कीर्ति बाबू ने अपने कार्यों से अर्जित की महानता - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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8 अगस्त 2024

कीर्ति बाबू ने अपने कार्यों से अर्जित की महानता

मधेपुरा: यह संसार मरणधर्मा है. इस संसार में जो प्राणी जन्म लेता है, उसे मरना पड़ता है. फिर धीरे-धीरे लोग उसे भूलने लगते हैं. लेकिन मरने से पूर्व व्यक्ति द्वारा किए गए कर्म उसे चिरकाल तक जीवित रखता है. "कीर्तिर्यस्य स जीवति।" यह बात हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार चौधरी ने कही. वे बुधवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में महाविद्यालय में आयोजित कीर्ति नारायण मंडल जन्मोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन कीर्ति नारायण मंडल की 108वीं जयंती पर किया गया. उन्होंने कहा कि कीर्ति नारायण मंडल महामना कीर्ति नारायण मंडल कोई अवतार नहीं थे और न ही वे जन्मना महान थे. उन्होंने अपने कार्यों से महानता अर्जित की. उन्होंने कहा कि कीर्ति बाबू महात्मा बुद्ध के जैसे गृहत्यागी एवं महात्मा गाँधी जैसे सत्याग्रही थे. हमें उनके जीवन में गीता के निष्काम कर्मयोग का साक्षात्कार होता है. "रचकर कोई संसार सजाकर फूलवारी/ फिर छोड़ उसे तुम चल देते उसर वन में."


उन्होंने कहा कि कीर्ति बाबू ने अपनी पूरी संपत्ति संपत्ति का कण-कण समाज को दान कर दिया. उन्होंने अपने लिए कुछ भी बचाकर नहीं रखा. "जिसने अर्पित कर दी अपनी बोटी-बोटी/रखी नहीं बचाकर अपने लिए रोटी." उन्होंने कहा कि कीर्ति बाबू ने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा-जागरण के लिए समर्पित कर दिया. वे जहां-जहां रहे वहां-वहां कोई-न-कोई शिक्षण संस्थान अस्तित्व में आया. "जिस ओर साधना का रथ बढ़ जाता तेरा/ उस ओर सृजन की नित नई गंगा बहती."उन्होंने कहा कि कीर्ति बाबू दधीचि थे. उन्होंने कोसी में शिक्षा के प्रसार के लिए अपना सर्वस्व दान कर दिया. उनको ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय एवं पार्वती विज्ञान महाविद्यालय सहित दर्जनों शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण का श्रेय जाता है. उनके बनाए शिक्षण संस्थानों से आज हजारों छात्र पढ़-लिखकर अच्छे-अच्छे पदों पर देश की तरक्की में लगे हुए हैं. 


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि कीर्ति बाबू बिल्कुल साधारण दिखते थे. लेकिन उनके अंदर असाधारण शक्ति थी. उन्होंने मधेपुरा एवं कोसी के विकास के लिए जो कार्य किया, वह अविस्मरणीय है. उन्होंने कहा कि कीर्ति नारायण मंडल हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते रहे. पारिवारिक एवं सामाजिक झंझावातों के बावजूद वे कर्म-पथ पर अडिग रहे. उनको आधुनिक कोसी के निर्माण एवं विकास का श्रेय जाता है. हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुमार सौरभ ने कहा कि कीर्ति बाबू ने जिन उद्देश्यों को लेकर महाविद्यालय की स्थापना की, हमें उन उद्देश्यों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए. कार्यक्रम का संचालन दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कीर्ति बाबू की यश, कीर्ति एवं ख्याति हमेशा-हमेशा के लिए बनी रहेगी. हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं और उनके सपनों को साकार करने में अपना योगदान दें. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को कीर्ति बाबू के विचारों एवं कार्यों से अवगत कराने की जरूरत है. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डु कुमार ने कहा कि कीर्ति बाबू के जीवन एवं दर्शन को युवाओं के बीच पहुंचाने की जरूरत है. इसके पूर्व सभी लोगों ने कीर्ति नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की. 


इस अवसर पर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार, डॉ. प्रीति कुमारी, मुनचुन कुमारी, रितु कुमारी, शालू कुमारी, काजल कुमारी, नेहा कुमारी, प्रिया कुमारी, बानी कुमारी, खुशी कुमारी, नैना कुमारी, गुड़िया कुमारी, प्रिया, विश्वास कुमार, दिलखुश कुमार, सत्यम कुमार, गौरव कुमार, आयुष राज, सुशांत कुमार, प्रत्यास्थ कुमार, शिव कुमार, हिमांशु कुमार, आदित्य कुमार, अंकुश कुमार, गौरव कुमार, अंकेश कुमार, राजा कुमार, दिलखुश कुमार, राजनंदन कुमार, पंचानंद कुमार, हर्ष कुमार, राजकुमार, सत्यम कुमार, प्रजानंद कुमार, बबली कुमार, त्रिलोक कुमार, त्रिलोक रहमान, अभिषेक कुमार, सुनंदा कुमारी, मनोरंजन कुमार, गौरव कुमार, प्रिंस कुमार, दिलखुश कुमार, गौरव कुमार, दिलखुश कुमार, अंकु कुमार, शिवराज कुमार श, रुपेश कुमार, विकास कुमार, राजेश कुमार, रविशंकर कुमार, सुशांत कुमार, सुधीर कुमार, कृष्णा राज, अबू आजम, अरविंद कुमार आदि उपस्थित थे.

(रिपोर्ट:- ईमेल)

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