उन्होंने कहा कि विविधता में एकता भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत है. इसी ताकत के दम पर हमने तमाम झंझावातों का मुकाबला किया. कई विदेशी आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति पर हमले किए. फिर भी हम भारतीय अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बचाने में कामयाब रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि हम सभी भारतीय एकजुट हैं. हमें अपनी संस्कृति एवं परंपरा पर गर्व है. हम पहले भारतीय हैं, फिर कुछ और. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ने समय-समय पर अपने आपको युगानुकुल चुनौतियों के अनुरूप ढाला है. इसमें मौजूद लचीलेपन के कारण भारतीय संस्कृति आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है.
मुख्य वक्ता दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् के आदर्शों पर आधारित है. हम यह मानते हैं कि सभी मनुष्यों, जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों सहित संपूर्ण सृष्टि में एक ही ईश्वर का वास है. इसलिए सभी एक हैं और किसी का भी किसी से कोई विरोध नहीं है. जाहिर है कि हम न केवल अपना, वरन् चराचर जगत के कल्याण की कामना करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत में सभ्यता-संस्कृति की एक परम्परा है. वेद से लेकर आज तक हमारी परंपरा का मूल तत्व अच्छुण है. भारत आज भी अपने आप को बचाए हुए है, क्योंकि उसकी सांस्कृतिक आधारशिला बहुत मजबूत है. भारत में आज भी पारिवारिक मूल्य एवं नैतिक संस्कार जीवित है. मुख्य अतिथि पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा के प्राध्यापक डॉ. अशोक कुमार पोद्दार ने कहा कि आज पूरी दुनिया के लोग भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं. आज विदेशी भी भारतीय परिवार-व्यवस्था, योग एवं आयुर्वेद आदि को अपना रहे हैं.
इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, आफरीन बेगम, प्रतिभा कुमारी, जुली कुमारी, सोनी कुमारी, पल्लवी कुमारी, सोनाली कुमारी, नूतन कुमारी, नैना कुमारी, रूपम कुमारी, विभा कुमारी, अंशु कुमारी, बंदना कुमारी, मनीषा कुमारी, गीतांजलि कुमारी, नेहा कुमारी, गुड़िया कुमारी, मनीषा कुमारी, खुशी कुमारी, विक्की विजेता, प्रिया कुमारी, आंचल कुमारी गुप्ता, बबलू, मीठी कुमारी, आयुष कुमार, अभिनव कुमार, आशीष कुमार झा, विकास कुमार, रणविजय कुमार आदि उपस्थित थे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
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