सेना के जवानों ने दी सलामी
कैप्टेन के साथ आए जवानों ने कैप्टेन को सलामी दी. इससे पहले सैना एवं बिहार पुलिस के जवानों ने पैरेड भी किया. वही कैप्टेन के दाह संस्कार के समय सेना के जवानों ने उनके शहादत में दर्जनों राउंड गोली चला कैप्टेन को सलामी दिया.
पिता ने दी पुत्र को मुखाग्निकैप्टेन को पुष्पांजलि अर्पित करने हजारों की संख्यां में पहुंचे लोगों की आंखे उस समय नम हो गयी जब एक पिता द्वारा अपने जवान पुत्र को मुखाग्नि दी जा रही थी. बड़ा ही भाव विह्वल दृश्य था. कोई भी अपने आपको रोक नहीं पा रहे थे. लोगों ने किसी तरह पिता से पुत्र को मुखाग्नि दिलवाई.
दो बहनों का इकलौता भाई था आशुतोष
शहीद आशुतोष अपनी दो बहनों का इकलौता भाई था. दोनों बहनें उनसे अथाह प्रेम करती थी. पार्थिव शरीर को देख दोनों बहनें बार बार बेहोश हो कह रही थी मेरी रक्षा कवच की भी लाज नहीं रखी ईश्वर ने. बड़ी बहन खुशबू एवं ने बताया कि उनका भाई उन पर सर्वस्व लुटाने को तैयार रहता था.
शहादत से एक दिन पहले माता पिता से हुई थी बात
मां गीता देवी ने बताया कि शनिवार की रात आशुतोष ने घर फ़ोन किया था. बहुत खुश था आशुतोष. बस इतना ही तो बोला था दीपावली छठ में छुट्टी लेकर घर आ रहा हूँ. हमें क्या पता था कि ये मेरी आखिरी बात होगी. नहीं पता था मुझे ही विदाई देनी होगी.
बहादुर था आशुतोष
कैप्टन आशुतोष बचपन से ही बहादुर था. देश भक्ति उसके रग रग में भरी हुई थी. तभी तो पहले प्रयाश में सैनिक स्कूल की परीक्षा पास की. ओर छह क्लास से इंटर तक कि पढ़ाई उसी स्कूल से की. इस दौरान सैन्य अधिकारी बनने का ऐसा जनून उनके अंदर छाया की पहली प्रयाश में ही एनडीए जैसी कठिन परीक्षा पास कर सैन्य अधिकारी बन गए.
शादी के बारे में सोच रहा था परिवार
आशुतोष के कैप्टेन बनने के बाद से ही उनके लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे. आशुतोष चाहता था कि उसकी छोटी बहन जो अभी पीजी में पढ़ रही है उसकी शादी कर लें. बहन के लिए भी कई जगह से रिश्ता देखा गया था. बहन की शादी के बाद उनकी शादी होनी थी. उनकी मां जल्द बेटे के सिर पर सेहरा देखना चाहती थीं लेकिन आशुतोष हर बार मां से कहते वो अभी देश सेवा कर रहे हैं बहन की शादी होते ही मेरे बारे में सोचना.
(रिपोर्ट:- दिलखुश/ सुनीत)
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