मधेपुरा 10/01/2018
जिले में लोग ठंड से कंपकंपा रहे हैं. सभी स्कूल बंद कर दिए गये हैं. ठंडी हवाओं ने लोगों का घर से बाहर निकलना दूभर कर दिया है. बुधवार को भी मौसम का मिजाज काफी बर्फीला रहा.
पिछले कुछ दिनों से धूप की झलक देखने को भी लोग तरस गये हैं. ऐसे जिला प्रशासन की ओर से जिलेवासियों के लिए अलाव की व्यवस्था न करवाना उनकी लापरवाही को दर्शाता है. मुख्य बाजार स्थित कई दुकानदारों ने कड़ाके की ठंड से बचने के लिए स्वयं लकड़ी खरीदकर अलाव की व्यवस्था की है.
इन बर्फीली हवाओं में सबसे ज्यादा परेशानी रिक्शा चालक, आॅटोचालक एवं गरीब परिवार के लोगों को हो रही है. इस ठंड के सामने इंसान तो इंसान पशु भी अलाव के पास जाकर सुकून पाते हैं. मुख्य बाजार स्थित कई जगहों पर जहाँ आसपास के दुकानदार ठंड से बचने के लिए आग सेक रहे थे, वहीं कुछ पशुओं को भी अलाव के पास राहत पाते देखा गया. ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा अलाव के समुचित व्यवस्था की जरूरत है.
मुख्य बाजार स्थित दुकानदारों का कहना है कि जिला प्रशासन के द्वारा सुचारू रूप से उचित अलाव की व्यवस्था न हो पाना काफी निंदनीय है. सड़क किनारे अलाव होने से गरीब रिक्शावाले वाले हों या अन्य ठंड से राहत पाते थे और ठिठुरती ठंड में भी अपना जीविकोपार्जन करने निकलते थे. साथ में पशुओं को भी ठंड में ठिठुरना नहीं पड़ता था.
जिले में लोग ठंड से कंपकंपा रहे हैं. सभी स्कूल बंद कर दिए गये हैं. ठंडी हवाओं ने लोगों का घर से बाहर निकलना दूभर कर दिया है. बुधवार को भी मौसम का मिजाज काफी बर्फीला रहा.
पिछले कुछ दिनों से धूप की झलक देखने को भी लोग तरस गये हैं. ऐसे जिला प्रशासन की ओर से जिलेवासियों के लिए अलाव की व्यवस्था न करवाना उनकी लापरवाही को दर्शाता है. मुख्य बाजार स्थित कई दुकानदारों ने कड़ाके की ठंड से बचने के लिए स्वयं लकड़ी खरीदकर अलाव की व्यवस्था की है.
इन बर्फीली हवाओं में सबसे ज्यादा परेशानी रिक्शा चालक, आॅटोचालक एवं गरीब परिवार के लोगों को हो रही है. इस ठंड के सामने इंसान तो इंसान पशु भी अलाव के पास जाकर सुकून पाते हैं. मुख्य बाजार स्थित कई जगहों पर जहाँ आसपास के दुकानदार ठंड से बचने के लिए आग सेक रहे थे, वहीं कुछ पशुओं को भी अलाव के पास राहत पाते देखा गया. ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा अलाव के समुचित व्यवस्था की जरूरत है.
मुख्य बाजार स्थित दुकानदारों का कहना है कि जिला प्रशासन के द्वारा सुचारू रूप से उचित अलाव की व्यवस्था न हो पाना काफी निंदनीय है. सड़क किनारे अलाव होने से गरीब रिक्शावाले वाले हों या अन्य ठंड से राहत पाते थे और ठिठुरती ठंड में भी अपना जीविकोपार्जन करने निकलते थे. साथ में पशुओं को भी ठंड में ठिठुरना नहीं पड़ता था.