अपने फैसलों को भी पूरा नहीं कर पाया जिला प्रशासन
आनन फानन में की गई बैठक में लिए गए निर्णयों को भी पूरा नहीं किया गया. जिला मुख्यालय के चौक, चौराहों व बाजार व विभिन्न स्थलों के प्रतिमा स्थल की साफ सफाई व लाईट से सजावट, मैट्रिक, इंटर में जिला स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्रों को सम्मानित करने का निर्णय कागजों तक ही सीमित रह गया. जबकि इस बार बोर्ड परीक्षा में पहली बार जिले के तीन छात्रों ने राज्य स्तर पर टॉप टेन में जगह बनाई थी. बैठक में मधेपुरा बनाम अन्य जिलों के बीच फैंसी मैच का निर्णय लिया गया लेकिन आनन फानन में जिला प्रशासन व जनता एकादश के बीच मैच करा कॉलम पूरा किया गया.
बैठक में दो हजार बड़ा बैनर व बीस हजार ए थ्री साइज के पोस्टर छपवाकर जिला शिक्षा पदाधिकारी को सभी शिक्षण संस्थानों को उपलब्ध कराना था प्रभात फेरी के लिए जो सड़क पर नाम मात्र का नजर आया. यानी छपाई के नाम पर फैसला ले कमाई की गई. स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की जानकारी दो दिन पहले तक किसी को नहीं थी. बैठक के फैसलों में विभिन्न स्तरों पर प्रतियोगिता कराने का निर्णय था जो कहीं नहीं हो पाया. लोगों तक कार्ड भी नहीं गया वहीं कार्ड में कार्यक्रम भी साफ नहीं था बाहरी कलाकार कौन होंगे उसकी चर्चा नहीं थी.
कार्यक्रम की जानकारी व आमंत्रण के लिए लगने वाले बैनर व होर्डिंग इस बार नहीं आया नजर
पहली बार जिला स्थापना दिवस के कार्यक्रम से जुड़े बैनर व होर्डिंग विभिन्न प्रखंडों में तो दूर मुख्य बाजार व कार्यालय में नजर नहीं आया यहां तक कि समाहरणालय में भी नहीं. ऐसे में डीएम द्वारा लोगों की सांस्कृतिक कार्यक्रमों में दिलचस्पी नहीं लेने का बयान प्रशासन की कमी छुपाने की साजिश हैै. जो कार्यक्रम हुआ भी तो उसमे नियम कानून की जमकर धज्जियां उड़ी एक तरफ जहां 6.30 की जगह 8 बजे के बाद कार्यक्रम हुआ वहीं डीएम की मौजूदगी में कोर्ट द्वारा दस बजे रात्रि के बाद कार्यक्रम पर रोक के आदेश के बाद भी ग्यारह बजे के बाद तक कार्यक्रम चला.
42 लाइट लालटेन उड़ाने का निर्णय भी मजाक ही साबित हुआ. विगत कई वर्षों की तरह इस बार भी स्मारिका प्रकाशन नहीं होना आनन फानन में कार्यक्रम करने व औपचारिकता निभाने की हकीकत पर मोहर लगा गया. कोरोना काल में जान की परवाह किए बैगर लोगों को बचाने में लगे संस्थाओं व युवाओं को सम्मानित करने के बजाय नजर अंदाज करना भी आश्चर्यजनक रहा जब प्रतिभाएं अपने जिले में भी उपेक्षित होंगी तब भला सम्मान कहां मिलेगा.
आपसी तालमेल से सभी संस्थाओं को जोड़ यादगार बन सकता था स्थापना दिवस
राठौर ने कहा कि मधेपुरा का सौभाग्य है कि यहां राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय फलक के संस्थान के रूप में विद्युत रेलवे इंजन कारखाना, मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय व अनेकानेक संस्थाएं हैं, अगर इन्हें जोड़कर जिला स्थापना दिवस मनाया जाता तो शायद तस्वीर कुछ और होती. जिला प्रशासन की लापरवाही का ही आलम रहा कि कभी ऐसे आयोजनों में जहां जन प्रतिनिधि, गणमान्य हस्तियां से अग्रिम पंक्ति व आम लोगों से आयोजन स्थल पूरी तरह भरा रहता था वहीं इस बार बड़ी संख्या में खाली कुर्सियां आयोजन को चिढ़ाती नजर आईं. राठौर ने जिला प्रशासन से मांग किया कि ऐसे कमियों से सीख ले इसे दूर करने की जरूरत है साथ ही सम्बन्धित विभाग के जानकार को ही आयोजन की जवाबदेही दी जाए जो उसमे सक्षम हों.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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