मास्टर डिग्री के बावजूद बेरोजगार जिंदगी रहे हैं ये सभी - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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13 अगस्त 2024

मास्टर डिग्री के बावजूद बेरोजगार जिंदगी रहे हैं ये सभी

डेस्क: राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से लेटर जारी कर बिहार के सरकारी विद्यालय में नाटक प्रतियोगिता करवाने को लेकर आदेश जारी किया गया है. जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि विद्यालयों में विज्ञान नाटक प्रतियोगिता करवाया जाए, जिसका आयोजन विद्यालय स्तर, प्रखंड स्तर, जिला स्तर, प्रमंडल स्तर एवं राज्य स्तर पर 21 सितंबर को पटना में होगा. इस संदर्भ में डीइओ ने जिला के सभी राजकीय, राजकीयकृत, प्रोजेक्ट, अल्पसंख्यक, मध्य व उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यपक को पत्र लिखा है. जिसमें बताया है कि राज्य शिक्षा शोध परिषद की ओर से इस प्रतियोगिता को लेकर गाइडलाइन जारी की गयी है. इसके तहत 21 सितंबर को पटना में राज्यस्तरीय साइंस ड्रामा प्रतियोगिता का आयोजन होना है. जिसमें प्रत्येक प्रमंडल की विजेता टीम भाग लेगी. यह एक श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम है. प्रत्येक ड्रामा टीम में मध्य व उच्च विद्यालय के कक्षा 6 से लेकर 10वीं तक के आठ छात्र-छात्राओं को प्रतिभागी के रूप में व मार्गदर्शक शिक्षक निदेशक के रूप में रहेंगे. साइंस ड्रामा का मुख्य विषय मानव कल्याण के लिए विज्ञान व प्राैद्योगिकी का उपयोग है. 

वहीं दूसरी ओर जिले के डिग्रीधारी अमित आनंद, सुनीत साना, मो. मोहम्मद शहंशाह, अमित कुमार अंशु आदि ने कहा कि पिछले दिनों भी बिहार सरकार द्वारा "शिक्षा सप्ताह" मनाने को लेकर पत्र जारी किया गया था, जहां सिर्फ एक - दो दिन ही जारी पत्र के आदेश का पालन किया गया. एक बार फिर पत्र जारी कर विद्यालयों में विज्ञान नाटक प्रतियोगिता का आयोजन करवाने को लेकर पत्र जारी किया गया है, जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि विद्यालय स्तर, प्रखंड स्तर, जिला स्तर, प्रमंडल स्तर एवं राज्य स्तर पर 21 सितंबर को पटना में होगा. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब विद्यालयों में "नाट्य शिक्षक" हैं ही नहीं तो इस प्रतियोगिता की तैयारी कौन करवा रहे हैं? क्या प्रतियोगिता के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होगी? बता दें कि नाट्य छात्र संघ बिहार के बैनर तले डिग्रीधारी रंगकर्मी पिछले कई वर्षों से बिहार के विद्यालयों में नाटक शिक्षक की बहाली को लेकर मुख्यमंत्री तक को आवेदन दिए, लेकिन अब तक उनकी मांगें पर कोई पहल नहीं की गई. जबकि विद्यालयों में नाट्य शिक्षक को छोड़कर कला के अन्य शिक्षको की बहाली की गई है. बिहार के विश्वविद्यालय में नाटक की डिग्री भी दी जाती है जहां से हर साल दर्जनों छात्र डिग्री लेकर बेरोजगारी की जिंदगी जीने को बेेबस है. 
(रिपोर्ट:- गरिमा उर्विशा) 
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