देना आदि खबरों से चर्चा में रहे हैं.
मधेपुरा खबर के संज्ञान में पिछले दिनों सहरसा प्रखंड के सुलिंदाबाद पंचायत में भूमि विवाद को लेकर दो पक्षों में मारपीट हुई थी. एक पक्ष के लोगों ने सहरसा स्थित लॉर्ड बुद्धा मेडिकल कॉलेज के छात्रों को बुलवाकर कुछ देर के लिए गांव को रणभूमि में तब्दील कर दिया था. वहीं सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस से जब दूसरे पक्ष के लोगों ने गुहार लगाई तो उन्हें गुमराह कर इलाज के नाम पर जीप में बैठाकर थाने ले गए और जेल में बंद कर दिया.
वहीं पिछले दिनों न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने के लिए प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार ने सदर थानाध्यक्ष राजमणि का वेतन रोकने का आदेश जारी किया गया था. यह कार्रवाई न्यायालय में निलंबित एक मामले में अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए सदर थाना को कई बार भेजे गए गिरफ्तारी वारंट का तामिला नहीं करने के कारण की गई थी.
साथ हीं न्यायालय के आदेश की अवहेलना के लिए सदर थानाध्यक्ष को 31 जुलाई 2019 को कारणपृच्छा भी जारी किया गया था, जिसका जबाब भी उन्होंने अबतक नहीं दिया था. जबकि न्यायालय ने सुलिंदाबाद निवासी दस अभियुक्तों के विरुद्ध कई बार गिरफ्तारी वारंट जारी किया. फिर भी थानाध्यक्ष द्वारा उसका तामिला नहीं किया गया और थानाध्यक्ष की ऐसी बहादुरी के कई ऐसे कारनामे और भी हैं.
हाल हीं में एक ऑडियो वायरल हुआ जिससे थानाध्यक्ष को अपनी नौकरी से निलंबित होना पड़ा. सहरसा में एक केस से नाम हटाने को लेकर सदर थानाध्यक्ष द्वारा मांगी गई व्यवस्था से संबधित ऑडियो वायरल होने से विभिन्न अखबारों में खबर प्रकाशित होते हीं पुलिस महकमा हरकत में आ गया. कोसी रेंज के डीआईजी सुरेश प्रसाद चौधरी ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सदर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर राजमणि को हटाते हुए विभागीय जांच का निर्देश दिया है.
डीआईजी ने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. एसपी राकेश कुमार ने बताया कि सदर थानाध्यक्ष को निलंबित करते हुए लाइन हाजिर कर दिया गया है. वायरल ऑडियो में सदर थानाध्यक्ष और एक युवक के बीच आर्म्स एक्ट से नाम हटाने को लेकर काफी देर तक बातचीत होती है.
स्थानीय भाषा मैथिली में हो रही बातचीत के दौरान कई मामले में वांछित रह चुका युवक सदर थानाध्यक्ष को यह बताते हुए सुना जा रहा है कि कौन से मामले में किस तरह का दफा लगने से केस कमजोर हो जाता है. सदर थानाध्यक्ष युवक से कह रहा है कि धारा 307 का केस हमारे पास रहेगा और 27 आर्म्स एक्ट का केस डीएसपी के पास चला जाएगा. कई तरह की बातों के बाद सदर थानाध्यक्ष कहते हैं कि "कुछ व्यवस्था करतैय" .
थानाध्यक्ष यह भी कहते हैं कि "तोहर पैरवी डीएसपी मुख्यालय साहब भी किये थे". उल्लेखनीय है कि बातचीत में जिस डीएसपी मुख्यालय की चर्चा की जा रही उनका सहरसा से तबादला हो चुका है. मधेपुरा खबर ने इस बात की सच्चाई का पता लगाने के लिए अपने फेसबुक पेज पर एक ऑनलाइन वोटिंग करवाया था, जिससे यह पता चल सके कि थानाध्यक्ष के साथ गलत हुआ या सही.
लेकिन वोटिंग के दौरान सबसे ज्यादा वोटिंग विरोध में हीं पड़ी. इससे यह साफ जाहिर होता है कि थानाध्यक्ष के द्वारा लोग सताए हुए थे. यहां पर यह कहावत सही हो गई कि "भगवान के घर में देर है पर अंधेर नहीं". सहरसा एसपी राकेश कुमार ने बताया कि ऑडियो वायरल होने की जानकारी मिलने के बाद सदर थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है. विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है.