मधेपुरा: पटना हाई कोर्ट द्वारा राज्य के सात विश्वविद्यालयों के कुलपति को चौदह कॉलेजों की मान्यता अविलंब रद्द करने के आदेश पर एआईएसएफ बीएनएमयू ने बीएनएमयू कुलपति को त्राहिमाम पत्र लिख छात्र हित में उक्त सूची में बीएनएमयू के सर्व नारायण सिंह कॉलेज की मान्यता बहाल रखने की दिशा में हरसंभव पहल की याचना की हैै. संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि बीएनएमयू अन्तर्गत सहरसा का सर्व नारायण सिंह कॉलेज जो सिर्फ बीएनएमयू का एक हिस्सा ही नहीं है बल्कि सहरसा में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में स्थापित उम्मीद का प्रज्वलित दीप है. जिससे हजारों छात्रों का भविष्य हर साल सजता संवरता है साथ सैकड़ों घर चलते हैं.
जिसकी मान्यता हर हाल में 18 अगस्त तक रद्द करने का आदेश है रद्द न करने की स्थिति में माननीय पर आर्थिक दंड की भी बात है. अगर ऐसा होता है तो इससे जहां सीधे हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लग जाएगा वहीं यह विश्वविद्यालय के प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल भी होगा. राठौर ने कहा कि डेढ़ साल से एआईएसएफ द्वारा कई बिंदुओं पर अनगिनत साक्ष्यों सहित शिकायत कर आगाह करवाने के बाद भी बीएनएमयू का सचेत नहीं होना आज महंगा पड़ाा. प्राचार्य की मनमान, नियमों की अनदेखी कर गोलमाल की शिकायत लगातार करने के बाद भी बीएनएमयू ने अगर तत्परता दिखाते हुए कॉलेज के काले कारनामे पर लगाम लगाई होती तो आज यह हालात उत्पन्न नहीं होता.
हालात तो यहां तक रही कि कुछ महीनों पहले विश्वविद्यालय के अनुशासन समिति के फैसले के पालन के बजाय उसके विपरीत मनमानी से काम हुए।इसकी शिकायत पर भी विश्वविद्यालय कारवाई की जगह बेबस नजर आया. वहीं विगत महीने विलंब सत्र की परीक्षा स्थगित करते हुए माननीय की मौजूदगी में बिना छात्रों की उपस्थिति के सेमिनार व प्रतिकुलपति की सार्वजनिक बेइज्जती कर सर्व नारायण सिंह कॉलेज ने रही सही सारी कसर पूरी कर दी. जिसपर एआईएसएफ की शिकायत पर राजभवन ने संज्ञान लेते हुए श्रीमान को पत्र लिख कारवाई को निर्देशित किया हैै. कोर्ट का आदेश दर्शाता है कि लगातार नियमों कि अनदेखी व रिपोर्ट जमा नहीं करने पर आजीज आकर कोर्ट ने कड़ा कदम उठाया।अगर समय रहते आदेश का पालन होता व रिपोर्ट जमा होती यह बुरा दौर नहीं आता.
राठौर ने खुले शब्दों में कहा कि करोड़ों रुपए के खर्च का उपयोगिता प्रमाण जमा नहीं होने का मूल कारण आय व्यय में बड़े स्तर पर घोटाला और मनमानी है अगर सब सही रहता तो छात्रों का भविष्य अचानक दांव पर नहीं आ पाताा. राठौर ने छात्रहित में याचना करते हुए मांग किया कि दिन रात एक कर सारी कमियों को दूर कर उपयोगिता प्रमाण पत्र बचाने की पहल हो वैसे ही लॉ कॉलेज, बीएड कॉलेज की मान्यता रद्द होने का दंश हाल ही में बीएनएमयू झेल चुका है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)