पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष स्व. बीपी मंडल की जयंती पर विशेष रिपोर्ट - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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24 अगस्त 2016

पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष स्व. बीपी मंडल की जयंती पर विशेष रिपोर्ट

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, पिछड़ावर्ग आयोग के अध्यक्ष स्व. बी.पी. मंडल की जयंती गुरुवार को राजकीय समारोह के रुप में मनाई जाएगी. स्कूली बच्चों द्वारा श्रद्धांजलि के रूप में प्रभातफेरी का भी आयोजन किया जाना है. स्व. बी.पी. मंडल ने सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिहार को गौरवान्वित किया. कोसी जैसे अत्यंतपिछड़े इलाके के मुरहो में जमींदार परिवार में  बीपी मंडल का जन्म हुआ. उन्होंने अपनी मेहनत, लग्न, और ईमानदारी से ऐसा काम कर दिखाया जिसे वे कभी भूलाए नहीं जा सकते हैं. उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया. उनके द्वारा किये गये कार्यों ने समाज को एक नयी दिशा और दशा देने का काम किया है. यही कारण है कि बी.पी. मंडल सदियों से दबे - कुचले लोगों के  हक के लिए आवाज उठाकर उसे मूर्त रुप देकर सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ जीने का अधिकार दिलाने में काफी हद तक सफल हुए. कोसी के पिछड़े इलाके के मुरहो गांव के स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी बाबू रास बिहारी लाल मंडल और सीतावती मंडल के घर पैदा लेने वाले बीपी मंडल ने पिछड़े, दलितों और शोषितों के दुख - दर्द को बखूबी समझते हुए अपने जीवन - काल में कई ऐसे अनोखे काम किये जिससे भारतीय राजनीति ने नई करवटें ली और वंचितों को उसका अधिकार मिला. बीपी मंडल का जन्म 25 अगस्त 1918 को काशी में हुआ था. जन्म से ही उनकी विलक्षण प्रतिभा के लोग कायल थे. बी.पी. मंडल ने समाज और देश की सेवा जिस अंदाज में की उसे संपूर्ण हिन्दुस्तान हमेशा याद करता रहेगा. बीपी मंडल 13 वर्षों तक बिहार विधान सभा के सदस्य, बिहार विधान परिषद के सदस्य और दो बार लोक सभा के सदस्य के रुप में गरिमामय उपस्थिति देकर देश को नयी दिशा तय करने का रास्ता दिखाया. 47 दिनों की अल्पावधि के लिए बिहार के मुख्यमंत्री के रुप में उन्होंने अपनी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन किया. स्व. मंडल की निर्भिकता का ही प्रमाण है कि विधान सभा में बहस के दौरान किसी सदस्य ने अनादरपूर्वक जातिगत संबोधन किया तो उन्होंने इसका जोरदार विरोध कर दिया. उनके विरोध पर अध्यक्ष ने नियमन दिया कि अनादरपूर्वक जातिगत संबोधन को असंसदीय माना जाएगा. बी.पी. मंडल के स्वाभिमान का उदाहरण यह था कि सहरसा जिले के पतरघट प्रखंड के पस्तपार के निकट पामा गांव में पुलिस की ज्यादती के खिलाफ उन्होंने अपनी ही पार्टी के विरोध में आवाज उठा दी. विरोधियों द्वारा यह कहने पर कि ऐसा तो विरोधी दल के नेता करते हैं तो तत्क्षण ही विरोधी दल के बेंच पर बैठ गये और आवाज को बुलंद करते रहे. ऐसा साहस रखने के कारण सत्तापक्ष के लोग भी उनसे भय खाने लगे. बचपन में ही पिता का साया उठ जाने के बावजूद  पिता के कर्मों और आदर्शों को सदैव आत्मसात कर विश्व स्तर पर उन्होंने अपना डंका बजाया. तात्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी भाई देसाई ने उनकी कार्यक्षमता को देखते हुए उन्हें 1 जनवरी 1979 को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया. अध्यक्ष बनने के साथ ही वे 1 वर्ष 8 महीना 22 दिनों तक संपूर्ण भारत वर्ष का दौरा कर सामाजिक स्थितियों का जायजा लिया. इसमें सभी जाति, धर्में के सामाजिक व शैक्षिक रुप से पिछडे 3743 जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण की सिफारिश की. 31 दिसंबर 1980  को आयोग की रिपोर्ट सरकार को समर्पित किया गया. जो आज मंडल आयोग के नाम से विख्यात हुआ.
 बी पी मंडल का जीवन वृत
बीपी मंडल का पुरा नाम विंध्येश्वरी प्रसाद मंडल है.
उनके पिता मुरहो के जमींदार और स्वाधीनता आंदोलन के अग्रणी सिपाही और माता का नाम सीतावती देवी था. 25 अगस्त 1918 को काशी में जन्में बीपी मंडल की प्रारंभिक शिक्षा मधेपुरा में हुई. दरभंगा से मैट्रिक और पटना विवि से स्नातक तक की पढाई की. वे 1945 से 1951 तक मधेपुरा में आॅनरेरी मजिस्टेट रहे. बिहार विधान सभा के पहले चुनाव में 1952 में मधेपुरा से विधायक चुने गये. इसके बाद 1962, 1972 में पुनः जीत हासिल की. 1968 में विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए. 1967 और 1977 में वे लोक सभा के सदस्य बने. 1967 से 68 तक बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाये गये. 1 फरवरी 1968 से 18 मार्च 1968 यानि 47 दिनों तक बिहार के मुख्यमंत्री बनाये गये. मंडल जी 1 जनवरी 1979 से 31 दिसंबर 1980 तक पिछडा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रहे. वे 1980 से मृत्युपर्यंत राज्य नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष रहे. अपने जीवन काल में मंडल जी ने कई देशॉन का भी दौरा किया. 13 अप्रैल 1982 को पटना में उनका निधन हो गया.
(रिपोर्टः मधेपुरा :- गरिमा उर्विशा)

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