उन्होंने बताया कि भारतीय दर्शन में नीति एवं धर्म दोनों एक-दूसरे से अभिन्न हैं. यहां चार पुरुषार्थ यथा- धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की चर्चा है. इसमें धर्म की प्रधानता है और धर्म-विरुद्ध आर्थ एवं काम को निषिद्ध माना गया है. सत्र में समन्वयक की भूमिका वैशाली महिला महाविद्यालय, वैशाली में दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. रेशमा सुल्ताना ने निभाई. कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. ममता सिंह (लखनऊ), डॉ. प्रत्यक्षा राज (सहरसा), सर्वजीत पाल (मुंगेर), डॉ. मुकेश कुमार चौरसिया एवं डॉ. नीरज प्रकाश (पटना) और सौरभ कुमार चौहान (मधेपुरा) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नीतिशास्त्र विभाग में 21 शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किया गया.
इनमें डॉ. श्याम किशोर सिंह (वैशाली), बिरेन्द्र कुमार कुमार भारती (मोकामा), गोल्डी कुमारी (नालन्दा), अनुपम कुमारी (वाराणसी), पूर्णिमा कुमारी (पटना), रविश कुमार (भागलपुर), प्रियंका सरकार (दरभंगा), ऋचा प्रिया (पटना), कंचन (दरभंगा), श्रुति परमार (पटना), सुरज कुमार (वाराणसी), बबलु कुमार (दरभंगा), चाँदनी कुमारी (पाटलिपुत्र), डॉ. रुपेश कुमार सिंह (वैशाली), डॉ. शोभा रानी (हाबीपुर),निशा (वाराणसी), डॉ. सिंकु कुमारी (आरा), डॉ. मनीषा प्रिया (भागलपुर), मुकेश कुमार (मुणफ्फरपुर), शिवि सिन्हा (पटना), डुमकेंद्र राजन (झारखंड) के नाम शामिल हैं.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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