मैं और बादल - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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7 अप्रैल 2018

मैं और बादल

मैंने कल मुस्कुरा क्या दिया, कुछ जलने ही लगे!
बादलों की तो देखो आज,
समझाने ही लगे !
          मैंने तो ख्वाबों में,
           बीते पल को फिर से सजाया !
           बादलों की तो देखो आज,
           अपने अश्कों से धो डाले !
पहले हवा भी चलती थी तो,
प्रेम का श्रेय देते थे !
अब चाँद भी उतर आए तो,
तसल्ली नहीं मिलती !

(कल्पना- नवीन कुमार)

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