मधेपुरा 05/02/2018
मधेपुरा जिले में इसबार फिर 31 हजार से अधिक छात्र परीक्षा में शामिल हो रहे हैं.
कोसी क्षेत्र के सहरसा और सुपौल की जनसंख्या और क्षेत्रफल की तुलना में मधेपुरा भले ही कम है, लेकिन इंटर और मैट्रिक परीक्षार्थियों की संख्या के मामले में हर साल आगे रहता है. ऐसा नहीं कि मधेपुरा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्कूलों और कॉलेजों में बेहतर शैक्षणिक वातावरण को लेकर बड़ी संख्या में बाहरी छात्र यहां पढ़ने आते हैं.
इसका मजबूत कारण इस जिले में सक्रिय शिक्षा माफिया हैं, जो एक निर्धारित रकम लेकर इंटर पास कराने का ठेका लेते हैं. इस बात का खुलासा पूर्व में ही जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट से हो चुका है.
प्रशासनिक सख्ती के कारण बाहरी छात्रों के आने का सिलसिला तो नहीं रूका, लेकिन यह जरूर हुआ कि पिछले दो साल से छात्रों का आंकड़ा 50 हजार को पार नहीं कर पाया है. पिछले एक दशक के आंकड़ों पर गौर करें तो मधेपुरा में परीक्षा पास करना बाहरी छात्रों के लिए आसान रहा है.
ऐसे में अन्य जिलों के अलावा नेपाल के सीमावर्ती इलाकों से भी छात्र यहां इंटर की डिग्री लेने आते रहे हैं. पिछले कई सालों की तुलना में बाहरी छात्रों की संख्या घटी जरूर है लेकिन पूरी तरह नहीं रूक पायी है. यहां के कई कॉलेजों और स्कूलों में रजिस्ट्रेशन के समय से ही इसका कारोबार शुरू हो जाता है.
गौरतलब है कि पिछले साल सरकार के निर्देश पर कई प्रस्वीकृत इंटर कॉलेजों की जांच शुरू की गयी थी, जिसमें सरकार से निर्धारित मापदंडों को पूरा करने की बाध्यता संबंधी बातों पर जांच करने को कहा गया था.
लेकिन इस जांच रिपोर्ट का क्या हुआ इसके बारे में कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की गयी. जानकारी हो कि इस जिले में कई ऐसे कॉलेज हैं जहां साल में एक महीने भी वर्गों का संचालन नहीं हो पाता है. लेकिन फॉर्म भरने वाले छात्रों की संख्या कम नहीं होती है.
मधेपुरा जिले में इसबार फिर 31 हजार से अधिक छात्र परीक्षा में शामिल हो रहे हैं.
कोसी क्षेत्र के सहरसा और सुपौल की जनसंख्या और क्षेत्रफल की तुलना में मधेपुरा भले ही कम है, लेकिन इंटर और मैट्रिक परीक्षार्थियों की संख्या के मामले में हर साल आगे रहता है. ऐसा नहीं कि मधेपुरा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्कूलों और कॉलेजों में बेहतर शैक्षणिक वातावरण को लेकर बड़ी संख्या में बाहरी छात्र यहां पढ़ने आते हैं.
इसका मजबूत कारण इस जिले में सक्रिय शिक्षा माफिया हैं, जो एक निर्धारित रकम लेकर इंटर पास कराने का ठेका लेते हैं. इस बात का खुलासा पूर्व में ही जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट से हो चुका है.
प्रशासनिक सख्ती के कारण बाहरी छात्रों के आने का सिलसिला तो नहीं रूका, लेकिन यह जरूर हुआ कि पिछले दो साल से छात्रों का आंकड़ा 50 हजार को पार नहीं कर पाया है. पिछले एक दशक के आंकड़ों पर गौर करें तो मधेपुरा में परीक्षा पास करना बाहरी छात्रों के लिए आसान रहा है.
ऐसे में अन्य जिलों के अलावा नेपाल के सीमावर्ती इलाकों से भी छात्र यहां इंटर की डिग्री लेने आते रहे हैं. पिछले कई सालों की तुलना में बाहरी छात्रों की संख्या घटी जरूर है लेकिन पूरी तरह नहीं रूक पायी है. यहां के कई कॉलेजों और स्कूलों में रजिस्ट्रेशन के समय से ही इसका कारोबार शुरू हो जाता है.
गौरतलब है कि पिछले साल सरकार के निर्देश पर कई प्रस्वीकृत इंटर कॉलेजों की जांच शुरू की गयी थी, जिसमें सरकार से निर्धारित मापदंडों को पूरा करने की बाध्यता संबंधी बातों पर जांच करने को कहा गया था.
लेकिन इस जांच रिपोर्ट का क्या हुआ इसके बारे में कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की गयी. जानकारी हो कि इस जिले में कई ऐसे कॉलेज हैं जहां साल में एक महीने भी वर्गों का संचालन नहीं हो पाता है. लेकिन फॉर्म भरने वाले छात्रों की संख्या कम नहीं होती है.