झूठ बोलने से हमेशा उलझनें बढ़ती हैं, क्योंकि कभी न कभी झूठ का पर्दाफॉश जरूर होता है और फिर लोग हाथ मलते रह जाते हैं.
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा संगीत एवं नाट्य विभाग के प्रांगण में बुधवार को नाट्यशास्त्र चतुर्थ सेमेस्टर के छात्रों द्वारा प्रयोगिक परीक्षा में ज्योतिरीश्वर ठाकुर द्वारा लिखित एवं दीपक सिन्हा द्वारा निर्देशित नाटक धूर्तसमागम का मंचन किया गया. नाटक के जरिये समाज में फैली बुराइयों को उजागर किया गया है.
कलाकारों ने नाटक में अपने कौशल से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. एक लालची सेठ को झूठ बोलने की बीमारी है. दो साधु भिक्षा के लिए उसके दरवाजे पर पहुंचते हैं पर सेठ कहता है कि घर में औरत को बच्चा हुआ है. इसलिए घर अशुद्ध है. पड़ोस के घर में जाकर भिक्षा मांग ले. साधु भी चालाक प्रवृत्ति के हैं. उसने पड़ोसी के घर जाकर एक महिला को आपबीती सुनाई.
महिला भी धूर्त होती है. उसने साधु को दुबारा सेठ के घर भेज दिया. साधु कहता है कि सेठ घर का सारा खजाना निकाल लो उसे मैं दुगुना बना दूंगा. सेठ सारा खजाना साधु के सामने रखता है. फिर साधु उससे लाल पानी लाने को कहता है. लालच में वह इतना अंधा होता है कि वह लाल पानी लाने दूर चला जाता है. खाली हाथ लौटने पर देखता है कि साधु सारा खजाना लेकर चंपत हो गया.
बाद में पंचायत बुलाई जाती है और एक नाई झूठ बोलकर सारा खजाना समेट लेता है और कहता है अब संपन्न हुआ झूठ का समागम. मजबूत प्रभावी संवादों के जरिये कलाकारों ने खूब तालियां बटोरी, वहीं दर्शकों को खूब हंसाया.
नाटक में मुकेश कुमार, यूरेका, एएस अंजाररुल हक, सचिन कुमार, अश्विनी भारती, वसुधा कुमारी, अंकिता कुमारी, हीरालाल राय, सुभाष कुमार, सुदीप कुमार, दयाल कृष्णनाथ, जफर आलम, राज कपूर, समीर कुमार, रौशन कुमार, रोहित कुमार, मनोज सिंह, मोहम्मद शहंशाह ने जीवंत अभिनय किया. संगीत परिकल्पना राजू रंजन एवं रवि भूषण शर्मा ने किया. रूप सज्जा विभाग के प्रोफेसर हेमेंद्र कुमार लाभ एवं रवि भूषण शर्मा ने किया. प्रकाश परिकल्पना रवि वर्मा एवं जय भारती ने किया. मौके पर विभागाध्यक्ष प्रोफेसर लावण्या कृति सिंह काव्य, प्रोफेसर पुष्पम नारायण प्रोफेसर वेदप्रकाश, प्रोफेसर सुनील ठाकुर, प्रोफेसर विजय साह प्रोफेसर सुधीर कुमार, प्रोफेसर हेर्मेंद्र कुमाार लाभ सहित विभाग के कई छात्र छात्राएं एवं दर्शकगण मौजूद थे.