खुशखबरी : फलों की खेती के लिए सरकार दे रही 50 प्रतशित अनुदान, ऐसे करें आवेदन - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

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26 जुलाई 2020

खुशखबरी : फलों की खेती के लिए सरकार दे रही 50 प्रतशित अनुदान, ऐसे करें आवेदन


डेस्क : फलों की खेती करने वाले किसानों के लिए यह खुशी की खबर है। जो किसान फलों की खेती करना चाहते हैं उन्हें राज्य सरकार अब 50 प्रतिशत अनुदान देगी। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन, किसान सलाहकार या कृषि समन्वयक के पास आवेदन करना होगा। 

दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के अनुसार, आम, लीची, अमरूद, पपीता, आंवला के लिए प्रति हेक्टेयर 50 प्रतिशत यानी 50 हजार रुपए अनुदान मिलेगा। मधेपुरा जिला उद्यान पदाधिकारी किरण भारती ने बताया कि पपीता और केला की खेती के लिए अनुदान दो किस्तों में मिलेगा। जबकि आम, लीची, अमरूद तथा आंवला के लिए तीन किस्तों में अनुदान मिलेगा। 


प्रथम वर्ष में एक हेक्टेयर के लिए 30 हजार मिलेगा। दूसरे व तीसरे वर्ष में 10-10 हजार रुपए देने का प्रावधान है। केला व पपीता की खेती के लिए प्रथम वर्ष में 75 प्रतिशत और दूसरे वर्ष में 25 प्रतिशत अनुदान की राशि मिलेगी। टिशू कल्चर केला की खेती प्रति हेक्टेयर लागत खर्च 1.25 लाख रुपए है। आम, अमरूद, लीची की लागत खर्च एक लाख रुपए प्रति हेक्टेयर है। जिले में केला का 70 हेक्टेयर, आम का 30 हेक्टेयर, पपीता तथा लीची का 10-10 हेक्टेयर लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

अनुदान राशि का 60 प्रतिशत हिस्सा केंद्र व 40 प्रतिशत देगी राज्य सरकार : 


विभाग ने इसे लेकर 4 साल की कार्य योजना तैयार की है। सरकार ने एक पौधा लगाने की लागत 70 रुपए मानी है। 100 से 500 पौधे लगाने पर लाभार्थी किसान को 50 फीसदी अनुदान दिया जाएगा। फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद अनुदान राशि का 60 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार व 40 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार देगी। जो कार्ययोजना के तहत चार किस्तों में मिलेगा। पहले साल में 50 फीसदी अनुदान की 40 फीसदी राशि ही किसान को मिलेगी। दूसरे, तीसरे और चौथे साल में उसे 20-20 फीसदी अनुदान की राशि मिलेगी। योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास मृदा स्वास्थ्य कार्ड होना जरूरी है। योजना के तहत किसानों के खेत पर जैविक कार्बन सुधार की मॉनीटरिंग भी होगी।

नर्सरी डेपलप कर किसानों को आय प्राप्त करने का भी मौका :


इस योजना के तहत किसानों को खेत पर पौधों की नर्सरी डेवलप कर आय प्राप्त करने का मौका भी दिया गया है। एक हेक्टेयर में नर्सरी तैयार करने का सरकार ने 16 लाख रुपए का प्रावधान रखा है। लेकिन किसान को उसकी क्षमता 50 हजार पौधों की रखनी होगी। पौधे बेचकर आय प्राप्त कर सकते हैं। फलदार पेड़ में आम, जामुन, बेल, अमरूद, लसोड़ा, शहतूत, अनार, आंवला, इमली, नींबू, महुआ, करोंदा, बेर तथा सीताफल शामिल है। वहीं छायादार में बड़, पीपल, नीम, करंज, कदंब, अर्जुन, कोहड़ा है। इमारती वृक्ष में शीशम, बबूल, रोहिड़ा, सागवान, बांस पॉपलर। जलावन लकड़ी में देसी बबूल, खेजड़ी, जंगल जलेबी तथा चुरेल। चारे वाले में खेजड़ी, अरडू, सहजन तथा झाड़ी बेर। अन्य में चंदन, कूमठा, अमलतास, कचनार व सिल्वर आदि को सूची में शामिल किया गया है।

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