रक्षाबंधन का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है. आमतौर पर यह
त्योहार भाई-बहनों का माना जाता है. इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी
लंबी उम्र की दुआ करती हैं, और भाई भी अपनी बहनों को सदा रक्षा करने का वचन देते
हैं. किसने शुरू किया राखी का यह त्योहार:- रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन मनाते हैं पर क्या आप जानते हैं कि यह
त्योहार भाई-बहन ने नहीं बल्कि पति पत्नी के शुरू किया था और तभी संसार में
रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा. पुराणों के अनुसार एक बार दानवों ने देवताओं
पर आक्रमण कर दिया. देवता दानवों से हारने लगे. देवराज इंद्र की पत्नी देवताओं की
हो रही हार से घबरा गईं और इंद्र के प्राणों की रक्षा के तप करना शुरू कर दिया, तप से उन्हें एक
रक्षासूत्र प्राप्त हुआ. शचि ने इस रक्षासूत्र को श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र की
कलाई पर बांध दिया, जिससे देवताओं की शक्ति बढ़ गयी और दानवों पर जीत प्राप्त की. किसके बांधनी चाहिए राखी श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षासूत्र बांधने से इस दिन रक्षा बंधन का
त्योहार मनाया जाने लगा. पुराणों के अनुसार आप जिसकी भी रक्षा एवं उन्नति की इच्छा
रखते हैं उसे रक्षा सूत्र यानी राखी बांध सकते हैं, चाहें वह किसी भी रिश्ते में हो. राखी के साथ क्या है जरूरी:- रक्षाबंधन का त्योहार बिना राखी के पूरा नहीं होता, लेकिन राखी तभी
प्रभावशाली बनती है जब उसे मंत्रों के साथ रक्षासूत्र बांधा जाए. क्या है राखी बांधने का मंत्र:-‘ येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो
महाबलः! तेन त्वां प्रतिबध्नामि,
रक्षे! मा चल! मा चल!!’ इस मंत्र का अर्थ
है कि जिस प्रकार राजा बलि ने रक्षासूत्र से बंधकर विचलित हुए बिना अपना सब कुछ
दान कर दिया. उसी प्रकार हे रक्षा! आज मैं तुम्हें बांधता हूं, तू भी अपने
उद्देश्य से विचलित न हो और दृढ़ बना रहे. जानिए मंत्र से जुड़ी कथा:- वामन पुराण की एक
कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने जब राजा बलि से तीन पग में उनका सब कुछ ले लिया था, तब राजा बलि ने
भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा. वरदान में बलि ने विष्णु भगवान को पाताल में उनके
साथ निवास करने का आग्रह किया. भगवान विष्णु को वरदान के कारण पाताल में जाना
पड़ा. इससे देवी लक्ष्मी को बहुत दुखी हुईं. लक्ष्मी जी भगवान विष्णु को वामन से
मुक्त करवाने के लिए एक दिन वृद्ध महिला का वेष बनाकर पाताल पहुंची और वामन को
राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बना लिया. वामन ने जब लक्ष्मी से कुछ मांगने के लिए
कहा तो लक्ष्मी ने वामन से भगवान विष्णु को पाताल से बैकुंठ भेजने के लिए कहा. बहन
की बात रखने के लिए वामन ने भगवान विष्णु को देवी लक्ष्मी के साथ बैकुंठ भेज दिया.
भगवान विष्णु ने वामन को वरदान दिया कि चतुर्मास की अवधि में वह पाताल में आकर
रहेंगे. इसके बाद से हर साल चार महीने भगवान विष्णु पाताल में रहते हैं.
(स्पेशल: रिपोर्ट:- एस साना)
(स्पेशल: रिपोर्ट:- एस साना)