बाबाधाम का परसादी, करेजा जुड़ा जाएगा - मधेपुरा खबर Madhepura Khabar

Home Top Ad

Post Top Ad

27 जुलाई 2021

बाबाधाम का परसादी, करेजा जुड़ा जाएगा

डेस्क: फोटुआ देखेे हैं? ई बाबाधाम का परसादी है. थोड़ा-सा खाकर देखिएगा, करेजा जुड़ा जाएगा. चिउड़ा में गोलकी दाना लड्डू आ उसमें एक टुकड़ा पेड़ा, अहा हा हा. आजकल का किटकैट आ डेयरीमिल्क सब पानी भरता है एकरा सामने. जब हम बुतरू हुआ करते थे, उस टाइम सावन में सबसे ज्यादा इंतजार इसी परसादी का रहता था. गांव के चौक से बाबाधाम के लिए बस खुलता था. काँवरिया सब भोरे से गेरुआ वस्त्र पहिने आ कांवर लेके आ जाते थे. जैसे ही बस हौरन दिया, बोल बम के नारा से आसमान हिल जाता.


हमलोगों का भी खूब मन होता था कि बाबाधाम जाएं लेकिन पप्पा मना कर देते. बहुत भीड़ होता है ऊँहा, हेरा जाओगे. इतना भीड़ में कौन खोजेगा तुमको, कैसे खोजेगा! बड़ा हो जाना तब जाना. जइसे ही बस खुलता हम रोते, चिचियाते, पैर पटकते वहां से लौट जाते. फिर हम बस के लौटने के इंतज़ार में रहते. पप्पा कांवर लेके बाबाधाम गए हैं. वहां से बहुते प्रसाद आएगा, खेलौना आएगा. इसी इंतज़ार में एक हफ्ता निकल जाता. पप्पा बाबाधाम से बहुत कुच्छ लेकर आते. फूलल पैर, चढ़ल आँख, पलास्टिक का डमरू, रबर वाला सांप, चल छैयां-छैयां वाला मोबाइल, झोला भरके माला आ बद्धी. लेकिन हमको इंतजार रहता था बाबा के परसादी का.

चिउड़ा, लड्डू आ शुद्ध खोवा के पेड़ा वाला परसादी का. कब झोरा खुलेगा आ पेड़ा के खुशबू से घर महमहा जाएगा. दुनिया का सारा मिठाई एक तरफ आ बाबा का परसादी एक तरफ. इधर मम्मी गरम पानी से पप्पा के फूलल पैर का सिंकाई कर रही है, उधर हम बिलाड़ नियन पाँव दबाके घर में घुस रहे हैं. मचिया पर चढ़ के खूँटी पर टांगल झोरा में हाथ घुसाए, मुट्ठी में चिउड़ा, गोलकी लड्डू आ पेड़ा मिलाकर मुंह में भकोसे आ सीधा सिटीलाइन धर लिए. पीछे से मम्मी चिल्लाती, अरे बानर, सब तुम ही ठूंस जाएगा त टोला में क्या बंटायेगा! अभी दस घर बांकिए है. टोला-मोहल्ला के जेतना घर से काँवरिया बाबाधाम जाता, सब घर से परसादी आता था. दैनिक आज आ हिंदुस्तान पेपर के टुकड़ा में लपेटल. 


एक मुट्ठी चिउड़ा, 10-20 दाना गोलकी लड्डू आ खोआ के बनल पेड़ा. आ खाली परसादीए नहीं, माला-बद्धी आ रुद्राछ का हाथ में पहिनने वाला ब्रेसलेट भी. ई सब हमारे लिए अगिला सावन तक इम्युनिटी बूस्टर का काम करता. आठ साल हो गया है घर छोड़े. हम सब बड़ा हो गए हैं, काबिल हो गए हैं, स्मार्ट हो गए हैं. अब दोस्त सब के साथ शिमला, मनाली, कसोल आ गोवा जाने का प्लान बनाते हैं. बाबाधाम भूलाइए गए हैं. बाबा के परसादी का अद्भुत आनंद लिए जमाना हो गया, ईहाँ तो हाउस ऑफ कैंडी, हर्शले आ फरेरो रॉशर का मार्केट चल रहा है. आज सावन का पहला सोमवारी है. कोरोनाकाल में मंदिर, जलाभिषेक, कांवरयात्रा सब बंद है.! कभी जलार्पण के लिए बाबाधाम के लाइन में लगकर हर-हर महादेव के नारा से आसमान हिला देने वाले गेरुआधारी कांवरिया सब ई बार हॉस्पिटल में वैक्सीन के लाइन में लगल है. महादेव सबका कल्याण करेंगे. बस इस बार परसादी को बहुत मिस किया जाएगा. अखबार के पन्ना में लपेटल चिउड़ा, गोलकी लड्डू आ खोवा वाला पेड़ा के. 

(लेखक:- अमन आकाश)

पब्लिसिटी के लिए नहीं पब्लिक के लिए काम करना ही पत्रकारिता है....

Post Bottom Ad

Pages