मधेपुरा: चार दिवसीय लोक आस्था के चैती छठ महापर्व तीसरे दिन व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया. शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ का समापन होगा. यह व्रत संतान की लंबी उम्र व मंगलकामना के लिए माताएं करती हैं. शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की लंबी आयु और निरोगी जीवन की प्राप्ति होती है. यह व्रत जीवन में संयम, शुद्धता, और आत्म-नियंत्रण की भावना को जागृत करता है. बता दें कि संध्या अर्घ्य गुरुवार को शाम 6:40 बजे दिया गया व शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य सुबह 6:08 बजे किया जाएगा.
अर्घ्य के लिए लोग कई जलाशय, तालाब एवं नदी में जाकर अर्घ्य दिया. दिवाली के बाद आने वाले छठ की तरह ही चैत्र नवरात्र के छठवीं तिथि को पड़ने वाली चैती छठ की भी मान्यता ज्यादा है. आपको बता दें कि छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय मनाया जाता है और दूसरे दिन खरना करते हैं. सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ के खरना के दिन छठव्रती गुड और चीनी से बने खीर का सेवन करते हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है जो उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही समाप्त होता है.
(रिपोर्ट:- सुनीत साना)
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