मधेपुरा 04/02/2018
मधेपुरा यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल यादव ने विज्ञप्ति जारी कर बीएन मंडल विवि के 1500 करोड़ के बजट पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि मात्र 5 मिनट में विवि बजट पारित कर देना हास्यास्पद है.
बजट में शिक्षक हित, पेंशनहित, प्रमोशन, डिमोशन की बात तो हुई लेकिन छात्र हित के मुद्दे पर किसी ने मुँह नहीं खोला.
उन्होंने कहा कि बजट मिला जुला है और बजट में सिर्फ नाॅर्थ कैम्पस की चर्चा है, जो स्वागत योग्य तो है लेकिन नाॅर्थ कैम्पस में विवि के कुल छात्र का 2 प्रतिशत भी छात्र नहीं है, वहीं बजट में कॉलेज के छात्र/छात्राओं की सुरक्षा, प्रोयगशाला को सुचारू रूप से चलाने, पुस्तकालयों की व्यवस्था ठीक करने, छात्रों की उपस्थिति आदि महत्वपूर्ण बात नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है.
बजट में ये भी नहीं दर्शाया गया है कि निर्धन छात्र कोष में कितनी राशि जमा है और अभी तक कितने छात्रों को लाभ मिला है. विवि प्रशासन ने शोध की बात कहीं नहीं की.
यहाँ के छात्रों के हित में रोजगारपरक शोध सेंटर खोलने की बात करनी चाहिए. जब दुनिया चाँद पर घर बनाने की बात कर रही है तब विवि एमसीए, एमबीए, एमएड, बीएलआईएस कोर्स खोलने की बात कर रही है. विवि को अभी तक नैक से मान्यता नहीं मिली है.
साथ हीं 2 - 4 कॉलेजों को छोड़ दें तो नैक का काम भी जीरो है. कुलपति द्वारा नदी संरक्षण के विषय को उठाना स्वागत योग्य है, लेकिन भूगोल विभाग को इसमें शोध के लिए आदेश देना भी जरूरी है. सीनेट सदस्य मनीषा रंजन ने स्पोर्ट्स की बात उठाई. साथ हीं इसके लिए ट्रेंनिग कॉलेज की बात भी स्वागत योग्य है.
सीनेट सदस्य डॉ. नरेश कुमार द्वारा थाना खोलना सराहनीय है लेकिन कॉलेज में भी खुलना चाहिए. विवि प्रशासन को ये भी बताना चाहिए कि परीक्षा विभाग में कितने छात्र लांग गेप और पेंडिंग की समस्या से जूझ रहे हैं.
प्रॉक्टर ने खुलेआम प्राचार्य को पीटा लेकिन कोई करवाई नहीं की गई. 1500 करोड़ के बजट में छात्र हित की अनदेखी दुर्भाग्यपूर्ण है.
मधेपुरा यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल यादव ने विज्ञप्ति जारी कर बीएन मंडल विवि के 1500 करोड़ के बजट पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि मात्र 5 मिनट में विवि बजट पारित कर देना हास्यास्पद है.
बजट में शिक्षक हित, पेंशनहित, प्रमोशन, डिमोशन की बात तो हुई लेकिन छात्र हित के मुद्दे पर किसी ने मुँह नहीं खोला.
उन्होंने कहा कि बजट मिला जुला है और बजट में सिर्फ नाॅर्थ कैम्पस की चर्चा है, जो स्वागत योग्य तो है लेकिन नाॅर्थ कैम्पस में विवि के कुल छात्र का 2 प्रतिशत भी छात्र नहीं है, वहीं बजट में कॉलेज के छात्र/छात्राओं की सुरक्षा, प्रोयगशाला को सुचारू रूप से चलाने, पुस्तकालयों की व्यवस्था ठीक करने, छात्रों की उपस्थिति आदि महत्वपूर्ण बात नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है.
बजट में ये भी नहीं दर्शाया गया है कि निर्धन छात्र कोष में कितनी राशि जमा है और अभी तक कितने छात्रों को लाभ मिला है. विवि प्रशासन ने शोध की बात कहीं नहीं की.
यहाँ के छात्रों के हित में रोजगारपरक शोध सेंटर खोलने की बात करनी चाहिए. जब दुनिया चाँद पर घर बनाने की बात कर रही है तब विवि एमसीए, एमबीए, एमएड, बीएलआईएस कोर्स खोलने की बात कर रही है. विवि को अभी तक नैक से मान्यता नहीं मिली है.
साथ हीं 2 - 4 कॉलेजों को छोड़ दें तो नैक का काम भी जीरो है. कुलपति द्वारा नदी संरक्षण के विषय को उठाना स्वागत योग्य है, लेकिन भूगोल विभाग को इसमें शोध के लिए आदेश देना भी जरूरी है. सीनेट सदस्य मनीषा रंजन ने स्पोर्ट्स की बात उठाई. साथ हीं इसके लिए ट्रेंनिग कॉलेज की बात भी स्वागत योग्य है.
सीनेट सदस्य डॉ. नरेश कुमार द्वारा थाना खोलना सराहनीय है लेकिन कॉलेज में भी खुलना चाहिए. विवि प्रशासन को ये भी बताना चाहिए कि परीक्षा विभाग में कितने छात्र लांग गेप और पेंडिंग की समस्या से जूझ रहे हैं.
प्रॉक्टर ने खुलेआम प्राचार्य को पीटा लेकिन कोई करवाई नहीं की गई. 1500 करोड़ के बजट में छात्र हित की अनदेखी दुर्भाग्यपूर्ण है.