हजारों नम आंखों ने दी शहीद को अंतिम विदाई - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

11 नवंबर 2020

हजारों नम आंखों ने दी शहीद को अंतिम विदाई

घैलाढ़: शहीद कैप्टन आशुतोष का शव भतरंधा परमानपुर पंचायत के जागीर गांव पहुंचते ही पार्थिव शरीर के दर्शन के लिए लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा. देशभक्ति के भावना से भरपूर लोगों ने भारत माता की जय, वंदे मातरम, शहीद आशुतोष अमर रहे नारे से पूरे क्षेत्र गूंजने लगा. शहीद के पार्थिव शरीर के दर्शन को महिला, बुजुर्ग, बच्चे हर वर्ग के लोग अपने घरों से बाहर निकल पड़े. 

24 साल के अपनी मिट्टी के लाल देश की सरहद की रक्षा शहीद होने से लोगों में नापाक पाकिस्तान के प्रति लोगों में गुस्सा देखा गया. साथ ही अपने लाल की शहादत पर लोग गर्व महसूस कर रहे थे. इसके साथ ही श्रद्धांजलि देने पहुंचे लोगों की आंखे नम पायी गयी. लोगों ने उनकी शहादत को हमेशा के लिए याद रखते हुए युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया. 
दाह संस्कार स्थल पर देशभक्ति गीत और गगनभेदी नारों ने गांव के युवा कैप्टन आशुतोष के अदम्य साहस और देशभक्ति की हर जगह सराहना हो रही थी. लोगों का हुजूम इस कदम बढ़ गया कि लोग दूसरे के घरों के छत और पेड़ पर चढ़कर उन्हें एक नजर देखने को व्याकुल रहे. श्रद्धांजलि देने वालों में सेना, पुलिस- प्रशासन, जनप्रतिनिधियों के साथ क्षेत्र के लोग शामिल रहे. 

सेना के जवानों ने दी सलामी

कैप्टेन के साथ आए जवानों ने कैप्टेन को सलामी दी. इससे पहले सैना एवं बिहार पुलिस के जवानों ने पैरेड भी किया. वही कैप्टेन के दाह संस्कार के समय सेना के जवानों ने उनके शहादत में दर्जनों राउंड गोली चला कैप्टेन को सलामी दिया. 

पिता ने दी पुत्र को मुखाग्नि

कैप्टेन को पुष्पांजलि अर्पित करने हजारों की संख्यां में पहुंचे लोगों की आंखे उस समय नम हो गयी जब एक पिता द्वारा अपने जवान पुत्र को मुखाग्नि दी जा रही थी. बड़ा ही भाव विह्वल दृश्य था. कोई भी अपने आपको रोक नहीं पा रहे थे. लोगों ने किसी तरह पिता से पुत्र को मुखाग्नि दिलवाई. 

दो बहनों का इकलौता भाई था आशुतोष

शहीद आशुतोष अपनी दो बहनों का इकलौता भाई था. दोनों बहनें उनसे अथाह प्रेम करती थी. पार्थिव शरीर को देख दोनों बहनें बार बार बेहोश हो कह रही थी मेरी रक्षा कवच की भी लाज नहीं रखी ईश्वर ने. बड़ी बहन खुशबू एवं ने बताया कि उनका भाई उन पर सर्वस्व लुटाने को तैयार रहता था. 

शहादत से एक दिन पहले माता पिता से हुई थी बात

मां गीता देवी ने बताया कि शनिवार की रात आशुतोष ने घर फ़ोन किया था. बहुत खुश था आशुतोष. बस इतना ही तो बोला था दीपावली छठ में छुट्टी लेकर घर आ रहा हूँ. हमें क्या पता था कि ये मेरी आखिरी बात होगी. नहीं पता था मुझे ही विदाई देनी होगी. 

बहादुर था आशुतोष

कैप्टन आशुतोष बचपन से ही बहादुर था. देश भक्ति उसके रग रग में भरी हुई थी. तभी तो पहले प्रयाश में सैनिक स्कूल की परीक्षा पास की. ओर छह क्लास से इंटर तक कि पढ़ाई उसी स्कूल से की. इस दौरान सैन्य अधिकारी बनने का ऐसा जनून उनके अंदर छाया की पहली प्रयाश में ही एनडीए जैसी कठिन परीक्षा पास कर सैन्य अधिकारी बन गए. 

शादी के बारे में सोच रहा था परिवार

आशुतोष के कैप्टेन बनने के बाद से ही उनके लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे. आशुतोष चाहता था कि उसकी छोटी बहन जो अभी पीजी में पढ़ रही है उसकी शादी कर लें. बहन के लिए भी कई जगह से रिश्ता देखा गया था. बहन की शादी के बाद उनकी शादी होनी थी. उनकी मां जल्द बेटे के सिर पर सेहरा देखना चाहती थीं लेकिन आशुतोष हर बार मां से कहते वो अभी देश सेवा कर रहे हैं बहन की शादी होते ही मेरे बारे में सोचना.

(रिपोर्ट:- दिलखुश/ सुनीत)

पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

Post Bottom Ad

Pages