पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता द्वारा तीन दिवसीय भारत लोक रंग महोत्सव का आयोजन शहर के नगर भवन(टाउन हॉल) में किया गया है. महोत्सव के दूसरे दिन बिहार की लोक संस्कृति एवं महाराष्ट्र की लोक संस्कृति से लोगो को अवगत करवाया. कार्यक्रम में सर्वप्रथम स्थानीय माया विद्या निकेतन की संगीत शिक्षिका शशिप्रभा जयसवाल एवं स्कूल के बच्चों ने मौजूद अतिथियों का स्वागत गीत गाकर कर स्वागत किया. उसके बाद कोसी की परंपरिक लोकगीत जट-जटिन पर नृत्य कर लोगों को पुरानी कला और संस्कृति को याद कराया. जिसमें दीया, आंचल, नेहा, मुस्कान, ऐस्थर, तनीशा, अर्पणा, सिंकी, सुरभी, रिया, प्रसस्ती, यशी, तनुजा, एलिया, रौशन उत्तम दास ने सक्रिय भूमिका निभाई. वहीं दूसरी प्रस्तुति महाराष्ट्र के कलाकारों ने वहां की पुरानी लोक गाथा पर आधारित तमाशा की प्रस्तुती कर दर्शकों की वाहवाही लूटी. पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता द्वारा एक राज्य की कला संस्कृति को दूसरे राज्य की कला संस्कृति से रुबरु करवा कर एक दूसरे को आपस में जोड़ने काम कर रही है. साथ हीं पौराणिक कथाओं पर आधारित लघु नाटक, नृत्य, गीत-संगीत को पुनर्स्थापित करने का काम कर रही है. महोत्सव में कलाकार भारत की विविधता के बीच एकता को प्रस्तुति करने में कामयाब रहे. महाराष्ट्र के कलाकारों ने तमाशा की प्रस्तुती देकर वहां की पौराणिक, सामाजिक और राजकीय माहौल को दिखाया. महाराष्ट्र के कलाकारों में शाहिर सम्राट, देवानंद जी माली, लाउनी समराधिनी, पूनम, माया, महिला शाहिरा, कल्पना जी माली आदि की भूमिका सराहनीय रही. महोत्सव में डॉ. भूपेंद्र मधेपुरी ने देश की कला और संस्कृति की चर्चा की. शशिप्रभा जायसवाल के स्वागत गीत से समारोह शुरु हुआ. मौके पर चंद्रिका यादव, डॉ. अंजनी कुमार, डॉ. विनय कुमार चैधरी, संजय परमार, इप्टा के सचिव अंजली कुमारी, तुरबसु, शशि भूषण, रौशन, श्याम, आशीष, अमरदीप, अखिलेश, अभिनव, गायक सुनीत साना, संदीप शाण्डिल्य, राहुल यादव,अमित आनंद, मो शहंशाह, अमित कुमार अंशु, मिथुन कुमार, गुप्ता आदि मौजूद थे. समारोह का संचालन सुभाष चंद्र ने किया. कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महेंद्र कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया.
(रिपोर्ट: मधेपुरा:- दिलखुश कुमार)