जल-जीवन-हरियाली अभियान जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है: प्राचार्य - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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4 मार्च 2020

जल-जीवन-हरियाली अभियान जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है: प्राचार्य

मधेपुरा
प्रकृति हमारी माँ है. प्रकृति के सानिध्य में बिताया गया एक पल मनुष्यों के साथ बिताए गए सैकड़ों पल से श्रेयष्कर है. अतः हमें अपना अधिकाधिक समय प्रकृति-पर्यावरण के सानिध्य में बिताना चाहिए. यह बात प्रधानाचार्य डॉ. के. पी. यादव ने कही.
                      वे मंगलवार को राष्ट्रीय सेवा योजना, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में आयोजित प्रथम 'जल-जीवन-हरियाली दिवस' की अध्यक्षता कर रहे थे. यह कार्यक्रम शिक्षा विभाग, बिहार सरकार, पटना के पत्रांक- 15/ एम 1-20/ 2020-451, दिनांक-26. 02. 2020 के आलोक में आयोजित किया गया. इस अवसर पर 'सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन एवं उर्जा की बचत पर बल' विषय पर परिचर्चा हुई.
                       प्रधानाचार्य ने कहा कि महाविद्यालय पूर्व से ही जल-संरक्षण, हरियाली और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु प्रतिबद्ध है. संप्रति बिहार सरकार के निदेशानुसार प्रत्येक माह के प्रथम मंगलवार को जल-जीवन-हरियाली दिवस मनाने का निर्णय लिया गया हैै. कार्यक्रम का प्रतिवेदन दो-तीन हाई रिजोल्यूसन फोटो के साथ विहित प्रपत्र में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा परिषद् कार्यालय को प्रत्येक माह की 4 तारीख तक भेजा जाएगा.
                   उन्होंने बताया कि जल-जीवन-हरियाली अभियान जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है. इसके कई अवयव हैं. इनमें सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं यथा- तलाब, पोखर, कुंआँ आदि को अतिक्रमण मुक्त करना, इनका जीर्णोद्धार, इनके किनारे सोख्ता, रिचार्ज या अन्य जल संचयन संरचना का निर्माण शामिल है. इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों के जल संग्रहण क्षेत्रों में चेक डैम एवं जल अन्य संस्थाओं का निर्माण, नए जल स्रोतों का सृजन एवं अधिशेष नदी जलक्षेत्र से जल की कमी क्षेत्रों में जल ले जाना और भवनों में वर्षा जल संचयन करना है.
                    साथ ही पौधशाला सृजन एवं वृक्षारोपण, जैविक खेती एवं अन्य तकनीकों का उपयोग और सौर ऊर्जा उपयोग को प्रोत्साहन एवं ऊर्जा की बचत जरूरी है. इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना, बीएनएमयू, मधेपुरा के कार्यक्रम समन्वयक डाॅ. अभय कुमार ने सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन एवं ऊर्जा की बचत पर बल से संबंधित बिंदुओं की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा उपयोग को प्रोत्साहन एवं ऊर्जा की बचत जल-जीवन-हरियाली अभियान का एक महत्वपूर्ण अंग है.
                          इसका उद्देश्य पारंपरिक ऊर्जा के स्थान पर अक्षय ऊर्जा को प्रयोग को बढ़ावा देना है. हमें सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करना है और ऊर्जा की खपत में कमी लाना है. सरकार द्वारा सरकारी भवनों में सौर ऊर्जा की व्यवस्था करने एवं निजी भवनों में सौर ऊर्जा के उपयोग हेतु जागरूकता लाई जा रही है. महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष सह सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा कि हमें वृक्षों से प्रेरणा लेनी चाहिए. वृक्ष हमेशा दूसरों के लिए जीते हैं. वे हमसे कुछ नहीं लेते हैं.
                               वे हमें जीवन भर कुछ-न-कुछ देते रहते हैं. अतः हमें पेड़-पौधों को बचाने और प्रकृति-पर्यावरण के संरक्षण हेतु लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. हिंदी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. बी. के. सिंह ने कहा कि हमें प्रकृति-पर्यावरण के संरक्षण हेतु क्या करना है ? यह पता होना चाहिए. अबोध बनकर रहने से काम नहीं चलेगाा. प्रकृति-पर्यावरण नहीं बचेगा, तो हम भी नहीं बचेंगे. हिंदी विभाग की शिक्षिका डाॅ. वीणा कुमारी ने कहा कि पेड़ रहेंगे, तभी हम रहेंगे.
                          अतः प्राकृतिक हरियाली की रक्षा होनी चाहिए. पेड़-पौधे हमें जीवनदायी आक्सीजन देते हैं. इसी पर हमारा जीवन निर्भर है. कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने की. धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. विजया कुमारी ने किया. इस अवसर पर अशोक कुमार अमर, बी. एड. विभागाध्यक्ष डाॅ. जावेद अहमद, डाॅ. खुशबू शुक्ला, महेंद्र नारायण यादव, मिथिलेश कुमार मिथुन, उदय कुमार सिंह, चंदेश्वरी प्रसाद यादव, अवधेश कुमार यादव, जितेंद्र कुमार, डॉक्टर एनके निराला, मोहम्मद सलीम, डॉ अरुण कुमार यादव, सुनील कुमार यादव, नरेंद्र प्रसाद ठाकुर, शमशेर सिंह, नरेश कुमार भारती, अरविंद प्रसाद यादव, देवेंद्र कुमार, मुकेश कुमार गुप्ता, संजय प्रसाद यादव, सुभाष कुमार, बाल कृष्ण नंदन, चंद्रदीप कुमार, नागेंद्र कुमार सिंह, कृष्णा कुमार सिंह, प्रमोद कुमार भगत, राजकुमार शाह, सुमित कुमार यादव, राम कृष्ण यादव, महेंदर, राजकिशोर प्रसाद यादव, विमल यादव, विरेंद्र कुमार यादव, सत्येंद्र कुमार, राकेश रोशन, शेखर झा, राजीव कुमार, संजय कुमार यादव, हरेराम यादव, विजय कुमार, देवेंद्र प्रसाद यादव, रामेश्वर यादव, कृष्ण यादव, जवाहर यादव, युगल किशोर, सत्यनारायण आदि सहित दर्जनों शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थिति थे.
(रिपोर्ट:- ईमेल) 

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