मधेपुरा: आरएम कॉलेज में संचालित बीएड विभाग अन्तर्गत निर्धारित सीट से अधिक नन टीचिंग स्टाफ बहाली की प्रक्रिया अपनाने को वाम छात्र संगठन एआईएसएफ ने संज्ञान लिया है और विश्वविद्यालय की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. एआईएसएफ बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने बीएनएमयू कुलपति के नाम लिखे पत्र में कहा है कि बीएनएमयू अन्तर्गत मनमानी व पदाधिकारियों द्वारा नियम परिनियम की धज्जी उड़ाने का आलम यहां तक आ पहुंचा कि आर एम कॉलेज के बीएड विभाग में निर्धारित संख्या से अधिक नन टीचिंग स्टाफ के बहाली की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जबकि दूसरी तरफ वर्षों पहले से बीएनएमयू परिसर में संचालित शिक्षा शास्त्र विभाग में स्थापना काल से एक भी नन टीचिंग स्टाफ की बहाली नहीं की गई जो अपने आप में बड़ा आश्चर्यजनक तथ्य है कि माननीय के आंख कान के बगल में स्थित शिक्षा शास्त्र विभाग मानों एनसीटीई के नियमों को चिढ़ाता नजर आता है.
एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि आर एम कॉलेज में सीट से अधिक बहाली प्रक्रिया के बाद अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं पहला सवाल यह है कि जब शिक्षा विभाग पटना के संयुक्त सचिव सुनील कुमार सिंह महामहिम राज्यपाल के आदेशानुसार जारी ज्ञापांक संख्या 12/3/2014 के गाइड लाइन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि सात नन टीचिंग स्टाफ के मद में चौदह लाख बीस हजार रूपए ही खर्च किए जाएंगे वैसे में सेल्फ फाइनेंस विभाग वाले बीएड में अतिरिक्त स्टाफ का वेतन कहां से देय होगा. वहीं दूसरी तरफ यह बड़ा सवाल है कि बीएनएमयू परिसर स्थित शिक्षाशास्त्र विभाग में स्थापना काल से नन टीचिंग स्टाफ की बहाली ही नहीं हुई ऐसे में बड़ा सवाल है कि नन टीचिंग स्टाफ के वेतन मद में हर वर्ष का चौदह लाख बीस हजार रूपए का विभाग ने क्या किया क्योंकि सेल्फ फाइनेंस विभाग होने के कारण इस राशि को सिवाय वापस करने के दूसरे मद में खर्च नहीं किया जा सकता है.

लिखे पत्र में राठौर ने आश्चर्य व नाराजगी जताते हुए कहा कि यह बड़ा विचारणीय प्रश्न है कि विश्वविद्यालय परिसर में ही छात्रों के शोषण का बड़ा खेल चल रहा है और किसी को कोई खबर नहीं हैै. राठौर ने विश्वविद्यालय को चेताया और कहा कि किसी प्रकार अगर यह भनक एनसीटीई को लग गई कि बिना नन टीचिंग बीएनएमयू परिसर का शिक्षा शास्त्र विभाग वर्षों से चल रहा है और दूसरी तरफ आर एम कॉलेज के बी एड विभाग में सीट से ज्यादा नन टीचिंग बहाली की प्रक्रिया अपनाई गई तो निसंदेह दोनों की मान्यता खतरे में पड़ेगी ही साथ ही विश्वविद्यालय पर भी सवाल खड़े होंगे.
अगर होती नन टीचिंग स्टाफ की बहाली तो हाई कोर्ट में नहीं फंसती गरदन
एआईएसएफ नेता राठौर ने बीएनएमयू परिसर के शिक्षा शास्त्र विभाग के कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर विभाग नियमानुसार नन टीचिंग स्टाफ की बहाली किया होता तो आज हाई कोर्ट के कटघरे में विभाग द्वारा सीट से ज्यादा नामांकन व रोस्टर की अनदेखी मामले में फजीहत नहीं होती साथ ही एक मात्र विभाग की गलती के कारण बी एड विभागों के तेरह सौ छात्रों के रिजल्ट पर रोक नहीं लगता क्योंकि जब नन टीचिंग स्टाफ होते तो अकाउंटेंट व कंप्यूटर ऑपरेटर नियमानुसार काम करते इनके नहीं होने की स्थिति में अवैध दूसरे लोगों से काम लेने के कारण आज इतनी बड़ी घटना घट गई कि बीएनएमयू रजिस्टार को कोर्ट ने तलब कर लियाा. राठौर ने कहा कि अविलंब बीएनएमयू इसे अपने स्तर से सुलझाए और तत्काल प्रभाव से आर एम कॉलेज में अतिरिक्त नन टीचिंग स्टाफ बहाली को निरस्त कर मुख्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में बहाली की पहल करवाएं अन्यथा समय समय पर गलतियों के कारण कई कॉलेजों की मान्यता खोते रहे बीएनएमयू में अगली बारी मुख्यालय व आर एम कॉलेज के बीएड विभाग की भी हो सकती है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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