आज भी प्रासंगिक है भारतीय संस्कृति: प्रधानाचार्य - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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30 मई 2024

आज भी प्रासंगिक है भारतीय संस्कृति: प्रधानाचार्य

मधेपुरा: भारतीय संस्कृति में पूरी दुनिया के कल्याण का भाव निहित है. इसके उद्दात विचार आज भी प्रासंगिक हैं. यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कही. वे गुरुवार को स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे. सेमिनार का विषय भारतीय संस्कृति: वर्तमान परिप्रेक्ष्य में था. प्रधानाचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति है. इसकी उद्धात परंपराएं हजारों वर्षों से कायम हैं. इस बीच दुनिया की कई संस्कृतियां समय के साथ लुप्त हो गईं. लेकिन भारतीय संस्कृति की अजस्र धारा आज भी प्रवाहित हो रही है. 

विविधता में एकता की पोषक है भारतीय संस्कृति

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि भारत संस्कृति विविधता में एकता का पोषक है. यह विविधता ही हमारी सबसे बड़ी विशेषता है. उन्होंने कहा कि हम सभी भारतीय अपनी संस्कृति एवं परंपरा पर गर्व करते हैं. हम दुनिया में कहीं भी चले जाएं, लेकिन भारत के प्रति हमारा लगाव कायम रहता है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ने समय-समय पर अपने आपको युगानुकुल चुनौतियों के अनुरूप ढाला है. इसमें मौजूद लचीलेपन के कारण भारतीय संस्कृति आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है. 

समृद्ध है भारत की सांस्कृतिक विरासत

विशिष्ट अतिथि दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् एवं सर्वे भवन्तु सुखिन: के आदर्शों पर आधारित है. हमारे ऋषि-मुनियों ने न केवल अपने एवं अपने देश की, वरन् संपूर्ण चराचर जगत के कल्याण की कामना करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत काफी समृद्ध है. यह विरासत वेद से लेकर आज तक तत्व अच्छुण्ण है और इसकी प्रासंगिकता आज भी कायम है. उन्होंने कहा कि भारत आज भी अपने आप को बचाए हुए है, क्योंकि उसकी सांस्कृतिक आधारशिला बहुत मजबूत है. भारत में आज भी पारिवारिक मूल्य एवं नैतिक संस्कार जीवित है. इसके कारण विदेशी भी भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं. 


इसके पूर्व अतिथियों का अंगवस्त्रम् एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया गया. स्वागत गीत की भी प्रस्तुति हुई. इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, चरित्र राम, पंकज कुमार, रणधीर कुमार, पप्पू कुमार, कुंदन कुमार , सुबोध कुमार, नरेंद्र कुमार, निधि कुमारी, सपना कुमारी, मोना कुमारी, नेहा कुमारी, सोनी कुमारी, रुक्मणी कुमारी, काजल कुमारी, स्मृति प्रिया, शिरोमणि कुमारी, रुपलता कुमारी, मधु कुमारी, सोनम कुमारी, अनुप्रिया कुमारी, अनुपम कुमारी, राखी कुमारी, काजल कुमारी, बबिता कुमारी आदि उपस्थित थे.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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