मधेपुरा
स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग में चतुर्थ सेमेस्टर (सत्र 2014-16) का नियत कार्य एवं सेमिनार का शोध पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 20 सितंबर निर्धारित की गयी है.
सभी चार पत्रों में नियत कार्य एवं सेमिनार में दो-दो टाॅपिक निर्धारित किए गए हैं. दो में से एक टाॅपिक पर कम से कम दो हजार शब्दों का नियत कार्य एवं सेमिनार तैयार करना है. यह जानकारी विभागाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने दी.
उन्होंने बताया कि तेरहवें पत्र का नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः ईश्वर के अस्तित्व की समर्थक युक्तियां एवं धार्मिक चेतना के विभिन्न पहलू और ईश्वर के तात्विक गुण एवं सर्वेश्वरवाद की अवधारणा है. चौदहवें पत्र का नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः ईहलौकिकतावाद की अवधारणा एवं ईश्वरवादियों द्वारा अशुभ की समस्या का समाधान और प्रारंभिक धर्म के रूप में मानावाद एवं धार्मिक विश्वास के आधार स्वरूप आस्था तथा तर्क है.
पंद्रहवें पत्र में नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः जैन धर्म एवं बौद्ध में मोक्ष की अवधारणा और आत्मा की अमरता के प्रमाणों की समीक्षा और जैन धर्म में ईश्वर की अवधारणा एवं यहूदी तथा इस्लाम धर्म में ईश्वर की अवधारणा है. सोलहवें पत्र में नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः क्राॅम्बे के अनुसार धार्मिक भाषा की कथनीयता एवं एयर के अनुसार धार्मिक भाषा की सत्यापनीयता और विट्गेन्सटाइन का चित्र सिद्धांत एवं जाॅन हिक का मरनोत्तर सत्यापन सिद्धांत है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)
स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग में चतुर्थ सेमेस्टर (सत्र 2014-16) का नियत कार्य एवं सेमिनार का शोध पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 20 सितंबर निर्धारित की गयी है.
सभी चार पत्रों में नियत कार्य एवं सेमिनार में दो-दो टाॅपिक निर्धारित किए गए हैं. दो में से एक टाॅपिक पर कम से कम दो हजार शब्दों का नियत कार्य एवं सेमिनार तैयार करना है. यह जानकारी विभागाध्यक्ष डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने दी.
उन्होंने बताया कि तेरहवें पत्र का नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः ईश्वर के अस्तित्व की समर्थक युक्तियां एवं धार्मिक चेतना के विभिन्न पहलू और ईश्वर के तात्विक गुण एवं सर्वेश्वरवाद की अवधारणा है. चौदहवें पत्र का नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः ईहलौकिकतावाद की अवधारणा एवं ईश्वरवादियों द्वारा अशुभ की समस्या का समाधान और प्रारंभिक धर्म के रूप में मानावाद एवं धार्मिक विश्वास के आधार स्वरूप आस्था तथा तर्क है.
पंद्रहवें पत्र में नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः जैन धर्म एवं बौद्ध में मोक्ष की अवधारणा और आत्मा की अमरता के प्रमाणों की समीक्षा और जैन धर्म में ईश्वर की अवधारणा एवं यहूदी तथा इस्लाम धर्म में ईश्वर की अवधारणा है. सोलहवें पत्र में नियत कार्य एवं सेमिनार का टाॅपिक क्रमशः क्राॅम्बे के अनुसार धार्मिक भाषा की कथनीयता एवं एयर के अनुसार धार्मिक भाषा की सत्यापनीयता और विट्गेन्सटाइन का चित्र सिद्धांत एवं जाॅन हिक का मरनोत्तर सत्यापन सिद्धांत है.
(रिपोर्ट:- ईमेल)