किसी ने मनाया जश्न, तो किसी ने कह दिया अलविदा - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

3 जनवरी 2018

किसी ने मनाया जश्न, तो किसी ने कह दिया अलविदा

दुनिया में आज भी बाकी है इंसानियत. कोई अपना बीच रास्ते छोड़ कर चला जाता है जिसके कारण लोग लावारिस हो जाते हैं और कभी-कभी बिना जान पहचान भी लोगों में अपनापन झलकने लगता है. बड़ा बदनसीब होता होगा वह इंसान जो दूसरों को अपना नाम देकर खुद बुढ़ापे में दर-दर की ठोकरें खाकर लावारिस कहलाता है. ठिठुरती सर्दी में भी छत का नसीब न होना और मरने के बाद कंधा देनेवाला कोई न हो, और तो और उसकी शव की शिनाख्त तक न की जा सके.
                     पता नहीं ऊपर वाला किस कलम से ऐसी तकदीर लिखता है. इसे किस्मत की सजा कहें या अपने सगों की. मानवता जहां एक ओर आज शर्मशार हो रही है वहीं कुछ लोगों के बड़प्पन उनके उच्च संस्कारों का बखान कर रहे हैं. मधेपुरा वार्ड नंबर 3 पीएचडी काॅलोनी के समीप एक भूसा डिपो में पिछले कई दिनों से एक वृद्ध व्यक्ति रहकर अपना जीवन यापन कर रहा था. ज्ञात हो कि जब पूरी दुनिया नव वर्ष के जश्न में डूबा था, तो वह वृद्ध व्यक्ति जो लावारिस माना रहा है उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.
                                   स्थानीय लोगों ने बताया कि वह व्यक्ति पिछले कई दिनों से उस बंद भूसा डिपो में रहकर अपना जीवन यापन कर रहा था, जो पूरी तरह से चारों ओर से खुला हुआ है. इस व्यक्ति के पास रहने के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी तो स्थानीय लोगों ने अपने-अपने घरों से कोई कंबल तो कोई बिछावन दिया. जिससे वह अपना जीवन काट रहा था. जब उन्हें भूख लगती थी तो आसपास के कुछ लोग उन्हें खाना खाने भी दिया करते थे. लेकिन वह व्यक्ति 1 जनवरी की रात दुनिया को अलविदा बोल गया. जिसकी सूचना तत्काल लोगों ने पुलिस को दी. लेकिन दो दिनों तक पुलिस घटनास्थल पर नहीं पहुंची.

                                   जब उस वृद्ध व्यक्ति के शव को उठाने के लिए कोई प्रशासन के लोग नहीं पहुंचे तो बुधवार को स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना स्थानीय वार्ड पार्षद डॉ. अभिलाषा कुमारी को दी तो उन्होंने तुरंत हीं इसकी सूचना स्थानीय थाना प्रभारी केपी सिंह को दी. केपी सिंह ने सूचना पाकर तुरंत घटनास्थल पर एसआई अरुण कुमार तथा एएसआई सुरेश कुमार को घटनास्थल पर भेज दिया. उन्होंने शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया.
                      जहां शव का पोस्टमार्टम कर 72 घंटे के लिए रखा गया है. अगर 72 घंटे तक उस मरे हुए वृद्ध व्यक्ति का कोई रिश्तेदार शव लेने नहीं आता है तो उसे सरकारी नियमों के अनुसार दफना दिया जाएगा. स्थानीय लोगों ने बताया कि यह कहां से आया और इसका क्या नाम है यह किसी को पता नहीं है. यह व्यक्ति यहां से पहले सीएम साइंस कॉलेज के पीछे किसी खुले जगह पर रहकर अपना जीवन-यापन कर रहा था. जब ठंड लगने लगी तो वह व्यक्ति इस भूसा घर में आकर रहने लगा.

Post Bottom Ad

Pages