कुलपति को साजिश के तहत फंसाने की कोशिश - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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2 जनवरी 2018

कुलपति को साजिश के तहत फंसाने की कोशिश

मधेपुरा 02/01/2018
बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम के अंतर्गत प्रति कुलपति को विश्वविद्यालय की ओर से एक गाड़ी, ड्राइवर एवं उसे चलाने हेतु इंधन देने का प्रावधान है.
         जब डाॅ. अवध किशोर राय ने 3 फरवरी 2014 को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में प्रति कुलपति के रूप में योगदान दिया तो उन्हें भी ये सुविधाएं मिलीं. लेकिन गाड़ी पुरानी थी और अक्सर खराब होती थी.
          जनवरी 2016 में प्रति कुलपति के ड्राइवर ने उन्हें बताया कि गाड़ी अत्यधिक खराब है. तदनोपरांत प्रति कुलपति ने  कुलपति को इसकी जानकारी दी. कुलपति ने नयी गाड़ी खरीदने की सहमति देते हुए इसके लिए प्रस्ताव बढ़ाने का मौखिक आदेश दिया. तदनोपरांत प्रति कुलपति के सचिव ने 14 जनवरी 2016 को एक नई गाड़ी खरीदी जा सकती है.
               इस आशय का एक प्रस्ताव बढ़ाया. इस प्रस्ताव को प्रति कुलपति ने वित्त पदाधिकारी को अग्रसारित किया. वित्त पदाधिकारी ने क्रय-विक्रय समिति के सचिव के रूप में स्टोर को लिखा कि गाड़ी खरीदने का प्रस्ताव क्रय-विक्रय समिति में रखा जाए. तदनुसार समिति में एक प्रस्ताव रखा गया कि विश्वविद्यालय के लिए एक स्कार्पियो या जाइलो गाड़ी खरीदी जाए.
          19 जनवरी 2016 को आयोजित समिति की बैठक में यह प्रस्ताव स्वीकृत किया गया. पुनः इस प्रस्ताव को 11 फरवरी 2016 को सिंडीकेट की बैठक में भी अनुमोदित किया गया. अंततः इंजिनीयर अरूण कुमार और कुलपति के ड्राइवर नकुल कुमार ने विश्वविद्यालय के लिए अप्रैल में वत्स आॅटोमोबाइल से एक स्कार्पियो गाड़ी खरीदी और गाड़ी में एसेसरिज भी लगाई.
             साथ हीं इस आशय का प्रमाण-पत्र दिया कि गाड़ी बिल्कुल सही हालत में है. विश्वविद्यालय आने के बाद यह गाड़ी करीब 40 दिनों तक कुलपति के यहाँ रही. फिर कुलपति के आदेश से गाड़ी प्रति कुलपति को आवंटित की गयी. प्रति कुलपति ने देखा कि गाड़ी का टैक्स टोकन उपलब्ध नहीं है.

                उन्होंने इंजिनीयर से कहा कि जब तक टैक्स टोकन उपलब्ध नहीं कराया जाए, तब तक शेष भुगतान नहीं किया जाए. कुलपति ने भी इस पर सहमति दी. फिर इस संदर्भ में कुलसचिव के माध्यम से 22 जुलाई 2016 को वत्स आॅटोमोबाइल को इस आशय का पत्र भेजा गया और पत्र में लिखा गया कि यदि 7 दिनों के अंदर टैक्स टोकन नहीं दिया गया और पंजीयन नहीं कराया गया, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
                 इसके बाद 4 अगस्त को विश्वविद्यालय को गाड़ी का टैक्स टोकन प्राप्त हुआ. 9 अगस्त को डी. टी. ओ. से विधिवत गाड़ी को नंबर भी मिला. इसके पूर्व गाड़ी में वत्स आॅटोमोबाइल द्वारा उपलब्ध कराया गया अस्थायी नंबर लगा था.

                प्रति कुलपति के प्रयासों से गाड़ी का पंजीयन होने से अस्थायी नंबर की जगह स्थायी नंबर मिला. यह गाड़ी का पहली बार और एकमात्र बार पंजीयन था. इसे दुबारा पंजीयन कहना सरासर गलत है और इसके आलोक में गाड़ी को सेकेंड हेंड बताना भी सर्वथा अनुचित है.
              विशेषकर डाॅ. अवध किशोर राय के 2 फरवरी 2017 को प्रति कुलपति के पद से अवकाशग्रहण करने के बाद एक साजिश के तहत गाड़ी खरीद मामले में इनका नाम जोड़ा गया. यह सरासर दुर्भावना से प्रेरित है. मालूम हो कि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम में प्रति कुलपति को कोई वित्तीय अधिकार नहीं है. प्रति कुलपति क्रय-विक्रय समिति एवं वित्त समिति के सदस्य भी नहीं होते हैं.
                प्रति कुलपति के जिम्मे स्नातक स्तर तक की परीक्षाओं के संचालन की जिम्मेदारी है. साथ हीं उन्हें कुलपति से प्राप्त आदेशों का पालन करना होता है. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के तत्कालीन प्रति कुलपति एवं संप्रति बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय ने सोमवार को मीडिया के समक्ष अपनी बात रखी.
               उन्होंने बताया कि उन्हें इस मामले में एक साजिश के तहत फंसाने का प्रयास किया जा रहा है. इस मामले में अप्राथमिकी अभियुक्त बनाने से उन्हें गहरा आघात लगा है. इसके बाद उन्होंने डीजीपी, बिहार, डीआईजी भागलपुर, एसएसपी भागलपुर एवं अन्य पदाधिकारियों को भी पूरे मामले में अपने पक्ष से अवगत कराया था.
            इसके बावजूद मीडिया में उनके खिलाफ एकतरफा रिपोर्टें आ रही हैं. आरोप लगाने वाले उनके पक्ष को नहीं देख रहे हैं और न तो बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम की संबंधित धाराओं को ही देख रहे हैं. अतः सोमवार को उन्होंने महामहिम कुलाधिपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है.

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