प्रधानाचार्य ने कहा कि हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि धरती पर हरियाली रहने से ही जीवन में खुशहाली आएगी. इसलिए सभी लोगों को वर्ष में कम-से-कम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए और नियमित रूप से देखभाल भी करनी चाहिए. साथ-ही-साथ उसकी सुरक्षा एवं पोषण का भी समुचित प्रबंध करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पौधे हमारे सबसे बड़े प्रकृति-मीत्र हैं. पौधे पर्यावरण को संतुलित करने में महती भूमिका निभाते हैं और हमें जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत प्राणवायु आक्सिजन से लेकर सुगंधित पुष्प, रसदार फल एवं स्वास्थ्यवर्धक औषधियाँ तक सैकड़ों चीजें उपलब्ध कराते हैं.
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए महाविद्यालय में स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि प्रकृति- पर्यावरण के संरक्षण के साथ मानव का अस्तित्व जुड़ा हुआ है. यदि प्रकृति-पर्यावरण संरक्षित रहेगी, तभी मानव सभ्यता-संस्कृति बच सकेगी. उन्होंने कहा कि प्रकृति-पर्यावरण के महत्व को समझते हुए पर्यावरण- संरक्षण एवं स्वच्छता आदि को विभिन्न पाठ्यक्रमों में स्थान दिया गया है. युवाओं को मानवीय मूल्यों एवं सामाजिक सरोकारों से जोड़ने का यह एक सराहनीय कदम है.
कार्यक्रम का संचालन करते हुए एनसीसी पदाधिकारी ले. गुड्डु कुमार ने बताया कि एनसीसी द्वारा समय-समय पर जनजागरण, सेवा एवं सामुदायिक विकास कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं. इससे विद्यार्थियों के समग्र विकास में मदद मिलती है. उन्होंने कहा कि कमांडिंग ऑफिसर देवाशीष के निदेशानुसार इस कार्यक्रम में शामिल एएनओ, सीटी एवं केडेट्स की संख्या फोटो एवं विडियो के साथ सहरसा कार्यालय को भेजा जाएगा. इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, शलेंद्र कुमार, नितीश कुमार, विकाश कुमार, सौरभ कुमार, आदित्य रमन, शिवशंकर कुमार, राजनंदन कुमार, सतीश कुमार, रूपन कुमार, राकेश कुमार, राहुल कुमार, अभिनव रमन, खुशी कुमारी, वाणी कुमारी, सिम्पी कुमारी आदि उपस्थित थे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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