शास्त्रीय संगीत की जननी लोकसंगीत है: रामस्वरूप - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

21 जून 2018

शास्त्रीय संगीत की जननी लोकसंगीत है: रामस्वरूप

मधेपुरा 
विश्व संगीत दिवस के अवसर पर प्रांगण रंगमंच द्वारा गुरुवार को टाउन हॉल में समारोह पूर्वक विश्व संगीत दिवस मनाया गया. लोक संगीत के महत्व विषय पर आयोजित परिचर्चा में संगीत और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले व्यक्तित्व को सम्मानित किया गया.
                         समारोह की अध्यक्षता प्रांगण रंगमंच के अध्यक्ष संजय कुमार परमार ने की. समारोह के मुख्य अतिथि संगीत मर्मज्ञ रामस्वरूप प्रसाद यादव ने कहा की शास्त्रीय संगीत की जननी लोक संगीत है. लोगों को संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनानी हो तो लोक संगीत पर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि सुर, लय, ताल को जान लेने पर लोक संगीत सुगम और श्रवणीय हो जाता है.
                               इसके लिए शास्त्रीय संगीत को भी सीखना जरूरी है. शास्त्रीय संगीत सीख कर हम लोक संगीत को समृद्ध बना सकते हैं. उन्होंने प्रांगण रंगमंच के सदस्यों का आभार व्यक्त करते कहा कि विश्व संगीत दिवस पर समारोह का आयोजन कर संगीत प्रेमियों के मनोबल को बढ़ाया है. इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल छात्र राहुल कुमार ने कहा कि लक्ष्य निर्धारित कर नियमित रुप से अध्ययन करने पर सफलता अवश्य मिलती है. उन्होंने छात्रों से अपनी सुविधानुसार अध्ययन करने की बात कही. संगीत शिक्षक मुकेश कुमार और रोशन कुमार ने कहा कि लोक संगीत की धुन में अपनापन महसूस होता है. आज हम पश्चिमी देश के धून को अपनाकर अपनी संस्कृति को छोड़कर जा रहे हैं.
                                          उपाध्यक्ष राकेश कुमार डब्लू, ने कहा विश्व में सदा ही शांति बरकरार रखने के लिए ही  पहली बार 21 जून सन् 1982 में प्रथम विश्व संगीत दिवस मनाया गया. विश्व संगीत दिवस के अलावा इसे संगीत समारोह के रूप में भी जाना जाता है. यह एक तरह से संगीत त्यौहार है, जिसे सारे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. भारत में इस अवसर पर कहीं संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है तो कहीं संगीत से भरे कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाती है. 

       कार्यकारिणी सदस्य विक्की विनायक ने कहा अपनी ज़िंदगी के व्यस्त समय से कुछ पल सुकून के निकालिए और महसूस कीजिए इस संगीतमय दुनिया की धुन को. संगीत मानव जगत को ईश्वर का एक अनुपम दैवीय वरदान है. यह न सरहदों में कैद होता है और न भाषा में बंधता है. माना हर देश की भाषा, पहनावा और खानपान भले ही अलग हों, लेकिन हर देश के संगीत में सभी सात सुर एक जैसे होते हैं और लय-ताल भी एक सी होती है. 
                                   प्रांगण रंगमंच के सचिव अमित आनंद ने कहा कि संगीत प्रेमियों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है. संगीत प्रेमियों को एक मंच पर लाने के लिए 1982 में फ्रांस से इसकी शुरुआत की गई थी. संयुक्त सचिव दिलखुश कुमार ने कहा  संगीत दुनिया में हर जगह है. अगर इसे महसूस करें तो दैनिक जीवन में संगीत ही संगीत भरा है कोयल की कूक, पानी की कलकल, हवा की सरसराहट हर जगह संगीत ही तो है बस ज़रूरत है तो इसे महसूस करने की. 
                                                            रंगकर्मी सुनीत साना ने कहा संगीत सिर्फ सात सुरों में बंधा नहीं होता. इसे बांधने के लिए विश्व की सीमाएं भी कम पड़ जाती हैं. संगीत दुनिया में हर मर्ज की दवा मानी जाती है. यह दुखी से दुखी इंसान को भी खुश कर देती है, संगीत का जादू एक मरते हुए इंसान को भी खुशी के लम्हे दे जाता है.
                        मौके पर संगीत के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले रामस्वरूप प्रसाद यादव, मुकेश कुमार, रोशन कुमार, ओमानंद और शिक्षा छात्र राहुल कुमार को प्रशस्ति पत्र, मोमेंटो और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया. मौके पर आशीष सत्यार्थी, लीजा मान्या, शुभांगी आनंद, रितिका, रिषिका, धीरेंद्र, रवि, नीरज, अभिषेक, विधांशु, प्रल्हाद, पवन, अनमोल, मनोज, सूरज, अनिश बाबू, आदि ने भी अपनी बात कही. धन्यवाद ज्ञापन संस्था के कार्यकारिणी सदस्य अक्षय कुमार ने किया.



.
                                


   
                        

                                        

Post Bottom Ad

Pages