संस्कृत में ही भारतीय संस्कृति निहित है: डाॅ. सुरेन्द्र - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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5 सितंबर 2018

संस्कृत में ही भारतीय संस्कृति निहित है: डाॅ. सुरेन्द्र

मधेपुरा
संस्कृत सबसे प्राचीन भाषा है. दुनिया की प्रायः सभी भाषाएँ इसी से निकली हैं. यह बात संस्कृत, पालि एवं प्राकृत विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में प्राध्यापक डाॅ. सुरेन्द्र मोहन मिश्र ने कही. वे मंगलवार को केन्द्रीय पुस्तकालय, बीएनएमयू, मधेपुरा के तत्वावधान में आयोजित 21 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में व्याख्यान दे रहे थे.
                  यह कार्यशाला राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है. उन्होंने कहा कि संस्कृत में ही भारतीय संस्कृति निहित है. भारतीय संस्कृति के वैश्विक विकास हेतु संस्कृत का विकास जरूरी है. उन्होंने कहा कि जिस तरह संस्कृत सबसे प्राचीन भाषा है, उसी तरह ब्राह्मी सबसे प्राचीन लिपि है. ब्राह्मी लिपि से ही रोमन लिपि का भी विकास हुआ है.
                ब्राह्मी लिपि का विकास बिहार में ही हुआ है. बीएचयू, वाराणसी के उप पुस्तकालयाध्यक्ष डी. के. सिंह ने कहा कि सिर्फ पांडुलिपियों का संरक्षण ही काफी नहीं है. इसका सदुपयोग भी होना चाहिए. पांडुलिपियों के बाह्य आवरण से अधिक पांडुलिपियों में निहित ज्ञान महत्वपूर्ण है. आज डिजिटाइजेशन पर करोड़ों खर्च हो रहा है.
                      यह डिजिटाइजेशन संरक्षण के साथ-साथ उपयोग के लिए भी हो. उन्होंने बताया कि कई बार लोग बेवजह भी डिजिटाइजेशन का प्रोजेक्ट बना देते हैं. उन्होंने बीएचयू के केस स्टडी के माध्यम से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि आज सूचनाओं का बाढ़ है. लेकिन तीन प्रतिशत आबादी ही 97 प्रतिशत सूचनाओं का उपयोग कर रही है. हमें इसमें उपयोगी सूचना को संरक्षित करना हैै. जो भी मिला, उसे बचा लेने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है. कबाड़ जमा करने से कुछ नहीं होने वाला है.
                इस अवसर पर महावीर मंदिर, पटना के पब्लिकेशन एवं रिसर्च आॅफिसर भावनाथ झा, पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के पूर्व निदेशक डाॅ. बसंत कुमार चौधरी, केन्द्रीय पुस्तकालय के प्रोफेसर इंचार्ज डाॅ. अशोक कुमार, पीआरओ डॉ. सुधांशु शेखर, इवेंट मैनेजर पृथ्वीराज यदुवंशी, डाॅ. सरोज कुमार, डाॅ. अरूण कुमार सिंह, सिद्दु कुमार, सोनू कुमार सिंह, अंशु आनंद, रंजन कुमार मिश्र, कपिलदेव यादव, पवन कुमार दास, मो. आफताब आलम, मृत्यंजय कुमार सिंह, संदीप कुमार, मो. फसीउद्दीन, मो. सोएब अख्तर सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिभागी उपस्थित थे.
(रिपोर्ट:- ईमेल) 

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