दुनिया में दो तरह के गुरू हुए हैं: डॉ सुधांशु - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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24 जुलाई 2021

दुनिया में दो तरह के गुरू हुए हैं: डॉ सुधांशु

मधेपुरा: मानव जीवन में सद्गुरु का काफी महत्व है. सद्गुरु के मिलने से हमें अपनी जीवन-यात्रा में सहायता मिलती है. यह बात भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) एवं जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने कही. वे शनिवार (24 जुलाई) को श्री श्री आनंदमूर्तिजी (श्री प्रभात रंजन सरकार) के शताब्दी जयंती वर्ष पर आनंद मार्ग प्रचारक संघ के बौद्धिक मंच रेनासा यूनिवर्सल के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में बोल रहे हैं. वेबिनार का विषय आनंदसूत्रम का दार्शनिक विवेचन था. 

डाॅ. शेखर ने कहा कि दुनिया में दो तरह के गुरू हुए हैं. एक गुरू हमें कहते हैं कि तुम मेरी शरण में आओ, मैं तुम्हें मुक्त कर दूँगा. दूसरे गुरू कहते हैं कि तुम अपने दीपक स्वयं बनो, मैं सिर्फ मार्ग बता रहा हूँ. डाॅ. शेखर ने कहा कि आनंदमूर्ति ने आनंद मार्ग के माध्यम से लोगों की व्यक्तिगत मुक्ति एवं सामाजिक उन्नयन का मार्ग दिया है. इस मार्ग पर चलकर हम देश-दुनिया की की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता गौरबंग विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डाॅ. गोपालचंद्र मिश्र ने किया.  
उन्होंने कहा कि श्री श्री आनंदमूर्तिजी के दर्शन के आनंदसूत्रम के आनंद सूत्र का अर्थ है, आंशिक रूप से आनंद की ओर ले जाने वाले सूत्र, दिव्य आनंद. सूत्र रूप को सदियों से एक गहन दर्शन को एक संक्षिप्त, यादगार तरीके से संप्रेषित करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में महत्व दिया गया है. सूत्र का शाब्दिक अर्थ धागा है. ऐसे ही एक धागे पर विचार के कई रत्नों को पिरोया जा सकता है. 

इस अवसर पर विश्व भारती, शांतिनिकेतन में दर्शन एवं तुलनात्मक धर्म विभाग के प्रो. सिराजुल इस्लाम, संस्कृत विभाग, एसकेबीयू, पुरूलिया के प्रोफेसर अजय मिश्र, दर्शनशास्त्र विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के डाॅ. शैलेन्द्र कुमार और शिक्षाशास्त्र विभाग, कूचबिहार पंचानन वर्मा विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के डाॅ. सुनंदिता भौमिक भी अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम के संयोजक केंद्रीय जनसंपर्क सचिव आचार्य दिव्यचेतनानंद अवधूत ने बताया कि सभी पंजीकृत प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
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