एकतरफा प्रेम - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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20 मार्च 2018

एकतरफा प्रेम

रात के ख्वाब में हर बात मानती 
दिन के भीड़ में नखरे दिखाती
अपने लफ्जों से विश्वास दिला
फिर बातें झूठा बताती
कदम आगे शिद्दत से बढ़ा
फिर यूं पीछे खींच लेती 
समुंद्र से प्यार उछाल
फिर खुद ही समेट लेती
इश्क काजी उस कातिल का
रूह आज भी कांपती है
इस काजी इश्क की दरिया
खुद का ही दम घूँटता है
क्या क्या कहती ये हवाएं
चुपके से मेरे कानों में
एकतरफा प्रेम भरे भाव से
फिर भी पौने मैं तेरा होता..
(कल्पना- नवीन कुमार) 

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