पटना 12/05/2018
शनिवार को यूनिसेफ बिहार और आचार्य श्री सुर्दशन पटना सेंट्रल स्कूल के द्वारा संयुक्त रूप से बच्चों के अधिकार पर बच्चों के साथ एक परिचर्चा का आयोजन विद्यालय परिसर में किया गया. इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य श्री एस पी सिंह, यूनिसेफ बिहार के संचार सलाहकार अविनाश उज्ज्वल, संयुक्ता चौधरी, अकरम अली, विद्यालय के शिक्षक डॉ. कृष्ण मोहन सिंह, वंदना पाठक, रंजय कुमार सिंह, मोमेंदर सिंह और निकी श्वेता समेत कक्षा 9 और 10 के लगभग 300 बच्चे उपस्थित थे.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री एस पी सिंह ने कहा कि बच्चों के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए उनमें जागरूकता और सतर्कता दोनों की आवश्यकता है वर्ना बच्चों के प्रदत अधिकार पूरे नहीं हो सकते हैं. आरटीई के बारे में बताते हुए उन्होंनें कहा कि इसके तहत 6 से 14 साल के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की बात की गई है. बच्चों के लिए यह जानना आवश्यक है कि उनके क्या-क्या अधिकार हैं. कार्यक्रम के बारे में बताते हुए यूनिसेफ बिहार के सलाहकार अकरम अली ने कहा कि आज के पहल का उददेश्य बच्चों के साथ एक संवाद स्थापित करना है और उनके अधिकारों के साथ हीं उन्हें उनकी जिम्मेादारियों के बारे में बताना भी जरुरी है. पूरे विश्व में कुल आबादी का 31 % जनसंख्या बच्चे हैं.
वहीं भारत में यह आंकड़ा 37 % है. बिहार में 4.7 करोड़ बच्चे हैं जो कुल जनसंख्या का 46% है तथा अनुपात के हिसाब से देश के सभी राज्यों में बच्चो की जनसंख्या से अधिक है. उन्होंने कहा किबिहार सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण तथा सुरक्षा के लिए बहुत हीं अच्छे कार्य किये जा रहे रहे हैं. परन्तु इन सबके बावजूद बच्चों की स्थिति में अभी और सुधार की ज़रुरत है. कार्यक्रम की शुरूआत फेयर चांस फॉर एवरी चाइल्ड नामक यूनिसेफ के द्वारा बनाई गई फिल्मों के प्रर्दशन से की गई.
इस फिल्म के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि कैसे अलग-अलग बच्चों की परिस्थितियों में विषमतायें हैं और उसके आधार पर उनको शिक्षा स्वास्थ्य और भागीदारी में बराबरी का अधिकार दिया जाये. इसके पश्चात बच्चों के साथ एक क्विज कम्पटीशन का आयोजन किया गया. इसमें बच्चों के विकास संकेतकों पर आधारित प्रश्नों के साथ-साथ सामान्य ज्ञान और बाल अधिकार से जुड़े फिल्मों से भी प्रश्न पूछे गए. तकनीकी सत्र के दौरान अविनाश उज्ज्वल ने कहा कि सरकार के द्वारा बच्चों की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं जिससे बच्चों की स्थिति में काफी हद तक सुधार आया है लेकिन समाज में जागरूकता की कमी, रूढ़िवादी सोच और बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण भी उस प्रकार की सफलता नहीं मिल पा रही है.
सभी बच्चों के विकास और बेहतर भविष्य के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करने की जरुरत है. इस दौरान इन्होंने पोक्सो, जेजे एक्ट के बारे में विस्तार से बताया. संयुक्ता चौधरी ने बच्चों के अधिकारों, उनसे जुडी नीतियों, योजनाओं, कानूनों के साथ की सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियानों की भी जानकारी दी. इस दौरान बच्चों को संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता और राष्ट्रीय बाल नीति 2013 में वर्णित सुरक्षा, संरक्षण, विकास और भागीदारी के अधिकारों और आरटीई एक्ट के बारे में बताया गया. कार्यक्रम के अंत में बच्चों ने अपने विचार और बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए किये जाने वाले प्रयासों के बारे में बताया. इसके बारे में बताते हुए संचार विशेषज्ञ सुश्री निपुण गुप्ता ने कहा कि यूनिसेफ बिहार के द्वारा बाल अधिकार और बच्चों की बेहतरी के लिए सभी धर्मगुरुओं के साथ मिल कर ‘बिहार इन्टर फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन’ का गठन किया गया था.
इस फोरम में बिहार के सभी धर्म से जुड़े धर्मगुरु और अध्यात्मिक गुरु शामिल है. आचार्य सुदर्शन जी महाराज बिहार इन्टर फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन’ के कोर कमिटी के सदस्य हैं. विभिन्न संस्थानों के द्वारा बाल अधिकार से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों का आग्रह किया गया था. आज का कार्यक्रम उसी क्रम में पहला आयोजन हैं. समाज के साथ हीं बच्चे भी चेंज एजेंट की भूमिका निभा सकते हैं. वो अपने और अपने आस-पास के बच्चों के अधिकार को सुनिश्चित करने में महत्वूपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. छात्र स्वयं अपनी जिम्मेदारी तय करें कि वो कैसे अपने स्तर से, विद्यालय स्तर से, समाज और समूह स्तर से लोगों को इसके बारे में जागरूक करेंगे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
शनिवार को यूनिसेफ बिहार और आचार्य श्री सुर्दशन पटना सेंट्रल स्कूल के द्वारा संयुक्त रूप से बच्चों के अधिकार पर बच्चों के साथ एक परिचर्चा का आयोजन विद्यालय परिसर में किया गया. इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य श्री एस पी सिंह, यूनिसेफ बिहार के संचार सलाहकार अविनाश उज्ज्वल, संयुक्ता चौधरी, अकरम अली, विद्यालय के शिक्षक डॉ. कृष्ण मोहन सिंह, वंदना पाठक, रंजय कुमार सिंह, मोमेंदर सिंह और निकी श्वेता समेत कक्षा 9 और 10 के लगभग 300 बच्चे उपस्थित थे.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री एस पी सिंह ने कहा कि बच्चों के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए उनमें जागरूकता और सतर्कता दोनों की आवश्यकता है वर्ना बच्चों के प्रदत अधिकार पूरे नहीं हो सकते हैं. आरटीई के बारे में बताते हुए उन्होंनें कहा कि इसके तहत 6 से 14 साल के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की बात की गई है. बच्चों के लिए यह जानना आवश्यक है कि उनके क्या-क्या अधिकार हैं. कार्यक्रम के बारे में बताते हुए यूनिसेफ बिहार के सलाहकार अकरम अली ने कहा कि आज के पहल का उददेश्य बच्चों के साथ एक संवाद स्थापित करना है और उनके अधिकारों के साथ हीं उन्हें उनकी जिम्मेादारियों के बारे में बताना भी जरुरी है. पूरे विश्व में कुल आबादी का 31 % जनसंख्या बच्चे हैं.
वहीं भारत में यह आंकड़ा 37 % है. बिहार में 4.7 करोड़ बच्चे हैं जो कुल जनसंख्या का 46% है तथा अनुपात के हिसाब से देश के सभी राज्यों में बच्चो की जनसंख्या से अधिक है. उन्होंने कहा किबिहार सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण तथा सुरक्षा के लिए बहुत हीं अच्छे कार्य किये जा रहे रहे हैं. परन्तु इन सबके बावजूद बच्चों की स्थिति में अभी और सुधार की ज़रुरत है. कार्यक्रम की शुरूआत फेयर चांस फॉर एवरी चाइल्ड नामक यूनिसेफ के द्वारा बनाई गई फिल्मों के प्रर्दशन से की गई.
इस फिल्म के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि कैसे अलग-अलग बच्चों की परिस्थितियों में विषमतायें हैं और उसके आधार पर उनको शिक्षा स्वास्थ्य और भागीदारी में बराबरी का अधिकार दिया जाये. इसके पश्चात बच्चों के साथ एक क्विज कम्पटीशन का आयोजन किया गया. इसमें बच्चों के विकास संकेतकों पर आधारित प्रश्नों के साथ-साथ सामान्य ज्ञान और बाल अधिकार से जुड़े फिल्मों से भी प्रश्न पूछे गए. तकनीकी सत्र के दौरान अविनाश उज्ज्वल ने कहा कि सरकार के द्वारा बच्चों की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं जिससे बच्चों की स्थिति में काफी हद तक सुधार आया है लेकिन समाज में जागरूकता की कमी, रूढ़िवादी सोच और बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण भी उस प्रकार की सफलता नहीं मिल पा रही है.
सभी बच्चों के विकास और बेहतर भविष्य के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करने की जरुरत है. इस दौरान इन्होंने पोक्सो, जेजे एक्ट के बारे में विस्तार से बताया. संयुक्ता चौधरी ने बच्चों के अधिकारों, उनसे जुडी नीतियों, योजनाओं, कानूनों के साथ की सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियानों की भी जानकारी दी. इस दौरान बच्चों को संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता और राष्ट्रीय बाल नीति 2013 में वर्णित सुरक्षा, संरक्षण, विकास और भागीदारी के अधिकारों और आरटीई एक्ट के बारे में बताया गया. कार्यक्रम के अंत में बच्चों ने अपने विचार और बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए किये जाने वाले प्रयासों के बारे में बताया. इसके बारे में बताते हुए संचार विशेषज्ञ सुश्री निपुण गुप्ता ने कहा कि यूनिसेफ बिहार के द्वारा बाल अधिकार और बच्चों की बेहतरी के लिए सभी धर्मगुरुओं के साथ मिल कर ‘बिहार इन्टर फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन’ का गठन किया गया था.
इस फोरम में बिहार के सभी धर्म से जुड़े धर्मगुरु और अध्यात्मिक गुरु शामिल है. आचार्य सुदर्शन जी महाराज बिहार इन्टर फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन’ के कोर कमिटी के सदस्य हैं. विभिन्न संस्थानों के द्वारा बाल अधिकार से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों का आग्रह किया गया था. आज का कार्यक्रम उसी क्रम में पहला आयोजन हैं. समाज के साथ हीं बच्चे भी चेंज एजेंट की भूमिका निभा सकते हैं. वो अपने और अपने आस-पास के बच्चों के अधिकार को सुनिश्चित करने में महत्वूपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. छात्र स्वयं अपनी जिम्मेदारी तय करें कि वो कैसे अपने स्तर से, विद्यालय स्तर से, समाज और समूह स्तर से लोगों को इसके बारे में जागरूक करेंगे.
(रिपोर्ट:- ईमेल)