स्किन ही नहीं आंखों को भी झुलसा सकती है चिलचिलाती धूप - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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23 अप्रैल 2024

स्किन ही नहीं आंखों को भी झुलसा सकती है चिलचिलाती धूप

मधेपुरा: चिलचिलाती धूप और तेज गर्मी ने देशभर में लोगों का हाल बेहाल कर रखा है. देश के कई हिस्सों में अभी से गर्मी अपने तेवर दिखाने लगी है. बढ़ते पारे की वजह से लोगों की लाइफस्टाइल पूरी तरह से बदल चुकी है. इस मौसम का असर हमारी सेहत पर भी देखने को मिलता है. सेहत के साथ ही इस मौसम का असर हमारी आंखों पर भी देखने को मिलता है. तेज धूप और गर्मी की वजह से आंखों पर बुरा असर पड़ सकता है, जिसकी वजह से कई समस्याएं होने लगती हैं. ऐसे में जलती-चुभती गर्मी का हमारी आंखों पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने सृजन मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ. श्रृंगी शिवम से बातचीत की. साथ ही यह जानने की भी कोशिश की कि गर्मियों में अपनी आंखों को धूप से बचाने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. डॉक्टर बताते हैं कि ऐसे कई तरीके हैं, जिनसे तेज गर्मी आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है. लंबे समय तक सुरक्षा के बिना सूरज की यूवी किरणों के संपर्क में रहने की वजह से फोटोकेराटाइटिस जैसी स्थितियां हो सकती हैं, जो कॉर्निया के सनबर्न, मोतियाबिंद और यहां तक ​​कि रेटिना डैमेज के समान होती हैं. साथ ही सूखे और धूल भरे हालात जलन और असुविधा पैदा कर ड्राई आई सिंड्रोम जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकती हैं. इन खतरों को कम करने के लिए, यूवी-ब्लॉकिंग सनग्लासेस पहनना और पर्याप्त पानी पीना जरूरी है. 
जब भी आप बाहर हों, खासकर धूप के समय, तो धूप का चश्मा पहनें जो यूवीए और यूवीबी किरणों को रोकते हैं. खतरनाक प्रोडक्ट्स को हैंडिल करते समय या खेल खेलते समय, गॉगल्स या सेफ्टी ग्लासेस जैसे सुरक्षात्मक चश्मे पहनें. आंखों के स्ट्रेस और थकान को कम करने के लिए स्क्रीन पर काम करते समय नियमित ब्रेक लें. अपनी आंखों में नमी बनाए रखने के लिए बार-बार पलकें झपकाएं और अगर आवश्यक हो तो आर्टिफिशियल टियर का इस्तेमाल करें. अपनी आंखों के स्वास्थ्य पर नजर रखने और किसी भी समस्या की जल्द पहचान करने के लिए नियमित आंखों की जांच कराएं. सीधे सूर्य की ओर न देखें, क्योंकि इससे आपकी आंखों को स्थायी रूप से नुकसान हो सकता है. अपनी आंखों को रगड़ने से बचें, क्योंकि इससे जलन और संभावित चोट लग सकती है. ऐसे कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करने से बचें जो बहुत छोटे हों या जिनकी अवधि समाप्त हो चुकी हो, क्योंकि वे आपकी आंखों में संक्रमण या डैमेज का कारण बन सकते हैं. धूम्रपान से दूर रहें क्योंकि इससे उम्र से संबंधित मेकुलर डिजनरेशन और मोतियाबिंद जैसी आंखों की स्थितियों का खतरा बढ़ जाता है.

(रिपोर्ट:- सुनीत साना)

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