मधेपुरा: बीएनएमयू कुलपति प्रो आर के पी रमन के पूरा हो रहे तीन साल के कार्यकाल के साथ ही उस दौरान की उपलब्धि और असफलता का जोड़ घटाव शुरू हो गया है. वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने संगठन की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि तीन साल का कार्यकाल मुख्य रूप से बीएड प्रकरण में छात्र के साथ न्याय करने के वादे, एकेडमिक सीनेट कराने, गर्ल्स हॉस्टल शुरू करने, सीनेट, सिंडिकेट, छात्रसंघ चुनाव अविलंब कराने, समय पर नामांकन, परीक्षा, परिणाम की गारंटी, हर महीने छात्र संगठनों के साथ बैठक कर बेहतर शैक्षणिक माहौल बनाने के वादों में ही सिमटे रहने के लिए याद किया जाएगा जो बीएनएमयू के विगत तीन साल के सफर का दुर्भाग्य रहा. इस दौरान व्यवस्था बेपटरी सी होती गई जिसका खामियाजा सर्वाधिक बीएनएमयू को उठाना पड़ा.
सीनेट, सिंडिकेट, दीक्षांत सफलता से ज्यादा विवादों का बना अखाड़ा
राठौर ने तीन साल के कार्यकाल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एआईएसएफ का मानना है कि तीन साल के कार्यकाल में सीनेट, सिंडिकेट और दीक्षांत समारोह की भी गरिमा दांव पर लगती नजर आई. चौथे दीक्षांत में महामहिम राज्यपाल का आयोजन स्थल पर विरोध और पांचवी दीक्षांत में कई गणमान्य अतिथियों का कुव्यवस्था का सामना करने एवम् खाने की अफरातफरी कुव्यवस्था का सूचक रहा. दूसरी तरफ व्यय का बिना सदन के अनुमोदन दीक्षांत आयोजन में खर्च, बीएनएमयू प्रशासन की मनमानी का विरोध कर एमएलसी संजीव कुमार द्वारा बैठक का बहिष्कार,सदन के निर्णयों को नजरंदाज आदि कई सवालों को जन्म देते नजर आए. कई विषयों में पीजी की पढ़ाई शुरू होना उपलब्धि रही लेकिन उसकी प्रारंभिक व्यवस्था भी नहीं कर पाना दुखद रहा. राठौर ने कहा कि अब तक के इतिहास में सर्वाधिक समय बीएनएमयू में देने और मूलभूत समस्याओं के जमीनी हकीकत के जानकार होने के बाद भी कोई दूरगामी योजनाओं पर काम नहीं कर सके. किसी को निराश न कर सबको खुश रखने की नीति रही घातक
राठौर ने कहा कि बतौर, शिक्षक, प्रधानाचार्य, विभागध्यक्ष, डीन प्रतिष्ठा के शिखर पर पहुंचने के बाद भी कुलपति के रूप में वो चमक नहीं रख पाने का मूल कारण ईमानदार सलाहकार मंडली के बजाय चापलूसों की टीम से घिरा होना रहा जिन्होंने साथ चिपक कर अपना उल्लू खूब सीधा किया जिसकी कीमत कुलपति को आलोचना के रूप में झेलनी पड़ी।राठौर ने कहा कि किसी को निराश न करने और सबको साथ लेकर चलने की नीति महंगी हुई. एआईएसएफ नेता राठौर ने कहा कि विगत तीन साल के कार्यकाल में बीएनएमयू जमीनी स्तर पर बहुत पीछे गया नए कुलपति के लिए उसे पटरी पर लाना पहली प्राथमिकता होगी.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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