दर्शन के बगैर मानव जीवन अधूरा है: डॉ. द्विवेदी - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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1 जून 2023

दर्शन के बगैर मानव जीवन अधूरा है: डॉ. द्विवेदी

मधेपुरा: दर्शनशास्त्र विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में बुधवार को शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो आवधिक व्याख्यान का आयोजन किया गया. प्रथम व्याख्यान भारतीय संस्कृति में निहित नैतिक मूल्य विषय पर आयोजित हुआ. इसके मुख्य वक्ता पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) ज्ञानंजय द्विवेदी ने कहा कि दर्शन जीवन एवं जगत के सभी आयामों से जुड़ा है. यह भारतीय सभ्यता-संस्कृति का प्राण है. दर्शन के बगैर मानव जीवन अधूरा है. उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन में पारिवारिक एवं सामाजिक से लेकर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की सभी समस्याओं का समाधान निहित है. उन्होंने कहा कि मानव जीवन मूल्यों पर आधारित है. हम मूल्यों के कारण ही जीवित हैं और मूल्यों पर ही पूरी धरती टिकी है. इन मूल्यों के बगैर मानव-जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. 

उन्होंने कहा कि मूल्य अर्थात् नैतिकता ही शिक्षा की आत्मा है. नैतिकता है, तो शिक्षा में जीवन है, अन्यथा शिक्षा निष्प्राण है. अतः हमें प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को शामिल करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारा प्राचीन भारतीय दर्शन ज्ञान-विज्ञान का खजाना है. इसमें दर्शन, योग, आयुर्वेद, साहित्य, संस्कृति, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि विषयों पर प्रचुर मात्रा में ज्ञान भरा पड़ा है. हमें भारतीय ग्रंथों में उपलब्ध ज्ञान पर विशेष शोध की आवश्यकता है. युवाओं को हमारी समृद्ध संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा से जोड़ने की जरूरत है. हम ऐसा कर सकेंगे, तो पुनः दुनिया में हमारे ज्ञान-विज्ञान की विजय पताका फहरेगी और हम पुनः विश्वगुरु बनकर उभरेंगे. द्वितीय व्याख्यान गाँधी-दर्शन में अपरिग्रह विषय पर आयोजित हुआ. इसके मुख्य वक्ता दर्शनशास्त्र विभाग एलएनएमयू, दरभंगा के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) अमरनाथ झा ने कहा कि महात्मा गाँधी का जीवन-दर्शन भारतीय सभ्यता-संस्कृति के सभी उद्दात मूल्यों को प्रतिबिम्बित करता है. 

उन्होंने कहा कि गाँधी यह मानते थे कि सभी मनुष्य मूलतः अच्छे होते हैं. मनुष्य परिस्थितियों के कारण विभिन्न प्रकार की बुराइयों से ग्रस्त हो जाता है. अतः तथाकथित बुरे व्यक्ति में भी बेहतर मनुष्य बनने की संभावना मौजूद है. उन्होंने कहा कि सत्य गाँधी दर्शन का पवित्र साध्य है और अहिंसा उसकी प्राप्ति का पवित्र साधन है. उनकी अहिंसा का संदर्भ व्यापक है. अहिंसा हमारे आध्यात्मिक जीवन के साथ-साथ हमारे सामाजिक-आर्थिक जीवन का भी आधार है. उन्होंने कहा कि अपरिग्रह आर्थिक जीवन में अहिंसा की परिणति है. इसमें यह माना गया है कि आवश्यकता से अधिक धन संचय करना चोरी है. उन्होंने कहा कि गाँधी ने अपरिग्रह की शिक्षा ईशावाष्योपनिषद् के प्रथम मंत्र 'ईशावास्यमिदं सर्वं' से प्राप्त की है. यह बौद्ध दर्शन, जैन दर्शन एवं योग दर्शन का भी प्रमुख सिद्धांत है. 

उन्होंने कहा कि गाँधी ने आवश्यकता से अधिक धन संग्रह को चोरी की संज्ञा दी है. उनका मानना था कि सभी धन-संपदा ईश्वर की है. हम सभी धन के मालिक नहीं, बल्कि संरक्षक (ट्रस्टी) मात्र हैं. मुख्य अतिथि अध्यक्ष, छात्र कल्याण प्रो. (डॉ.) राजकुमार सिंह ने कहा कि भारत भले ही भौतिक समृद्धि एवं अस्त्र-शस्त्र के मामले में दुनिया के कुछ देशों से पीछे हों. लेकिन हमारी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत काफी समृद्ध रही है. इसी समृद्ध विरासत के कारण हम दुनिया के विश्वगुरु रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज पश्चिमी जगत में भौतिकवाद का प्रकोप भारत से अधिक है. वहां परिवार एवं समाज टूट रहा है और लोग निराशा एवं हताशा में जीने को मजबूर हैं. ऐसे में दुनिया के सभी देशों के लोग भौतिकवाद से त्राण पाने के लिए और शांति की खोज में भारत की ओर आता रहा है. अतः हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम अपनी इस विरासत को संरक्षित एवं संवर्धित करें और इसे अपने दुनिया के सामने लाएं. 

विशिष्ट अतिथि कुलसचिव प्रो. (डॉ.) मिहिर कुमार ठाकुर ने कहा कि दर्शनशास्त्र सभी विषयों की जननी है. मानव जीवन को सफल एवं सार्थक बनाने में इसकी महती भूमिका है. अध्यक्षता करते हुए टी.पी. कॉलेज, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि आईसीपीआर द्वारा लगातार सहयोग प्राप्त होता रहा‌ है. इसके लिए आईसीपीआर के सभी अधिकारी धन्यवाद के पात्र हैं. इसके पूर्व अतिथियों को डायरी, कलम एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया. स्वागत भाषण विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष शंभू प्रसाद सिंह, संचालन उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर और धन्यवाद ज्ञापन मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने किया. 

इस अवसर पर एम. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. बुद्धप्रिय, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ प्रत्यक्षा राज, विनय कुमार, शोधार्थी सारंग तनय, राजेश कुमार, नंदन कुमार, जयदीप मोनू, शिल्पी यादव, गुंजा कुमारी, नविता कुमारी, पंकज कुमार, शोभा कुमारी, किरण कुमारी, बिट्टू कुमार, मनीष कुमार, बिन्नी कुमारी, सुधीर कुमार, रोहन कुमार, पिंकी कुमारी, प्रतिभा कुमारी, सोनी कुमारी, ज्योति कुमारी, अंशु, पिंटू कुमार, सुशील कुमार, प्रियंका कुमारी, शंकर कुमार, सोनाली कुमारी, मनोहर कुमार, फुलचन कुमारी, मयूरी कुमारी, विनय कुमार, नेहा, अभिजीत, आरती, पूजा, सोनाली, सुमन पोद्दार, पवन, किसलय, मनीष, नंदन आदि उपस्थित थे. 
(रिपोर्ट:- ईमेल) 
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